टर्मिनल चरण में ‘डेटा लॉस’ का शिकार हुआ इसरो का पहला एसएसएलवी

टर्मिनल चरण में ‘डेटा लॉस’ का शिकार हुआ इसरो का पहला एसएसएलवी

हालांकि बाकी तीन चरणों ने उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन किया


श्रीहरिकोटा/भाषा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के इतिहास रचने की कोशिश को रविवार को उस समय झटका लगा, जब उसका पहला लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) टर्मिनल चरण में ‘डेटा लॉस’ (सूचनाओं की हानि) का शिकार हो गया।

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हालांकि, बाकी के तीन चरणों ने उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन किया और अंतरिक्ष एजेंसी डेटा लॉस के पीछे की वजह का पता लगाने के लिए आंकड़ों का विश्लेषण कर रही है।

अंतरिक्ष में एक पृथ्वी अवलोकन उपग्रह और छात्रों द्वारा विकसित एक उपग्रह को स्थापित करने के अभियान में एसएसएलवी-डी1/ईओएस-02 ने रविवार सुबह आसमान में बादल छाए रहने के बीच सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से नौ बजकर 18 मिनट पर उड़ान भरी। 34 मीटर लंबे रॉकेट ने रविवार को करीब साढ़े सात घंटे तक चली उलटी गिनती के बाद उड़ान भरी।

अभियान नियंत्रण केंद्र में वैज्ञानिकों ने उड़ान के तुरंत बाद रॉकेट की स्थिति की जानकारियां दीं। मीडिया केंद्र में स्क्रीन पर उपग्रह को अपने प्रक्षेप पथ पर जाते हुए देखा गया। हालांकि, इसके बाद अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने ‘डेटा लॉस’ की जानकारी दी।

सोमनाथ ने श्रीहरिकोटा में प्रक्षेपण के कुछ मिनटों बाद अभियान नियंत्रण केंद्र से कहा, ‘सभी चरणों ने उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन किया। पहले, दूसरे और तीसरे चरण ने अपना-अपना काम किया, पर टर्मिनल चरण में कुछ डेटा लॉस हुआ और हम आंकड़ों का विश्लेषण कर रहे हैं। हम जल्द ही प्रक्षेपण यान के प्रदर्शन के साथ ही उपग्रहों की स्थिति की जानकारी देंगे।’

उन्होंने कहा, ‘हम उपग्रहों के निर्धारित कक्षा में स्थापित होने या न होने के संबंध में मिशन के अंतिम नतीजों से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण करने की प्रक्रिया में हैं। कृपया इंतजार कीजिए। हम आपको जल्द पूरी जानकारी देंगे।’

अभियान नियंत्रण केंद्र में सोमनाथ द्वारा मिशन की जानकारी दिए जाने से पहले वैज्ञानिकों का उत्साह फीका पड़ गया और वे अपने कम्प्यूटर स्क्रीन पर नजर टिकाए रहे तथा भ्रम की स्थिति में दिखाई दिए।

अभी मिशन की सफलता पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गयी है क्योंकि वैज्ञानिक रॉकेट के आंकड़ों का विश्लेषण कर रहे हैं।

सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में लगे स्क्रीन पर पृथ्वी अवलोकन उपग्रह और आजादीसैट को योजना के अनुसार अलग होते हुए देखा गया।

अपने भरोसेमंद ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी), भूस्थैतिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) के माध्यम से सफल अभियानों को अंजाम देने में एक खास जगह बनाने के बाद इसरो ने लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) से पहला प्रक्षेपण किया, जिसका उपयोग पृथ्वी की निचली कक्षा में उपग्रहों को स्थापित करने के लिए किया जाएगा।

इसरो ने इन्फ्रा-रेड बैंड में उन्नत ऑप्टिकल रिमोट सेंसिंग उपलब्ध कराने के लिए पृथ्वी अवलोकन उपग्रह का निर्माण किया है। ईओएस-02 अंतरिक्ष यान की लघु उपग्रह श्रृंखला का उपग्रह है।

वहीं, ‘आजादीसैट’ में 75 अलग-अलग उपकरण हैं, जिनमें से प्रत्येक का वजन लगभग 50 ग्राम है। देशभर के ग्रामीण क्षेत्रों की छात्राओं को इन उपकरणों के निर्माण के लिए इसरो के वैज्ञानिकों द्वारा मार्गदर्शन प्रदान किया गया था, जो श्स्पेस किड्स इंडियाश् की छात्र टीम के तहत काम कर रही हैं।

‘स्पेस किड्स इंडिया’ द्वारा विकसित जमीनी प्रणाली का इस्तेमाल इस उपग्रह से डेटा प्राप्त करने के लिए किया जाएगा।

यह पहली बार नहीं है जब इसरो को अपने पहले प्रक्षेपण अभियान में झटका लगा है। अंतरिक्ष एजेंसी के लिए सबसे भरोसेमंद माने वाले जाने प्रक्षेपण यान पीएसएलवी की 20 सितंबर, 1993 को पहली उड़ान सफल नहीं रही थी।

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