सच साबित हुई कुमारस्वामी की चुनाव पूर्व भविष्यवाणी
सच साबित हुई कुमारस्वामी की चुनाव पूर्व भविष्यवाणी
बेंगलूरु/दक्षिण भारतराज्य के अगले मुख्यमंत्री बनने जा रहे एचडी कुमारस्वामी की एक भविष्यवाणी चुनाव प्रक्रिया के बाद पूरी होने जा रही है। उन्होंने चुनाव पूर्व और चुनाव के बाद हुए सभी सर्वेक्षणों के नतीजों को खारिज करते हुए इस बार राज्य में ’’किंगमेकर’’ के स्थान पर ’’किंग’’ बनने का दावा किया था। उन्होंने मीडिया के एक हिस्से में प्रकाशित और प्रसारित इस धारणा की भी जमकर आलोचना की थी कि जनता दल (एस) चुनाव में टक्कर लेने जा रहीं दो राष्ट्रीय पार्टियों कांग्रेस और भाजपा के सामने एक छोटी सी ताकत है। उनका यह मतलब था कि उनकी पार्टी चुनाव के बाद अपने ही दम पर सरकार बनाने के लिए पूर्ण बहुमत हासिल करेगी। ङ्घहालांकि जनता दल (एस) को अपने दम पर बहुमत नहीं मिल सका लेकिन कुमारस्वामी अवश्य ही राज्य के किंग बनने जा रहे हैं्।हालांकि इस चुनाव में जनता दल (एस) को कर्नाटक के कुल मतदाताओं में से सिर्फ १८.३ प्रतिशत मतदाताओं का ही समर्थन हासिल हो सका और वर्ष २०१३ में हुए पिछले विधानसभा चुनाव की अपेक्षा इसे तीन सीटें कम मिलीं लेकिन अब जनता दल (एस) राज्य की राजनीति के केंद्र में है। अब कांग्रेस भी इसे भाजपा की ’’बी-टीम’’ के रूप में नहीं देख रही है। राज्य में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति उभरने के बाद जिस प्रकार से तीव्र राजनीतिक कवायद सामने आई और जो घटनाक्रम देखने को मिला, उसमें कांग्रेस ने ७८ सीटें जीतने के बाद भी जनता दल (एस) को बिना शर्त समर्थन देने की घोषणा कर दी ताकि दोनों पार्टियां मिलकर राज्य की अगली सरकार बना सकें्। कर्नाटक में जनता दल (एस) ने अब तक के अपने राजनीतिक इतिहास में अधिकतम ५८ सीटें और कुल मतदाताओं में से २०.७७ प्रतिशत मतदाताओं का समर्थन हासिल करने में सफलता हासिल की है। यह उस समय की बात है, जिस समय जनता दल (एस) अपने राजनीतिक प्रभाव के शिखर पर था। यह सफलता वर्ष २००४ के विधानसभा चुनाव में मिली थी। इससे पूर्व वर्ष १९९९ के चुनाव में जनता दल (एस) की वोट हिस्सेदारी मात्र १०.४२ प्रतिशत रही थी, जब जनता पार्टी में टूट के बाद पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौ़डा की अगुवाई वाले जनता दल (एस) ने अपना पहला चुनाव ल़डा था। वर्ष २००८ के चुनाव में इसे २८ सीटें और १८.९६ प्रतिशत मत हासिल हुए्। वहीं, वर्ष २०१३ के चुनाव में भाजपा से येड्डीयुरप्पा के अलग होने का लाभ जनता दल (एस) ने उठाया था। इस वर्ष चुनाव प्रचार अभियान के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जनता दल (एस) पर तीखा हमला बोला था। इसके उत्तर में जनता दल (एस) ने भी जवाबी हमला बोलने में कोई मुरौवत नहीं की थी। दोनों ने एक-दूसरे पर निशाना साधने में कोई कमी नहीं की थी। अब इन दोनों पार्टियों के नेताओं को सार्वजनिक तौर पर एक-दूसरे से हाथ मिलाते, मुस्कराकर गले मिलते हुए भी देखा जा रहा है। यह नेता चुनाव प्रचार अभियान के दौरान एक-दूसरे के खिलाफ की गई टिप्पणियों को तूल न देते हुए प्रचार के दौरान अपने-अपने रुख को स्वाभाविक बता रहे हैं।