आतंकियों से लड़ते शहीद हुआ इकलौता बेटा, पिता बोले- ‘गर्व है कि देश के काम आया’

आतंकियों से लड़ते शहीद हुआ इकलौता बेटा, पिता बोले- ‘गर्व है कि देश के काम आया’

मुंबई। आंखों में आंसू लेकिन दिल में फख्र का अहसास .. महाराष्ट्र के प्रकाश राणे को देखकर आप यही कहेंगे। उनका बेटा देश के लिए शहीद हो गया। मेजर कौस्तुभ राणे इस परिवार के इकलौते बेटे थे, जो देश की रक्षा करते हुए कश्मीर में शहीद हो गए। 29 साल के कौस्तुभ का गुरुवार को अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान उनकी शान में नारों से आकाश गूंज रहा था। हर किसी की जुबान पर यही नारा था कि मेजर कौस्तुभ अमर रहें। साथ ही हिंदुस्तान ज़िंदाबाद, भारत माता की जय और वंदे मातरम् के नारे लगाए गए। लोगों ने लाडले शहीद की राह में फूल बरसाए।

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शहीद कौस्तुभ के पिता प्रकाश राणे कहते हैं, ‘मेरा बेटा देश के काम आया। वह वीरता दिखाकर शहीद हो गया।’ राणे का परिवार यहां मीरा रोड क्षेत्र में रहता है। जैसे ही यह खबर पहुंची कि इनका लाडला कौस्तुभ आतंकियों से लड़ता हुआ शहीद हो गया, तो लोग यहां इकट्ठे होने लगे। स्थानीय लोगों ने उनके जीवन से जुड़ी कई बातें साझा कीं।

इस पड़ाव पर खोया बेटा
स्कूली दिनों से ही कौस्तुभ भारतीय सेना में जाकर देश की सेवा करना चाहते थे और उनका यह सपना सच भी हो गया। पढ़ाई में बहुत होशियार कौस्तुभ की परवरिश ठाणे में हुई थी। उनके पिता एक कंपनी से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। वहीं मां प्राइवेट स्कूल में शिक्षिका हैं। ज़िंदगी के इस पड़ाव में उन्होंने अपना इकलौता बेटा खो दिया। यह खबर सुनते ही उन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा, लेकिन इस बात पर गर्व है कि कौस्तुभ ने बहुत बहादुरी का प्रदर्शन किया और अपने देशवासियों की जान बचाते हुए कुर्बानी दी।

मेजर कौस्तुभ राणे

लेफ्टिनेंट से भर्ती, मेजर पर वीरगति
कौस्तुभ की पत्नी कनिष्का की आंखें नम हैं। उनका ढाई साल का बेटा भी है। कौस्तुभ ने कंप्यूटर एप्लिकेशन में ग्रेजुएशन किया था, लेकिन बाद में किसी कंपनी में नौकरी के बजाय सेना में जाना पसंद किया। वे 2008 में लेफ्टिनेंट के पद पर भर्ती हुए थे। फिर 2011 में कैप्टन बने और उसी साल मेजर बन गए। उन्हें गणतंत्र दिवस पर सम्मानित किया गया था।

लोगों की मांग, पाक को डालो नकेल
कौस्तुभ ने सेना के कई मिशन में वीरता का प्रदर्शन किया। इसी क्रम में वे जम्मू-कश्मीर के बांदीपोर जिले के गुरेज सेक्टर में सोमवार-मंगलवार की रात को आतंकियों की घुसपैठ नाकाम करने के लिए गश्त पर थे। वहां उन पर अचानक हमला हुआ, जिसमें कौस्तुभ सहित चार जवान शहीद हो गए। वहीं सेना ने भी चार आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया। उसके बाद एक अन्य मुठभेड़ में सेना ने 5 आतंकी मार डाले। कौस्तुभ की अंतिम यात्रा में बेहद गमगीन माहौल था। लोगों ने मांग की है कि पाकिस्तान को कड़ा जवाब दिया जाए।

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