निजी अस्पताल संशोधन बिल को सदन की समिति के पास भेजा

निजी अस्पताल संशोधन बिल को सदन की समिति के पास भेजा

बेंगलूरु। सरकार ने निजी अस्पतालों में सेवाओं की दरें तय करने वाले कर्नाटक निजी मेडिकल इस्टैब्लिशमेंट्स (संशोधन) विधेयक को एक दिन की लंबी बहस के बाद सदन की संयुक्त चयन समिति के पास भेज दिया है। संशोधित बिल से राज्य सरकार ने निजी अस्पतालों में सेवाओं के लिए दरें तय करने के लिए अत्याधिक शुल्क जांच का अधिकार दिया है जिसे स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री के आर रमेश कुमार द्वारा रखा गया था। लंबी बहस के बाद कुमार इस मामले को सदन समिति को सौंपने के लिए सहमत हुए और अध्यक्ष केबी कोलीवा़ड से अनुरोध करने के लिए कहा कि समिति पांच हफ्तों के समय में अपनी रिपोर्ट दे। उन्होंने कहा कि इस पर सदन का हर सदस्य बिल से सहमत हो गया है। कोलीवाड ने कहा कि वह जल्द ही विधान परिषद के अध्यक्ष डीएच शंकरमूर्ति के परामर्श से एक समिति का गठन करेंगे।यदि अस्पताल, नर्सिंग होम राज्य सरकार द्वारा तय किए गए शुल्क से अधिक शुल्क लेते हैं तो इस विधेयक के तहत ५ लाख रुपए तक का जुर्माना और तीन साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है। कई सदस्यों ने बिल का समर्थन करते हुए कहा कि इसको अच्छे इरादों के साथ लाया गया है और यह गरीब और मध्यम वर्ग के हित में है। उन्होंने मसौदा बिल की समीक्षा करने और निजी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और डॉक्टरों द्वारा उठाए गए गंभीर विरोध सहित अन्य मुद्दों पर विचार करने के लिए सदन की समिति के गठन की भी सिफारिश की। कुमार ने सदन को बताया कि बिल मनमाना नहीं है और न ही डॉक्टरों और न ही निजी स्वास्थ्य प्रदाताओं को कोई डरने की जरुरत है और यह कर्नाटक के पूर्व न्यायमूर्ति विक्रमजीत सेन की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के अनुरूप है। बिल के अनुसार, जो व्यक्ति अस्पताल चलाता है वह उल्लंघन के लिए जिम्मेदार होगा और न्यूनतम जुर्माना २५,००० रुपए तय किया गया है और कम से कम तीन महीने की कारावास प्रावधान है। सरकार मेडिकल जांच, बिस्तर चार्ज, ऑपरेशन थिएटर प्रक्रिया, गहन देखभाल, वेंटिलेशन और परामर्श के लिए दरें या शुल्क तय करेगी। इसमें यह भी कहा गया है कि अस्पताल को रोगी के इलाज से पहले अग्रिम भुगतान की मांग नहीं करनी चाहिए और न ही मरीज की मौत की स्थिति में बिल भरने और मृत शरीर को सौंपने से इंकार नहीं करना चाहिए्। दो बार स्वास्थ्य मंत्री और कांग्रेस के विधायक डॉ मलक रेड्डी ने कहा कि विधेयक मरी़जों को लेकर संदेह पैदा करता है और बिल के कारण डॉक्टरों पर अधिक हमले हो सकते हैं। विपक्षी नेता जगदीश शेट्टर ने कहा कि उन्होंने बिल का स्वागत किया लेकिन इस पर और चर्चा करने की जरूरत है और इसे जांचने के लिए सदन की समिति बेहतर है। पूर्व कानून मंत्री और भाजपा नेता सुरेश कुमार ने सदन की समिति के गठन का भी समर्थन किया। कुमार ने कहा कि जस्टिस सेन की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति ने निजी स्वास्थ्य क्षेत्रों के प्रतिनिधियों और सरकार ने प्रस्तावित कानून के अच्छे इरादों से उन्हें आश्वस्त किया है। कारावास वाले हिस्से को छो़डकर वे इसके लिए सहमत थे।

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