क्या मजबूत लोकतंत्र के लिए अनिवार्य होना चाहिए मतदान?

क्या मजबूत लोकतंत्र के लिए अनिवार्य होना चाहिए मतदान?

देशभर में चार लाख से अधिक लोगों पर की गई रायशुमारी में 81 फीसदी प्रतिभागियों ने मौजूदा मतदान प्रणाली पर भरोसा जताया


नई दिल्ली/भाषा। भारत में 86 फीसदी लोग चाहते हैं कि मतदान को अनिवार्य बना दिया जाए। मंगलवार को 12वें राष्ट्रीय मतदाता दिवस पर जारी एक नए सर्वेक्षण से यह बात सामने आई है।

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‘पब्लिक ऐप’ की ओर से देशभर में चार लाख से अधिक लोगों पर की गई रायशुमारी में 81 फीसदी प्रतिभागियों ने मौजूदा मतदान प्रणाली पर भरोसा जताया। इनमें 60 फीसदी प्रतिभागियों की उम्र 30 साल से कम थी।

भारत में 2011 से चुनाव आयोग के स्थापना दिवस को राष्ट्रीय मतदाता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका मकसद नए और युवा मतदाताओं के पंजीकरण को बढ़ावा देना है। चुनाव आयोग की स्थापना 25 जनवरी 1950 को हुई थी।

सर्वेक्षण में कहा गया है, ‘नागरिक कर्तव्य के रूप में मतदान नागरिकों द्वारा सामाजिक विकास में एक महत्वपूर्ण योगदान है। यह पूछे जाने पर कि क्या देश में मतदान को अनिवार्य बनाया जाना चाहिए, 86 प्रतिशत प्रतिभागियों ने सहमति व्यक्त की। 81 फीसदी प्रतिभागियों ने मौजूदा मतदान प्रक्रिया को पारदर्शी बताया।’

सर्वेक्षण मतदाताओं का रुख तय करने वाले अहम कारकों पर भी रोशनी डालता है। इससे पता चलता है कि वोटिंग के समय 34 फीसदी मतदाता पिछले कार्यकाल में उम्मीदवारों के प्रदर्शन पर गौर फरमाते हैं। वहीं, 31 प्रतिशत वोटर चुनाव लड़ रहे सभी प्रत्याशियों का तुलनात्मक अध्ययन कर फैसला लेते हैं।

सर्वेक्षण में यह भी देखा गया कि 4.96 प्रतिभागियों के लिए उम्मीदवारों की लोकप्रियता सबसे ज्यादा मायने रखती है। वहीं, 11.92 वोटर इस बात को ज्यादा अहमियत देते हैं कि प्रत्याशी किस पार्टी से ताल्लुक रखता है।

मतदान के लिए न जाने के सवाल पर 30.04 प्रतिभागियों ने कहा कि शहर से बाहर होना इसकी मुख्य वजह थी। हालांकि, सर्वेक्षण में शामिल 56.3 फीसदी प्रतिभागियों ने दावा किया कि उन्होंने मतदान का एक भी मौका नहीं गंवाया है। वहीं, 79.5 प्रतिशत प्रतिभागियों ने माना कि उन्होंने जीवन में कम से कम एक बार मतदान जरूर किया है।

सर्वेक्षण के मुताबिक 5.22 फीसदी प्रतिभागियों ने चुनाव की जानकारी न होने तो 7.19 प्रतिशत ने किसी भी दल का समर्थन न करने के चलते मतदान के लिए न जाने की बात कही। वहीं, 1.27 फीसदी प्रतिभागियों ने जवाब में ‘आलस्य/कोई फर्क नहीं पड़ता’ का विकल्प चुना।

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