मिश्रा का दोष क्या था?

मिश्रा का दोष क्या था?

भारत के बेहतरीन खुफिया सैटेलाइट बनाने वाले डॉ. तपन के. मिश्रा को बीते हफ्ते अहमदाबाद में इसरो अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के डायरेक्टर के पद से हटा दिया गया। बताया जा रहा है कि इसरो के उपक्रमों के निजीकरण का उन्होंने विरोध किया था। इसी वजह से उन्हें डायरेक्टर के पद से हटा दिया गया। अब उन्हें अहमदाबाद में अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के निदेशक से वरिष्ठ सलाहकार बना दिया गया है। ऐसी चर्चा हैं कि वरिष्ठ वैज्ञानिक को भारतीय अतंरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साथ मतभेदों के चलते हटाया गया है। बताया जाता है कि इसरो के अभियानों के विभिन्न क्षेत्रों में निजी संस्थाओं की ब़ढती भूमिका को लेकर दोनों के बीच मतभेद थे। मिश्रा को उनके पद से हटाने से एक दिन पहले ही इसरो ने दो प्राइवेट कंपनियों और एक सार्वजनिक उपक्रम के साथ २७ सेटेलाइट बनाने का करार किया था। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इस करार से तपन मिश्रा सहमत नहीं थे और उन्होंने इसका विरोध किया। देश के कुछ अहम उपग्रहों के निर्माण के लिए पहचाने जाने वाले मिश्रा भविष्य में भारतीय इसरो के प्रमुख के पद के दावेदारों में से एक हैं्। इसरों की कई शाखाएं विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रही है। इनके प्रमुख ही इसरो अध्यक्ष के रूप में नियुक्त होते रहे हैं्। ऐसी अटकलें हैं कि मिश्रा को हटाए जाने से उनकी संभावनाओं पर असर प़ड सकता है। मिश्रा को रिसैट-१ जैसी खुफिया सेटेलाइट बनाने के लिए जाना जाता है। ये सैटेलाइट भारत और उसके प़डोसी देशों पर निगरानी रखता है और अंधेरे में भी काम कर सकता है। मिश्रा ने कहा है कि वे इसरो में काम करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि मेरे लिए इसरो सबसे ब़डी चीज है। आज मैं जो कुछ भी हूं वह इसरो के वजह से ही हूं्। इसरो के उपक्रमों के निजीकरण को लेकर मिश्रा और चेयरमैन के बीच सहमति नहीं थी। उन्होंने जीसैट-११ की लांचिंग में देरी पर भी चिंता व्यक्त की थी। वहीं मार्च में जीसैट-६ ए से संपर्क टूट जाने पर इसरो को करारा झटका लगा था। ५७ वर्षीय तपन मिश्रा ने पश्चिम बंगाल के जाधवपुर यूनिवर्सिटी से प़ढाई की है। एक समय मिश्रा को दिमाग का कैंसर भी था और १० दिन तक वे कोमा में रहे थे। अस्पताल से छुट्टी के चार दिन बाद ही उन्होंने ऑफिस में अपना काम संभाल लिया और १० घंटे तक काम किया। मिश्रा की अगुवाई में ही भारत कई निगरानी सेटेलाइट जैसे कि रिसैट और कार्टोसैट बनाने में सफल हुआ था। २० फरवरी, २०१५ को भारतीय अंतरिक्ष विभाग की वेबसाइट पर मिश्रा के अहमदाबाद में इसरो अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के डायरेक्टर का पदभार संभालने की जानकारी देते हुए उनकी वैज्ञानिक और तकनीकी उपलब्धियों की तारीफ के लंबे-लंबे पुल बांधे गए थे। अब जिस तरह उन्हें उनके पद से हटा दिया गया है, उस पर सवाल उठने वाजिब ही हैं। देश के लिए महत्वपूर्ण संस्थानों में इस प्रकार की कार्रवाइयों से बचना जरूरी है।

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