असम में जारी हुआ एनआरसी का मसौदा, 40 लाख लोग अवैध घोषित
असम में जारी हुआ एनआरसी का मसौदा, 40 लाख लोग अवैध घोषित
दिसपुर। असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) का मसौदा जारी हो गया है। इसके अनुसार 2 करोड़ 89 लाख 83 हजार 677 लोगों को ही वैध नागरिक का दर्जा दिया गया है। वैध नागरिकता के लिए 3 करोड़ 29 लाख 91 हजार 384 लोग कतार में थे। उन्होंने आवेदन किया था। आंकड़ों के अनुसार, इनमें से 40 लाख 07 हजार 707 लोग अवैध माने गए हैं। इसका मतलब है कि उन पर अब बेघर होने का खतरा मंडरा रहा है।
एनआरसी के अधिकारी कहते हैं कि यह आखिरी सूची नहीं है। जो लोग इसमें शामिल होने से रह गए, उन्हें शिकायत दर्ज कराने का मौका मिलेगा। इस मामले पर अब राजनीति तेज हो गई है। ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने संसद में स्थगन प्रस्ताव की मांग कर डाली। वहीं आरजेडी कह रही है कि इस मामले में राजनीतिकरण हुआ है। मसौदा जारी होने से पहले ही राज्य में सुरक्षा के भारी बंदोबस्त किए गए थे। सीआरपीएफ के जवान किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए मुस्तैद थे।यह मसौदा आॅनलाइन भी प्रकाशित किया गया। इसके अलावा असम के एनआरसी सेवा केंद्रों में देखा जा सकता है। इसमें उन सभी भारतीय नागरिकों के नाम, पते और तस्वीरें प्रकाशित की गई हैं जो 25 मार्च, 1971 से पूर्व असम में रह रहे थे यानी वे भारतीय नागरिक थे। किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई थी। इसके अलावा प्रशासन ने 14 जिलों में धारा 144 लागू कर दी थी। मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने अधिकारियों के साथ बैठक की है। इस संबंध में अधिकारियों का कहना है कि जो वास्तविक नागरिक हैं, उन्हें घबराने की आवश्यकता नहीं है। उन्हें अपना दावा दर्ज कराने का एक और अवसर दिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि 1971 में जब पश्चिमी पाकिस्तान ने पूर्वी पाकिस्तान (आज का बांग्लादेश) में सेना भेजी तो कई लोग घुसपैठ कर भारत आ गए थे। बाद में भी उनमें से काफी लोग गए नहीं। बांग्लादेश में खराब आर्थिक हालात के कारण कई बांग्लादेशी अवैध रूप से भारत में घुसपैठ करते रहे हैं। वे यहां बसकर स्थानीय लोगों के हितों और अवसरों को नुकसान पहुंचाते हैं। यही नहीं, देश की सुरक्षा के लिए भी ऐसे तत्व खतरा बन सकते हैं। इसलिए सरकार ने अवैध रूप से रहने वाले लोगों को निकालने के लिए नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) बनाया। अंतिम आंकड़े जारी होने के बाद अवैध रूप से रहने वालों को उनके देश भेजा जाएगा।
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