अन्नाद्रमुक में फिर से बन रहे टूट के आसार

अन्नाद्रमुक में फिर से बन रहे टूट के आसार

चेन्नई। तमिलनाडु में सत्तारु़ढ ­अखिल भारतीय अन्ना द्रवि़ड मुनेत्र कषगम (अम्मा) पार्टी में एक बार फिर से टूट के आसार बन रहे हैं। पार्टी के उप महासचिव टीटीवी दिनाकरण ने एक महीने पहले ही खुद को पार्टी के मामलों से अलग रखने की घोषणा की थी लेकिन अब अपनी बात से यू-टर्न लेते हुए उन्होंने कहा कि वह पार्टी मामलों से न तो कभी दूर हुए थे और न ही दूर होंगे। दिनाकरण शनिवार को ही दिल्ली की एक विशेष अदालत द्वारा भारतीय निर्वाचन आयोग के अधिकारियों को कथित तौर पर अन्नाद्रमुक के पुराने चुनाव चिन्ह (दो पत्तियों के निशान) को प्राप्त करने के लिए रिश्वत देने के मामले मंे जमानत दिए जाने के बाद चेन्नई पहुंचे हैं।

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य्दिनाकरण ने यहां पहुंचने के बाद कहा कि उन्हें पार्टी के पद से हटाने की ताकत किसी में भी नहीं है और उन्हें यह पद उनकी चाची तथा पार्टी की महासचिव वीके शशिकला ने दी है। ऐसी उम्मीद है कि दिनाकरण सोमवार को शशिकला से जेल में मुलाकात कर सकते हैं। मुलाकात के दौरान वह आगे के राजनीतिक कदम पर चर्चा कर सकते हैं। दिनाकरण ने पार्टी के काम में फिर से शामिल होने के सवाल पर कहा, ’’फिर से का क्या मतलब है? मैं पार्टी के मामलों में पहले से ही शामिल हूं्।’’ गौरतलब है कि शशिकला ने आय से अधिक संपत्ति के केस में जेल भेजे जाने से पहले दिनाकरन को उप महासचिव नियुक्त कर दिया था।दिनाकरण को १५ विधायकों और तीन सांसदों का समर्थन प्राप्त है, जिन्होंने कथित घूस कांड में तिहा़ड जेल से छूटकर आने के बाद दिनाकरण से मुलाकात की थी। दिनाकरण के इस दावे के बाद से पार्टी के दूसरा ध़डे, मुख्यमंत्री इडाप्पाडी के पलानीसामी कैंप में खलबली मच गई है। वरिष्ठ मंत्री डिंडिगल सी श्रीनिवासन ने जहां दिनाकरण के दावे का समर्थन किया तो वहीं एस पी वेलुमनी और केए सेंगोट्टैयान ने कहा कि मुख्यमंत्री पलानीस्वामी अकेले ही दिनाकरण के स्टैंड पर प्रतिक्रिया दे सकते हैं। वहीं परिवार के खिलाफ मुखर रहने वाले वित्त मंत्री डी जयकुमार ने कहा कि दिनाकरण पर फैसला कोई एक व्यक्ति नहीं बल्कि पार्टी की सलाहकार समिति करेगी।उल्लेखनीय है कि ईड्डापाडी के पलानीसामी को पिछले कुछ समय से पार्टी में अंतर्विरोधों का सामना करना प़ड रहा है। दिनाकरण के गिरफ्तार होने से पहले ही पार्टी के कई विधायकों ने दिनाकरण की कार्यशैली पर प्रश्न उठाए थे और कहा था कि अगर इस प्रकार की स्थिति बनी रहती है तो वह शशिकला परिवार के खिलाफ सबसे पहले विद्रोह का झंडा उठाने वाले राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम के खेमे में जा सकते हैं। इसके बाद पलानीसामी ने भी इस बात पर सहमति दे दी थी कि पन्नीरसेल्वम खेमे के साथ विलय वार्ता को आगे बढाया जाए लेकिन पन्नीरसेल्वम की पहली शर्त ही यही थी कि शशिकला और दिनाकरण के साथ ही उनके परिवार के सभी सदस्यों को पार्टी से बाहर निकाला जाए तब ही वह विलय वार्ता में शामिल होंगे और इसलिए विलय वार्ता टल गई थी। सूत्रों के अनुसार सत्तारुढ अन्नाद्रमुक के कई विधायक ऐसे हैं जो दिनाकरण से नाराज है। कुछ विधायकों को ऐसा लग रहा है कि उन्हें सिर्फ नाम के लिए विधायक बनाया गया है और उन्हें स्वयं से कुछ करने की आजादी नहीं दी गई है। इसके साथ ही कुछ विधायक इसलिए भी नाराज हैं कि उन्हें राज्य मंत्रिमंडल में स्थान नहीं दिया गया है। ऐसा भी कहा जा रहा है कि दिनाकरण जेल से आने के बाद पार्टी पर अपनी पक़ड बनाने के लिए सरकार के नेतृत्व परिवर्तन की कोशिश कर सकते हैं और यदि ऐसा होता है तो मौजूदा समय में अन्नाद्रमुक (अम्मा) का समर्थन कर रहे काफी विधायक पन्नीरसेल्वम के खेमे मंें जा सकते है क्योंकि पन्नीरसेल्वम द्वारा उन्हें अपने पाले मंे करने की कोशिश पहले से ही की जा रही है।

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