नई दिल्ली/भाषा दिल्ली और मुंबई समेत भारत के लगभग सभी ब़डे शहरों की हवाई सुरक्षा को अभेद्य बनाने के उद्देश्य से भारत एक ब़डी रक्षा परियोजना पर काम कर रहा है। यह बात रक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने बताई। उन्होंने बताया कि सरकार कई तरह के वायु सुरक्षा प्रणाली अमेरिका, रूस और इजरायल से खरीद रहा है जिसमें मिसाइल, लांचर और कमान एवं नियंत्रण इकाइयां शामिल हैं। इसके अलावा परियोजना के तहत स्वदेश में विकसित मिसाइलों को तैनात कर रहा है। पिछले कुछ वर्षों में चीन ने अपनी हवाई ताकत में काफी ब़ढोतरी की और सूत्रों ने कहा कि सरकार अपने विरोधी देशों की तरह भारतीय वायु सेना की क्षमता ब़ढाने के लिए प्रतिबद्ध है।सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, सुरक्षा स्थिति को देखते हुए राष्ट्रीय राजधानी और कई अन्य शहरों में मिसाइल कवच मजबूत किया जा रहा है। मिसाइल प्रणालियों, रडार और हथियारों की खरीद इस पहल का हिस्सा है। मिसाइल, रडार और ड्रोन तथा ल़डाकू हेलीकॉप्टर सहित वायु रक्षा प्रणाली के कल-पुर्जों को अमेरिका से खरीदने की बात चल रही है। अमेरिका दो अरब डॉलर की लागत से भारत को २२ समुद्री गार्जियन ड्रोन की बिक्री को मंजूरी दे चुका है।पहली बार अमेरिका ऐसे देश को ड्रोन की बिक्री कर रहा है जो उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) का सदस्य देश नहीं है। सूत्रों ने कहा कि भारत अपनी मिसाइल कचव को मजबूत करने के लिए अमेरिका के नेशनल एडवांस्ड सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्टम टू पर नजर बनाए हुए है। भारत रूस से एस-४०० ट्रायम्फ एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम भी ४० हजार करो़ड रुपए की लागत से खरीद रहा है ताकि हवाई सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया जा सके। इस वर्ष के अंत तक दोनों देशों के बीच समझौते पर हस्ताक्षर होने की संभावना है। अधिकारी ने बताया, परियोजना का उद्देश्य हमारे आकाश को अभेद्य बनाना है।