10 साल बाद यह पहला सत्र, जिसमें किसी भी विदेशी कोने से चिंगारी नहीं भड़काई गई: मोदी
प्रधानमंत्री ने बजट सत्र से पहले मां लक्ष्मी का स्मरण किया

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नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को बजट सत्र की शुरुआत में मीडिया को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आज बजट सत्र के प्रारंभ में, मैं समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी को प्रणाम करता हूं। ऐसे अवसर पर सदियों से हमारे यहां मां लक्ष्मी का पुण्य स्मरण किया जाता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मां लक्ष्मी हमें सिद्धि और विवेक देती हैं। समृद्धि और कल्याण भी देती हैं। मैं प्रार्थना करता हूं कि देश के हर गरीब एवं मध्यम वर्गीय समुदाय पर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा रहे।प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे गणतंत्र के 75 वर्ष पूरे हुए हैं और ये हर देशवासी के लिए गौरव के क्षण हैं। विश्व के लोकतांत्रिक जगत के लिए भी भारत की ये सामर्थ्य अपना एक विशेष स्थान रखती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरे तीसरे कार्यकाल का यह पहला पूर्ण बजट है। मैं विश्वास से कह सकता हूं कि वर्ष 2047 में जब आजादी के 100 साल होंगे, तब तक विकसित भारत का जो संकल्प देश ने लिया है, यह बजट सत्र और यह बजट उसमें एक नया विश्वास पैदा करेगा और नई ऊर्जा देगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि नवप्रवर्तन, समावेशन और निवेश लगातार हमारी आर्थिक गतिविधि के रोडमैप का आधार रहे हैं। इस सत्र में हमेशा की तरह कई ऐतिहासिक बिल पर सदन में चर्चा होगी और व्यापक मंथन के साथ वो राष्ट्र की ताकत बढ़ाने वाले कानून बनेंगे।
विशेषकर नारीशक्ति के गौरव को पुनः प्रस्थापित करना, पंथ-संप्रदाय के भेद से मुक्त होकर हर नारी को सम्मानपूर्ण जीवन और समान अधिकार मिले, इस दिशा में इस सत्र में कई महत्त्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बजट सत्र में सभी सांसद विकसित भारत को मजबूती देने के लिए अपना योगदान देंगे। विशेषकर जो युवा सांसद हैं, उनके लिए तो यह सुनहरा अवसर है, क्योंकि वे सदन में जितनी जागरूकता और भागीदारी बढ़ाएंगे, विकसित भारत के फल उनकी नजर के सामने देखने को मिलेंगे। इसलिए युवा सांसदों के लिए यह एक अनमोल अवसर है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं आशा करता हूं कि हम देश की आशा-आकांक्षाओं के इस बजट सत्र में खरे उतरेंगे। साल 2014 से लेकर अब तक शायद यह पहला संसद का सत्र है, जिसके एक दो दिन पहले कोई विदेशी चिंगारी नहीं भड़की है, विदेश से आग लगाने की कोशिश नहीं हुई है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं साल 2014 से देख रहा हूं कि हर सत्र से पहले शरारत करने के लिए लोग तैयार बैठते थे और यहां उन्हें हवा देने वालों की कोई कमी नहीं है। 10 साल बाद यह पहला सत्र मैं देख रहा हूं, जिसमें किसी भी विदेशी कोने से कोई चिंगारी नहीं भड़काई गई।