हर भारतवासी ले यह संकल्प
यह संकल्प सिर्फ दीपावली तक सीमित न रहे
आत्मनिर्भर और स्वच्छ भारत ही अधिक सुरक्षित, सशक्त एवं सुखी भारत बन सकता है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 'मन की बात' कार्यक्रम की 126वीं कड़ी में 'वोकल फॉर लोकल' को खरीदारी का मंत्र बनाने का किया गया आह्वान हर भारतवासी का संकल्प होना चाहिए। नवरात्र, दशहरा, करवा चौथ, धनतेरस, दीपावली, भैया दूज, छठ पूजा पर स्वदेशी चीजों की बिक्री को बढ़ावा मिलना चाहिए। देश की अर्थव्यवस्था स्वदेशी से ही मजबूत बनेगी। यह संकल्प सिर्फ दीपावली तक सीमित न रहे। क्रिसमस, नया साल, मकर संक्रांति, होली ... हर पर्व और विशेष अवसर पर देश के उद्योगों को नई शक्ति मिलनी चाहिए। प्रधानमंत्री के ये शब्द कि 'ठान लीजिए, हमेशा के लिए, जो देश में तैयार हुआ है, वही खरीदेंगे', भारत को आत्मनिर्भर बनाने का ऐसा सूत्र है, जिस पर गंभीरता से काम किया जाए तो एक साल में ही बहुत अच्छे नतीजे दिखाई दे सकते हैं। महात्मा गांधी ने भी स्वदेशी पर बहुत जोर दिया था। दुर्भाग्य से, पिछली सरकारों ने इस कार्य में ज्यादा रुचि नहीं दिखाई थी। अगर आज भारत हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर होता तो न इतनी बेरोजगारी होती और न ही विदेशी ताकतें हम पर दबाव डालने के लिए कोई दुस्साहस दिखा पातीं। प्रधानमंत्री मोदी इन दिनों लगभग हर मंच से स्वदेशी को बढ़ावा देने की बात कह रहे हैं। यह सराहनीय है। उन्हें अपनी टीम और भाजपा के सभी नेताओं तथा कार्यकर्ताओं से भी यह आग्रह करना चाहिए कि वे अपने जीवन में, जहां तक संभव हो, स्वदेशी चीजों का ही इस्तेमाल करें। सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक, जो भी चीजें काम में लें, वे अनिवार्यत: स्वदेशी हों। इसका संदेश बहुत दूर तक जाएगा और उसका असर भी ज्यादा होगा।
त्योहारों का स्वागत करने के लिए घर की सफाई जरूरी होती है। अभी देश के घर-घर में 'स्वच्छता अभियान' चल रहा है। हमें इसका विस्तार गली, मोहल्ले, गांव / शहर तक करना चाहिए। प्राय: लोग घरों की सफाई को तो प्राथमिकता देते हैं, लेकिन उनसे आगे सफाई व्यवस्था को सरकार की जिम्मेदारी मान लेते हैं। देश को साफ-सुथरा रखना हम सबकी जिम्मेदारी है। इसके लिए किसी खास दिन का इंतजार नहीं करना चाहिए। चूंकि त्योहारों पर घरों की सफाई और सुंदरता की ओर ज्यादा ध्यान दिया जाता है, इसलिए पूरे देश को अपना घर मानते हुए उसे हर तरह से सुंदर बनाने की कोशिश करनी चाहिए। यह उसी स्थिति में संभव है, जब सफाई अच्छी हो। जहां गंदगी के ढेर लगे हों, लोग सड़कों पर थूकते हों, जहां मर्जी हो वहां कूड़ा फेंकते हों, उस जगह कोई सजावट काम नहीं करेगी। जापान, सिंगापुर, जर्मनी, स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, दक्षिण कोरिया जैसे देशों को इतना साफ-सुथरा बनाने में वहां के नागरिकों का सबसे बड़ा योगदान है। जब लोग गंदगी फैलाना बंद कर देते हैं तो देश सफाई की ओर पहला कदम बढ़ा देता है। हम भी अपने देश को सफाई में अव्वल बना सकते हैं। यह कोई असंभव काम नहीं है। इसके लिए स्वच्छता को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाना होगा। 'यह देश हमारा है ... इसे साफ और सुंदर बनाना हमारा कर्तव्य है ... हम यहां गंदगी नहीं फैलाएंगे', इस भावना को आगे बढ़ाने की जरूरत है। पिछले कुछ वर्षों में लोग बहुत जागरूक हुए हैं। सार्वजनिक स्थान पहले से ज्यादा साफ दिखाई देने लगे हैं। अगर देश में सफाई की स्थिति बेहतर होगी तो पर्यटन को बहुत बढ़ावा मिलेगा। वहीं, कई बीमारियां, जो गंदगी के कारण पैदा होती हैं, की रोकथाम में मदद मिलेगी। आत्मनिर्भर और स्वच्छ भारत ही अधिक सुरक्षित, सशक्त एवं सुखी भारत बन सकता है।

