मोढेरा मॉडल
राजस्थान से लेकर सुदूर अरुणाचल प्रदेश तक सूर्य की इतनी किरणें बरसती हैं कि हम ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर तो हो ही सकते हैं, बल्कि पड़ोसी देशों की सहायता कर सकते हैं
गुजरात के मोढेरा गांव ने देश का पहला सोलर गांव बनकर इतिहास रच दिया, जिसके लिए इसके निवासी बधाई के हकदार हैं। निस्संदेह जब कभी सौर ऊर्जा की चर्चा होगी, तो वह मोढेरा के उल्लेख बिना अधूरी रहेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां आकर जो आह्वान किया, वह यहीं तक सीमित नहीं रहना चाहिए। अब बारी है देश के अन्य गांवों की। वे भी सौर ऊर्जा के क्षेत्र में कदम बढ़ाएं और पर्यावरण स्वच्छता के साथ देश को आत्मनिर्भर बनाने में योगदान दें।
ईश्वर ने हमारे देश पर अत्यंत कृपा की है। यहां साल के अधिकांश महीनों में सूर्य की भरपूर रोशनी उपलब्ध रहती है। राजस्थान से लेकर सुदूर अरुणाचल प्रदेश तक सूर्य की इतनी किरणें बरसती हैं कि हम ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर तो हो ही सकते हैं, बल्कि पड़ोसी देशों की सहायता कर सकते हैं। अरुणाचल के नाम में ‘सूर्य’ समाहित है। इससे संकेत मिलता है कि हमारे पूर्वजों ने यह नाम बहुत सोच-समझकर रखा है। अभी सौर ऊर्जा को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में हिचक है ... ‘यह चलेगी या नहीं’ जैसे सवाल हैं। उम्मीद है कि मोढेरा मॉडल से इन सबका जवाब मिल जाएगा।आज जब यूरोपीय देश यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद ऊर्जा संकट से जूझ रहे हैं और लोगों को आशंका है कि वहां सर्दियों में इसके कारण आर्थिक संकट गहरा सकता है, वहीं मोढेरा गांव सबके लिए मिसाल बन सकता है। यह पूरी तरह सौर ऊर्जा से चलेगा, जिसके मॉडल का अध्ययन किया जाना चाहिए। आखिर मोढेरा के लोगों ने यह उपलब्धि कैसे प्राप्त की?
निस्संदेह देश के दूसरे गांव भी इससे बहुत कुछ सीख सकते हैं। कोरोना काल में हमने देखा कि जब पर्यावरण प्रदूषण का स्तर कुछ कम हुआ तो लोगों को वे पहाड़ियां भी दिखने लगीं, जो वर्षों से ‘अदृश्य’ थीं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मनुष्य ने प्रकृति को कितनी हानि पहुंचाई है।
सौर ऊर्जा प्रकृति के उन घावों को भर सकती है, जिसके कारण आज कई रोग हर साल लाखों लोगों का जीवन समाप्त कर देते हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि वैज्ञानिक इसमें और शोध करेंगे, इस तकनीक को बेहतर से बेहतर बनाएंगे, जिससे यह न केवल सस्ती होगी, बल्कि इससे और कई काम हो सकेंगे। भविष्य में सौर ऊर्जा का उपयोग भोजन पकाने जैसे कार्यों में किया जाए तो हम रसोई गैस पर खर्च होने वाली बड़ी राशि बचा सकते हैं।
आज देश के कुछ मंदिरों में भगवान के लिए प्रसाद और भंडारे के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग इस आशा को बल देता है। ईश्वर ने सूर्य के रूप में हमें ऐसा दीपक दे दिया, जिसकी शक्ति का विवेकपूर्ण उपयोग न केवल अंधकार को दूर कर सकता है, बल्कि हमारी कई समस्याओं का समाधान इसमें निहित है।
आज विदेशी मुद्रा भंडार का महत्व सब जानते हैं। हमारा देश हर साल अरबों डॉलर सिर्फ पेट्रोल-डीजल खरीदने पर खर्च करता है। इस बीच यह देखना सुखद है कि पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहनों के नए संस्करण सामने आ रहे हैं, जो बिजली से चल रहे हैं। आने वाले वर्षों में यह बहुत बड़ी वाहन क्रांति सिद्ध हो सकती है। ऐसी सस्ती व सुलभ तकनीक पर काम हो कि सौर ऊर्जा से वाहनों को चार्ज किया जा सके। इससे अर्थव्यवस्था को बड़ा लाभ होगा। जो डॉलर हमारे खजाने से निकलकर विदेश जा रहे हैं, वे भारतवासियों की प्रगति पर खर्च होंगे।
सौर ऊर्जा से लोगों की परंपरागत बिजली पर निर्भरता कम होती जाएगी। उसके साथ कई विवाद अपने आप खत्म हो जाएंगे। बिजली कटौती, भारी-भरकम बिल, उनके परिणामस्वरूप हड़ताल, विरोध-प्रदर्शन आदि थमेंगे। हर परिवार स्वयं के उपयोग के लिए बिजली पैदा करेगा और जहां जरूरत होगी, खर्च कर सकेगा। खासतौर से ग्रामीण क्षेत्रों में जहां किसान बिजली कटौती से परेशान रहते हैं और उन्हें सिंचाई के लिए रातभर जागना पड़ता है, वे दिन में सिंचाई कर सकेंगे। इसका लाभ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगा।
कुल मिलाकर सौर ऊर्जा का जबरदस्त भविष्य है। केंद्र और राज्य सरकारों का दायित्व है कि वे इसका प्रचार-प्रसार करें, इसे सुलभ बनाएं। एक बार जब आम जनता इसके लाभ प्रत्यक्ष देख लेगी तो कदम आगे से आगे बढ़ते जाएंगे और भारत दुनिया के लिए सौर ऊर्जा के क्षेत्र में आदर्श उदाहरण बन जाएगा।