अरुण खेत्रपाल: भारत का वो जांबाज जिसकी शहादत पर दुश्मन भी रोया

अरुण खेत्रपाल: भारत का वो जांबाज जिसकी शहादत पर दुश्मन भी रोया

arun khetrapal

नई दिल्ली/दक्षिण भारत डेस्क। भारतीय सेना ने देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा के लिए कई कुर्बानियां दी हैं। भारत माता के बहादुर सपूतों में से एक नाम है अरुण खेत्रपाल, जो सिर्फ 21 साल की उम्र में शहीद हो गए थे। उनकी दिलेरी को याद कर पाकिस्तानी फौज का एक ब्रिगेडियर भी रोने लगा था। दरअसल अरुण खेत्रपाल ने 1971 के युद्ध में उसी शख्स से मुकाबला किया था और देश के लिए बलिदान दिया। वह तारीख इतिहास में अमिट है.. 16 दिसंबर। अरुण ने पाकिस्तान के चार टैंक ध्वस्त कर दिए थे।

14 अक्टूबर, 1950 को महाराष्ट्र के पुणे में जन्मे अरुण खेत्रपाल के पिता एमएल खेत्रपाल भी फौजी थे। वे सेना में ब्रिगेडियर के पद पर सेवाएं दे चुके हैं। अरुण की शहादत के बाद उन्होंने बेटे को नम आंखों से विदाई दी। सेना ने भी इस जांबाज को परम वीर चक्र से नवाजा।

उल्लेखनीय है कि एमएल खेत्रपाल का परिवार बंटवारे के दौरान पाकिस्तान से भारत आया था। वहां सरगोधा में उनका पुश्तैनी घर था। साल 1971 के भारत-पाक युद्ध के करीब तीन दशक बाद वे अपना पुश्तैनी घर और बचपन के साथियों से मिलने के लिए पाकिस्तान गए। वहां लाहौर में एक शख्स ने उनकी खूब आवभगत की।

उसने अपना नाम ख़्वाजा मोहम्मद नासेर बताया। उसने एमएल खेत्रपाल से काफी अच्छा बर्ताव किया। वह उन्हें अपने घर ले गया। उसने खेत्रपाल से काफी दोस्ती कर ली। आखिर में जब विदाई का वक्त आया तो उसने अरुण के पिता से कहा- मेरे दिल पर एक बोझ है जो मैं आपको बताना चाहता हूं।

खेत्रपाल हैरान रह गए। पूछा- कैसा बोझ? इस पर उस शख्स ने बेहद झिझकते हुए कहा कि 1971 में आपका लाडला शकरगढ़ सेक्टर में जिससे मुकाबला करता हुआ शहीद हुआ था, वो मैं हूं। मैं आपको और आपके बेटे को सलाम करना चाहता हूं। आपकी परवरिश ने उसे इतना बहादुर बनाया।

इसके बाद उस पाकिस्तानी शख्स और एमएल खेत्रपाल की आंखों में आंसू आ गए। दोनों कुछ देर तक खामोश रहे। खेत्रपाल ने उस शख्स को यह कहते हुए तसल्ली दी कि मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है। मेरा बेटा देश के लिए शहीद हुआ और हमें उस पर फख्र है।

Google News
Tags:

About The Author

Post Comment

Comment List

Advertisement

Latest News