दुनिया के सबसे ऊंचे रेल पुल का निर्माण पूरा करने के लिए जम्मू-कश्मीर में तेजी से चल रहा है काम
दुनिया के सबसे ऊंचे रेल पुल का निर्माण पूरा करने के लिए जम्मू-कश्मीर में तेजी से चल रहा है काम
कौरी/भाषा। दुर्गम और भूगर्भीय रूप से विषम क्षेत्रों में विभिन्न चुनौतियों एवं जोखिमों से जूझ रहे अभियंता और श्रमिक कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने के लिए दुनिया के सबसे ऊंचे रेल पुल को 2021 की विस्तारित समयसीमा के अंदर बनाकर तैयार करने के लिए लगातार लगे हुए हैं।
उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना आजादी के बाद की सबसे चुनौतीपूर्ण रेलवे बुनियादी ढांचा परियोजना है। यह परियोजना कई समय सीमाएं लांघ चुकी है और उस पर लागत लगातार बढ़ती चली गई। वर्ष 1997 में तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने उधमपुर में इसकी आधारशिला रखी थी।कोंकण रेलवे के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक संजय गुप्ता ने कहा, हाल की एक समीक्षा बैठक में रेल मंत्री ने हमें दिसंबर, 2021 की नई समयसीमा दी। यह सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य है। उस समय तक इस परियोजना को पूरा करने की सभी कोशिशें की जाएंगी।
गुप्ता ने कहा कि चूंकि यह काम बहुत तेजी से चल रहा है और 359 मीटर ऊंचे पुल के मेहराब का अधिकतम काम पूरा हो चुका है, ऐसे में इसके समय सीमा पर पूरा हो जाने की संभावना है। दिलचस्प बात यह है कि इस पुल का मेहराब पेरिस के प्रसिद्ध एफिल टावर से 35 मीटर ऊंचा है।
इस रेल परियोजना के काम में तेजी लाने के लिए उसे 2002 में राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया था। सुरक्षा और संरेखन संबंधी चिंताएं उठाए जाने के कारण वह 2007, 2015, 2016, 2017 और 2019 की कई समय सीमाएं लांघ चुकी है।
#JammuAndKashmir: Visuals of the world's highest railway bridge being built across Chenab river in Reasi district. The bridge would be 35m taller than Eiffel Tower & 1.3 km long. pic.twitter.com/EUougrlNdC
— ANI (@ANI) November 13, 2018
इसे 12,000 करोड़ रुपए की लागत से बनाया जा रहा है। कोंकण रेलवे के लिए मुख्य अभियंता (समन्वय) आरके हेगड़े ने कहा कि पुल और सुरंगों का निर्माण कठिन कार्य है और उसमें जान के भी जोखिम हैं। हेगड़े ने कहा, लेकिन हमारे लोग और मशीनें ऐसी स्थितियों का बहादुरी से सामना कर रही हैं और हम देश को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ प्रौद्योगिकीगत और इंजीनियरिंग चमत्कार देने के लिए संकल्पबद्ध हैं।
उन्होंने कहा, इस पुल का निर्माण कश्मीर रेल लिंक परियोजना का सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा है और इसके पूरा हो जाने के बाद यह अभियांत्रिकी चमत्कार होगा। इस काम में उच्च प्रौद्योगिकी वाले मशीनों और अभिनवकारी प्रौद्योगिकी से लैस 4,000 से अधिक अभियंता, तकनीकी कर्मचारी एवं श्रमिक भूस्खलन, तेज आंधी, सुरंग के ढहने, पानी भर जाने और बालू के कट जाने जैसी गंभीर स्थितियों से जूझ रहे हैं।
वैसे तो इसे सिग्नेचर ब्रिज बताया जा रहा है लेकिन आईआरएसई अधिकारी और मेट्रो मैन के नाम से मशहूर ई श्रीधरण की अगुवाई वाली समिति ने उसकी सुरक्षा संबंधी कमियों के बारे में बताया और उसने भूकंप, भूस्खलन, नियंत्रण रेखा की निकटता जैसी खतरों की ओर इशारा किया। उसके बाद पूरा डिजाइन बदल दिया गया और 2016 में इस काम को फिर से शुरू किया गया।