विस उपचुनाव के प्रचार से कुमारस्वामी की दूरी ने कांग्रेस की परेशानियों पर डाला बल
विस उपचुनाव के प्रचार से कुमारस्वामी की दूरी ने कांग्रेस की परेशानियों पर डाला बल
बेंगलूरु/दक्षिण भारत। 19 मई को उप-चुनाव का सामना करने जा रहीं दो विधानसभा सीटों चिंचोली और कुंडगोल का चुनाव परिणाम एक वर्ष पुराने जनता दल (एस)-कांग्रेस गठबंधन सरकार के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण साबित होने वाला है। इसके बावजूद मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने दोनों सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों के चुनाव अभियान से खुद को दूर रखा है। कर्नाटक में कांग्रेस नेताओं के बीच यह एक बड़ी चिंता का विषय है। जहां कांग्रेस और भाजपा के नेता गर्मजोशी से चुनाव ल़ड रहे हैं, भारी गर्मी की तपिश के बीच विपक्ष पर हमले करने और उसके हमलों का जवाब देने में व्यस्त हैं, वहीं कुमारस्वामी बेहद थकानेवाले प्रचार अभियान की कसौटी पर खुद को कसने में उदासीन बने हुए हैं।
उनकी इस उदासीनता ने कांग्रेस नेताओं के रातों की नींद हराम कर रखी है। कांग्रेस पर उप चुनाव में इन दोनों सीटों को अपने पास बरकरार रखने का दबाव है। चिंचोली सीट कांग्रेस के पूर्व नेता उमेश जाधव द्वारा खाली की गई है। उन्होंने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे के खिलाफ भाजपा प्रत्याशी के रूप में अपनी किस्मत आजमाने के लिए कांग्रेस और विधानसभा सीट दोनों से इस्तीफा दे दिया था।वहीं, पूर्व मंत्री और विधायक सीएस शिवल्ली की अचानक हुई मृत्यु के बाद कुंडगोल सीट के लिए उपचुनाव जरूरी हो गया। कुमारस्वामी ने दो चरणों में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान गठबंधन की साझा सीटों पर चुनाव अभियाने के दौरान कड़ी मेहनत की। लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद उन्होंने ‘आराम’ लेने का विकल्प चुना और अपने परिवार के सदस्यों के साथ वह कोडगु जिले के एक निजी रिसॉर्ट में चले गए और खुद को विधानसभा उप चुनाव के प्रचार अभियानों से पूरी तरह दूर कर लिया।
उल्लेखनीय है कि मौजूदा गठबंधन सरकार के पास राज्य की 225 सदस्यीय विधानसभा में बेहद छिछला बहुमत है। सो, दो विधानसभा सीटों पर होने जा रहे उप चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करना सत्तासीन गठबंधन के लिए बेहद जरूरी है। इनमें से किसी भी सीट पर कांग्रेस की हार राज्य सरकार की स्थिरता को खतरे में डाल देगी। पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बीएस येड्डीयुरप्पा इन दोनों सीटों पर अपने प्रचार अभियान के दौरान लगातार यह दावा कर रहे हैं कि गठबंधन सरकार के पास सत्ता के दिन गिने-गिनाए हैं और २३ मई को लोकसभा सीटों की मतगणना के बाद राज्य की राजनीति में एक और उफान आने वाला है।
येड्डीयुरप्पा यह दावा भी लगातार करते रहे हैं कि आगामी उप चुनाव में भाजपा दोनों विधानसभा सीटों पर जीत हासिल करेगी और कर्नाटक विधानसभा में वर्तमान 104 से अपनी संख्या को ब़ढाकर 106 कर लेगी। अगर उनकी बात सही साबित होती है तो भाजपा के लिए तीन निर्दलीय उम्मीदवारों का समर्थन जुटाकर सत्तासीन गठबंधन को सत्ता से बाहर करने में आसानी हो जाएगी। प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व भी उपचुनाव के परिणामों का महत्व अच्छी तरह से समझता है। सो, कांग्रेस नेता कुंडगोल और चिंचोली विधानसभा सीटों पर गठबंधन के उम्मीदवारों को समर्थन देने के लिए मुख्यमंत्री को आगे लाने के सभी प्रयासों में जुटे हुए हैं।
जनता दल (एस) पार्टी के विभिन्न हलकों में चल रही चर्चाओं की मानें तो मुख्यमंत्री कुमारस्वामी वास्तव में मंड्या लोकसभा सीट पर कांग्रेस नेताओं के असहयोग से परेशान थे। उनका आरोप यह रह है कि मंड्या सीट पर उनके बेटे निखिल कुमारस्वामी को कांग्रेस नेताओं ओर कार्यकर्ताओं का पूरा समर्थन नहीं मिला था। उनकी इसी सोच ने कुमारस्वामी को विधानसभा उप चुनावों से खुद को दूर रखने पर मजबूर कर दिया। शनिवार को इस बारे में पूछे जाने पर पूर्व एमएलसी और जनता दल (एस) के प्रवक्ता रमेश बाबू ने कहा, मुख्यमंत्री ने लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान में अपनी पूरी ताकत झोंकने के बाद कुछ समय आराम करने का निर्णय लिया है।
कुछ अपवादों को छो़ड दें तो इसके मिसाल मौजूद हैं कि किसी भी मुख्यमंत्री को विधानसभा उप-चुनाव में प्रचार नहीं करना चाहिए। वैसे भी दो सीटें कांग्रेस के पास हैं और हमारे गठबंधन सहयोगी के लिए उन्हें बनाए रखने के लिए कोई समस्या नहीं होनी चाहिए्।’’ बहरहाल, रमेश बाबू ने आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री के चुनाव प्रचार में हिस्सा लेने की संभावना से भी इनकार नहीं किया।