सबसे खतरनाक देश

सबसे खतरनाक देश

अगर पाकिस्तान में रख-रखाव की कमी या किसी अन्य कारण से स्वतः परमाणु विस्फोट हो गया तो उससे कितनी भयंकर स्थिति उत्पन्न हो सकती है?


अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पदभार ग्रहण करने के बाद पहली बार पाकिस्तान के बारे में वह बयान दिया है, जो उसकी कड़वी हकीकत बयान करता है। उन्होंने उचित ही कहा है कि पाक दुनिया का सबसे खतरनाक देश है। उसके पास परमाणु हथियारों का जो जखीरा है, उसकी सुरक्षा पर संदेह जताया जाता रहा है। साथ ही पारदर्शिता का घोर अभाव है। 

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पाकिस्तान बेलगाम होता जा रहा है। उसकी आतंकवादी मानसिकता किसी से छिपी नहीं है। उसने भारत को परेशान करने के लिए जो आतंकवादी पाल-पोसकर बड़े किए थे, वे अब उसके ही गले पड़ रहे हैं। कराची, लाहौर, पेशावर जैसे शहरों में आए दिन बम फूट रहे हैं। पाकिस्तानी फौज न केवल इन आतंकवादियों का पोषण करती है, बल्कि आतंकी सोच के कई अधिकारी और जवान उसका हिस्सा हैं। ऐसे में कोई अधिकारी तालिबान, आईएसआईएस या लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों को एक परमाणु बम दे दे तो उसके नतीजे कितने भयानक हो सकते हैं? विश्व समुदाय को इस पर विचार करना चाहिए। 

प्रश्न यह भी प्रासंगिक है कि अगर पाकिस्तान में रख-रखाव की कमी या किसी अन्य कारण से स्वतः परमाणु विस्फोट हो गया तो उससे कितनी भयंकर स्थिति उत्पन्न हो सकती है। दुनिया देख चुकी है कि सोवियत संघ में चेर्नाेबिल परमाणु दुर्घटना हुई तो कितने लोगों को उसकी कीमत चुकानी पड़ी थी। ईश्वर न करे, अगर पाक का अनियंत्रित एवं अमर्यादित परमाणु कार्यक्रम किसी दुर्घटना का शिकार होता है तो यह कई देशों के लिए मुसीबत साबित हो सकता है। इसलिए बेहतर तो यह होगा कि पाकिस्तान से ये परमाणु हथियार वापस ले लिए जाएं। चाहे इसके बदले उसके बाढ़ पीड़ितों को सहायता दे दी जाए।

परमाणु हथियार कोई खिलौना नहीं है। इसके निर्माण से कहीं ज्यादा इसका रख-रखाव और संभालने की क्षमता मायने रखती है। इस संबंध में भारत का रवैया एक शालीन एवं जवाबदेही वाले देश का रहा है। भारत के किसी भी पूर्व प्रधानमंत्री, वर्तमान प्रधानमंत्री से लेकर मंत्री तक ने कभी इसके उपयोग की धमकी नहीं दी। 

उधर, पाकिस्तान में गली-मोहल्ले के नेताओं से लेकर हर जनरल, हर प्रधानमंत्री यह राग अलापता रहा है कि हम परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं, हमसे डरो वरना हमला कर देंगे। उसके पूर्व केंद्रीय मंत्री शेख रसीद का यह बयान आज भी चर्चा में है कि उनके मुल्क के पास पाव-पाव के बम हैं। ऐसे बयान कोई विवेकशील मनुष्य नहीं दे सकता। वास्तव में पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार बंदर के हाथ में दियासलाई है, जिससे वह किसी का भी अनिष्ट कर सकता है। उसे खुद के भले-बुरे की परवाह नहीं है। अगर दूसरों का नुकसान होता है तो वह उसे अपने लिए इनाम समझता है। 

अमेरिका को विचार करना चाहिए कि जिस देश के प्रधानमंत्री, जनरल, मंत्री, नेता और आम जनता तक में यह भावना हो कि वे मौका मिलने पर इसका इस्तेमाल जरूर करेंगे, तो उन्हें ‘जिम्मेदारी’ का कितना बोध है? इन दिनों पाक की अर्थव्यवस्था रसातल में जा चुकी है। उसकी मुद्रा का लगातार अवमूल्यन हो रहा है। बाढ़ के कारण भारी तबाही हुई है, जिससे जनता में असंतोष है। स्वात में आतंकवादी संगठन कब्जा करने की कोशिशों में जुटे हैं। मौजूदा सरकार कब गिर जाए और कब मार्शल लॉ लग जाए, कुछ नहीं कहा जा सकता। 

ये सभी लक्षण बताते हैं कि पाक एक असामान्य देश है, जो परमाणु हथियार रखने की योग्यता नहीं रखता। देर-सबेर यहां किसी दुर्घटना की आशंका है, जिसे टालना दूरदर्शिता एवं मानवता की सेवा होगी। इसके लिए जरूरी है कि पाकिस्तान से सभी परमाणु हथियार लेकर इसकी गतिविधियों पर नजर रखी जाए। इसके परमाणु कार्यक्रम से जुड़े लोगों की जांच हो। बहुत संभव है कि वे पैसों के लालच में अन्य देशों को यह टेक्नोलॉजी बेच दें। 

अब्दुल कदीर खान, जिन्हें पाकिस्तान के परमाणु बम कार्यक्रम का जनक कहा जाता, ने ईरान, लीबिया और उत्तर कोरिया जैसे देशों को टेक्नोलॉजी बेचकर मोटी रकम कमाई थी। अगर पाक का कोई और वैज्ञानिक ऐसा कर दे तो क्या आश्चर्य!
 

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