मनचलों से खतरा

मनचलों से खतरा

दिल्ली के एक उच्च आय वर्ग वाले इलाके में एक व्यक्ति ने कई दिनों तक एक पुरुष डॉक्टर का पीछा कर आखिरकार उसकी हत्या कर दी। इस घटना के लिए के लिए कुछ हद तक प्रशासन जिम्मेदार है क्योंकि डॉक्टर द्वारा कई बार शिकायत दर्ज कराए जाने के बावजूद इस मामले को हलके में इसलिए लिया गया क्योंकि पीछा करने वाला व्यक्ति एक पुरुष को अपना शिकार बना रहा था। ऐसे मनचलों से देश की महिलाएं तो खौफ में रहती ही हैं अब पुरुष भी इनका शिकार बनने लगे हैं। पिछले ही हफ्ते उत्तरप्रदेश की एक युवती का हाथ एक सरफिरे ने काट दिया था। प्रशासन और पुलिस ऐसे मामलों में कई बार कोई कार्यवाही केवल इसीलिए नहीं करती क्योंकि ऐसे मामलों में कई बार पुलिस की डांट फटकार के बाद ऐसे मनचलों का ब़डा वर्ग अपनी हरकतों से बा़ज आ जाता है। परंतु जिन लोगों पर पुलिस की कार्यवाही का असर नहीं प़डता वैसे ही लोग समाज के लिए खतरा साबित होते हैं। ऐसे सिरफिरों की वजह से कई परिवार उजा़ड चुके हैं। मनचलों के खिलाफ देश का कानून भी सख्ती से पेश नहीं आता। पीछा करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही भी कम़जोर है। पहली बार पक़डे जाने पर आसानी से जमानत मिल जाती है और साथ ही न्यायालय में पेश होने की भी आवश्यकता नहीं है। बार-बार ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्यवाही करना भी न्यायालय अपने अनुसार तय कर सकता है। इसी के साथ ऐसी घटनाओं को बॉलीवुड की फिल्मों से भी ब़ढावा मिलता है। कई फिल्मों में हीरो बार-बार हेरोइन का पीछा करता है और आखिरकार हीरोइन को मनाने में सफल हो जाता है। ऐसी फिल्मों से प्रेरणा लेकर कई मनचले अपनी हरकतों को अंजाम देते हैं। बॉलीवुड को भी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए इस बात पर ़जोर डालने की जरूरत है कि बार-बार पीछा करने पर किसी का प्यार नहीं जीता जा सकता। विदेश के अनेक देशों में पीछा करने वालों के खिलाफ कानून में क़डे प्रावधान हैं। पीछा करने वाले को पीि़डत से निर्धारित दूरी रखने का आदेश दिया जाता है और ऐसा नहीं करने पर उन्हें कई सालों तक जेल में समय काटना प़डता है। युवतियों को भी मनचलों का दिलेरी से सामना करने की भी आवश्यकता है। साथ ही पुलिस और प्रशासन को भी ऐसे मामलों में क़डी कार्यवाही करने की जरूरत है। किसी भी मसले को हलके में नहीं लेते हुए पहली गलती से ही सिरफिरों की हरकतों पर नकेल कसनी चाहिए। देश में प्रतिदिन ह़जारों महिलाएं और युवतियों को मनचलों का खौफ सताता है और यह हमारे समाज की भी जिम्मेदारी है कि ऐसी हरकतों पर रोक लग सके। मूकदर्शक होकर ऐसी घटनाओं को देखने वाली जनता को भी जागरूक होने की आवश्यकता है।

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