राजस्व बढ़ाने के लिए अवैध ढंग से स्टॉप बना रहा है परिवहन निगम

राजस्व बढ़ाने के लिए अवैध ढंग से स्टॉप बना रहा है परिवहन निगम

चेन्नई। महानगर परिवहन निगम(एमटीसी) के साथ ही राज्य के परिवहन निगमों ने अपने राजस्व में बढोत्तरी करने के लिए अवैध ढंग से बस स्टॉप बनाना शुरु कर दिया है। इन बस स्टॉप पर उतरने वाले यात्रियों से सामान्य किराये से अधिक किराया वसूलने की बात भी सामने आ रही है। राज्य सरकार द्वारा सभी परिवहन निगमों की बसों के लिए दो किलोमीटर, ४ किलोमीटर और २५ किलोमीटर की दूरी पर बस स्टॉपों का निर्धारण किया गया है। इन स्टॉपों का निर्धारण दो शहरों,मोफ्फुसिल और एक्सप्रेस के बीच किया जाता है।हालांकि सूचना का अधिकार कानून के तहत प्राप्त हुए सरकारी रिकार्ड के अनुसार परिवहन निगमों ने अवैध ढंग से स्टॉपों का निर्धारण कर रखा है। हाल ही में तमिलनाडु राज्य परिवहन निगम द्वारा दो मोफ्फुसिल बस टर्मिनलों के बीच संचालित होने वाली पांच बसों पर अवैध ढंग से बस स्टॉप बनाने और वहां पर बसों को रोकने और यात्रियों से अतिरिक्त किराया वसूलने के कारण जुर्माना लगाया गया है। यह बसें कोयंबटूर, पझनी और पोल्लच्ची के बीच संचालित हो रही थीं और इनके द्वारा इन्हें क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय की ओर से जारी स़डक परमिट का पालन नहीं किया जा रहा था।इन बसों द्वारा ६४ रुपए के टिकट के बदले यात्रियों से ८७ रुपए और ५४ रुपए के टिकट के बदले यात्रियों से ६४ रुपए वसूलने की बात सामने आई है। बसों द्वारा परिवहन निगमों को सौंपे गए हिसाब से इस बात का भी पता चला है कि एक बस द्वारा इस प्रकार अवैध ढंग से स्टॉप बनाकर और यात्रियों से अतिरिक्त किराया वसूल कर सालाना ३.१५ करो़ड रुपए की कमाई की गई है। तमिलनाडु राज्य परिवहन निगम द्वारा यात्रियों से इतनी अधिक राशि अवैध ढंग से प्राप्त करना कल्पना से परे है। हालांकि इसके बावजूद इन बसों पर मामूली जुर्माना लगाकर छो़ड दिया गया। उपभोक्ता अधिकारों के लिए कार्य करने वाले एक कार्यकर्ता द्वारा सूचना का अधिकार कानून के तहत मांगी गई जानकारी में यह बात सामने आई है।प्राप्त जानकारी के अनुसार एमटीसी द्वारा अवैध ढंग से बनाए गए स्टॉपों को ‘जंपिंग स्टॉप’’ का नाम दिया गया है। इस प्रकार के अवैध स्टॉप मुख्य रुप से डिपो के प्रबंधक द्वारा बनाए जाते हैं। बस के कंडक्टरों को इन बस स्टॉपों पर उतरने वाले यात्रियों से दो रुपए से लेकर चार रुपए ज्यादा लेने के लिए बाध्य किया जाता है। इस प्रकार के स्टॉप चेन्नई की लाइफ लाइन मानी जाने वाली महानगर परिवहन निगम(एमटीसी) द्वारा संचालित बसों के लिए भी बनाए गए हैं। इस बारे में एमटीसी के अधिकारियों का कहना है कि उन्हें अस्थायी तौर पर इस प्रकार के बस स्टॉप बनाने का अधिकार है। इसके साथ ही राज्य परिवहन निगम की बसों द्वारा एक और अनियमितता की बात सामने आई है। परिवहन निगम के कर्मचारियों द्वारा क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय से बिना समुचित अनुमति प्राप्त किए बसों की श्रेणी में भी परिवर्तित कर दिया जाता है। ज्ञातव्य है कि राज्य में सामान्य बसों और एक्सप्रेस बसों के किराए में अंतर है। इन बसों की पहचान इनके ऊपर लगे अलग-अलग रंगों के बोर्ड द्वारा की जाती है। इन बोर्डों को अवैध ढंग से बदलकर सामान्य बसों को एक्सप्रेस बस में बदल दिया जाता है और यात्रियों से अधिक किराया वसूला जाता है। कोयंबटूर में ज्यादातर सामान्य बसों को आरटीओ की अनुमति के बिना ही एक्सप्रेस बसों में तब्दील करने की बात सामने आई है।

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