धनशोधन मामले में मनीष सिसोदिया को उच्च न्यायालय से झटका, की यह टिप्पणी

सिसोदिया को हिरासत में रहने के दौरान एक दिन सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे के बीच पत्नी से मिलने की अनुमति दे दी

धनशोधन मामले में मनीष सिसोदिया को उच्च न्यायालय से झटका, की यह टिप्पणी

न्यायाधीश ने कहा कि मामला 'बेहद गंभीर आरोपों' से संबंधित है

नई दिल्ली/भाषा। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धन शोधन के एक मामले में आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया को उनके खिलाफ 'बेहद गंभीर' आरोपों और 'साक्ष्यों से छेड़छाड़' की आशंका को देखते हुए अंतरिम जमानत देने से सोमवार को इनकार कर दिया।

न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने हालांकि मनीष सिसोदिया को हिरासत में रहने के दौरान एक दिन सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे के बीच अपनी बीमार पत्नी से मिलने की अनुमति दे दी।

न्यायाधीश ने कहा कि यह देखते हुए कि मामला 'बेहद गंभीर आरोपों' से संबंधित है और अगर शहर की आप सरकार में कई पदों पर रहे सिसोदिया को रिहा किया जाता है, तो सबूतों से छेड़छाड़ की आशंका है। न्यायाधीश ने कहा, अदालत को छह सप्ताह के लिए अंतरिम जमानत पर याचिकाकर्ता को रिहा करने के लिए खुद को राजी करना बहुत मुश्किल लगता है।

पूर्व में अदालत ने एलएनजेपी अस्पताल से सिसोदिया की पत्नी के बारे में एक रिपोर्ट मांगी थी। अदालत ने यह भी सुझाव दिया कि उनकी जांच यहां एम्स के डॉक्टरों के एक बोर्ड द्वारा की जाए। इसने निर्देश दिया कि उन्हें सबसे अच्छा उपचार दिया जाना चाहिए।

अदालत ने एलएनजेपी अस्पताल की मेडिकल रिपोर्ट पर गौर किया, जिसमें कहा गया था कि सिसोदिया की पत्नी की हालत स्थिर है और उनकी करीबी निगरानी की जरूरत है।

दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने छह हफ्ते के लिये अंतरिम जमानत का अनुरोध करते हुए कहा था कि उनकी बीमार पत्नी की देखभाल करने वाला उनके अलावा कोई और नहीं है। मामले में नियमित जमानत के लिए सिसोदिया की याचिका उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है।

इस मामले में नौ मार्च को गिरफ्तार किए गए सिसोदिया अभी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की न्यायिक हिरासत में है। ईडी ने सबूतों के साथ छेड़छाड़ की आशंका जाहिर करते हुए अंतरिम जमानत याचिका का विरोध किया है।

ईडी के वकील ने दावा किया कि सिसोदिया की पत्नी चिकित्सीय स्थिति पिछले 20 साल से ऐसी ही है।

दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर 2021 को नीति लागू की थी, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत में इसे वापस ले लिया था।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने आबकारी नीति से जुड़े उस मामले में 30 मई को सिसोदिया को जमानत देने से इनकार कर दिया था, जिसकी जांच केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) कर रहा है।

अदालत ने कहा था कि उनके खिलाफ लगे आरोप बहुत गंभीर प्रकृति के हैं।

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