निर्णायक कदम उठाए भारत
निर्णायक कदम उठाए भारत
कोई एक माह पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान में चल रही आतंकवादी संरक्षण नीति और आतंकी संगठनों पर क़डी कार्रवाई की चेतावनी के साथ पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक मदद बंद करने की घोषणा की थी। ट्रंप की इस घोषणा से पाकिस्तान को गहरा झटका लगा था। फिर पाकिस्तान से पिछले दिनों खबर आई थी कि पाकिस्तान की सरकार आतंकी हाफिज सईद के संगठनों जमात-उद-दावा तथा फलाह-ए-इंसानियत के खिलाफ कार्रवाई करेगी और इन पर पाबंदी लगाएगी। इस घोषणा का एक बार तो दुनिया में अच्छा संदेश गया और कयास लगाए गए कि अमेरिकी धमकी आतंकवाद के खिलाफ कारगर सिद्ध होगी, लेकिन एक हफ्ता भी नहीं बीता कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खक्कन अब्बासी ने शनिवार को ऐलान किया कि आतंकी हाफिज सईद और उसके किसी संगठन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। अब्बासी के इस बयान के बाद ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि शायद पाकिस्तान की सरकार आतंकी संगठनों, विशेषकर हाफिज सईद से डर गई है और उसे ऐसा लगता है कि सईद के खिलाफ कार्रवाई से राजनीतिक संकट ख़डा हो सकता है। पिछले दिनों यह भी खबर थी कि अमेरिकी सीनेट ने ट्रंप प्रशासन का जो बजट पारित किया था, उसमें पाकिस्तान की आर्थिक मदद की राशि भी निर्धारित की गई है। अब अब्बासी के सईद को लेकर बदले नजरिए को ट्रंप प्रशासन कैसे लेता है, यह देखना होगा। लेकिन यहां सवाल भारत का है, जो पिछले कई दशकों से सीमा पार के आतंकवाद से जूझ रहा है। अब्बासी जब हाफिज सईद के खिलाफ किसी प्रकार की कार्रवाई से मुकर गए हैं और उन्होंने स्पष्ट रूप से अपने बयान में भारत के लिए कहा है कि उसने सईद के खिलाफ जितने भी सबूत दिए हैं, उसे पाकिस्तान नहीं मानता। साथ ही सलाह दी है कि अगर भारत को फिर भी कोई शिकायत है तो वह अन्तरराष्ट्रीय अदालत में मामला चलाए्। यह सही है कि अमेरिका व भारत के बीच रिश्तों में मजबूती देखी जा रही है और ट्रंप व प्रधानमंत्री मोदी के बीच रिश्ते भी दोस्ताना हैं, लेकिन पाकिस्तान की आतंकी नीति और सीमा पार आतंकवाद के मामले में भारत को अमेरिका पर निर्भरता त्यागकर अपने बूते पाकिस्तान व पाक आतंकवादियों के खिलाफ ठोस और कारगर कार्रवाई करनी होगी। अमेरिका पाकिस्तान की तालिबान समर्थक नीति से नाराज है। उसे भारत की चिंताओं की अधिक परवाह नहीं है। आर्थिक मदद भी इसी कारण से बंद की गई थी। अमेरिका ने यह भी कहा है कि वह अपने दम पर तालिबान के खिलाफ पाकिस्तान में भी कार्रवाई करेगा। क्या ऐसा कोई फैसला भारत नहीं कर सकता? भारत भी पाकिस्तान की सीमा में जाकर आतंकियों को सबक सिखा सकता है। आज नहीं तो कल भारत को आखिर ऐसा कदम उठाना ही होगा।