मेरी मां जितनी सरल हैं, उतनी ही असाधारण हैं: मोदी

मेरी मां जितनी सरल हैं, उतनी ही असाधारण हैं: मोदी

अपनी मां के 100वें वर्ष में प्रवेश करने पर प्रधानमंत्री का भावनात्मक ब्लॉग


नई दिल्ली/दक्षिण भारत। अपनी मां के 100वें साल में प्रवेश करने के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक भावनात्मक ब्लॉग लिखा। उन्होंने अपनी मां के साथ बिताए हुए कुछ पलों को याद किया। उन्होंने उनको बड़ा करने के दौरान मां द्वारा किए गए बलिदानों को याद किया और अपनी मां की विभिन्न खूबियों का उल्लेख किया जिससे उनके दिमाग, व्यक्तित्व और आत्म विश्वास को आकार मिला।

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प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा, आज, मुझे यह बताते हुए बेहद खुशी और सौभाग्य की अनुभूति हो रही है कि मेरी मां श्रीमती हीराबा मोदी अपने 100वें साल में प्रवेश कर रही हैं। यह उनका जन्म शताब्दी वर्ष होने जा रहा है।

लचीलेपन की प्रतीक
बचपन में अपनी मां के सामने आई मुश्किलों को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, मेरी मां जितनी सरल हैं, उतनी ही असाधारण हैं। बिल्कुल दूसरी सभी माताओं की तरह्। छोटी सी उम्र में ही, मोदी की मां ने अपनी मां को खो दिया था। उन्होंने कहा, उन्हें मेरी नानी का चेहरा या उनकी गोद तक याद नहीं है। उन्होंने अपना पूरा बचपन अपनी मां के बिना बिताया है।

उन्होंने वडनगर में मिट्टी की दीवारों और मिट्टी की खपरैल की छत से बने अपने छोटे से घर को याद किया, जहां वह अपने माता-पिता और भाई-बहन के साथ रहा करते थे। उन्होंने रोजमर्रा में आने वाली मुश्किलों का उल्लेख किया, जिनका उनकी मां ने सामना किया और उन पर विजय प्राप्त की। उन्होंने बताया कि कैसे उनकी मां न सिर्फ घर के सभी काम किया करती थीं बल्कि कम घरेलू आय की भरपाई के लिए भी काम करती थीं। वह कुछ घरों में बर्तन मांजा करती थीं और घरेलू खर्च में सहायता के उद्देश्य से चरखा चलाने के लिए समय निकालती थीं।

प्रधानमंत्री मोदी ने याद करते हुए कहा, बारिश के दौरान, हमारी छत से पानी टपकता था और घर में पानी भर जाता था। मां बारिश के पानी को जमा करने के लिए बाल्टियां और बर्तन रखती थीं। ऐसे विपरीत हालात में भी मां लचीलेपन की प्रतिमूर्ति थीं।

स्वच्छता में लगे लोगों के प्रति गहरा सम्मान
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, स्वच्छता एक ऐसा कार्य था, जिसके लिए उनकी मां हमेशा ही खासी सतर्क रहीं। उन्होंने अपनी मां के स्वच्छता बनाए रखने से जुड़े कई उदाहरण दिए। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनकी मां साफ-सफाई में लगे लोगों के प्रति गहरा सम्मान रखती थीं। जब भी कोई उनके घर से लगी नाली की सफाई करने आता था, तो उनकी मां उसे चाय पिलाए बिना नहीं जाने देती थीं।

दूसरों की खुशी में खुशी तलाशना
उन्होंने बताया कि उनकी मां दूसरे लोगों की खुशियों में अपनी खुशी तलाश लेती थीं और उनका दिल बहुत बड़ा था। उन्होंने याद करते हुए बताया, मेरे पिता के एक दोस्त पास के गांव में रहा करते थे। उनकी असमय मृत्यु के बाद, मेरे पिता अपने दोस्त के बेटे अब्बास को हमारे घर पर ले आए। वह हमारे साथ रहा और अपनी पढ़ाई पूरी की। मां को हम भाई-बहनों की तरह अब्बास से पर्याप्त स्नेह था और उसकी देखभाल करती थीं। हर साल ईद पर वह उसके पसंदीदा व्यंजन बनाती थीं। त्योहारों पर, पड़ोस के बच्चों का घर पर आना और मां की खास तैयारियों का लुत्फ उठाना आम बात थी।

सार्वजनिक रूप से सिर्फ दो अवसरों पर गईं
ब्लॉग पोस्ट में, मोदी ने उन दो अवसरों के बारे में बताया जब वह अपनी मां के साथ सार्वजनिक रूप से गए थे। एक बार, वह अहमदाबाद के एक सार्वजनिक समारोह में गए जब उन्होंने श्रीनगर से वापस लौटने पर उनके माथे पर तिलक लगाया था, जहां उन्होंने एकता यात्रा पूरी करते हुए लाल चौक पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया था। दूसरा मौका तब आया, जब प्रधानमंत्री मोदी ने 2001 में पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी।

मां ने जीवन का एक पाठ पढ़ाया
मोदी ने लिखा कि उनकी मां ने उन्हें यह अहसास कराया कि औपचारिक रूप से शिक्षा हासिल किए बिना भी सीखना संभव है। उन्होंने एक घटना साझा की जब वह अपनी सबसे बड़ी शिक्षक- अपनी मां के साथ अपने सभी शिक्षकों को सार्वजनिक रूप से सम्मानित करना चाहते थे। हालांकि, उनकी मां ने यह कहकर इनकार कर दिया, देखो, मैं एक सामान्य महिला हूं। मैंने तुम्हें भले ही जन्म दिया है, लेकिन तुम्हें सर्वशक्तिमान ने पढ़ाया और बड़ा किया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भले ही उनकी मां कार्यक्रम में नहीं आईं, लेकिन उन्होंने सुनिश्चित किया कि वह अपने स्थानीय शिक्षक जेठाभाई जोशी जी के परिवार को बुलाएं, जिन्होंने उन्हें अक्षर यानी अल्फाबेट पढ़ाए थे। उन्होंने कहा, उनकी विचार की प्रक्रिया और दूरदर्शी सोच उन्हें हमेशा चौंकाती रही है।

एक कर्तव्यपरायण नागरिक
पीएम मोदी ने बताया कि एक कर्तव्यपरायण नागरिक के रूप में उनकी मां ने चुनाव की शुरुआत के बाद से पंचायत से लेकर संसद तक हर चुनाव में मतदान किया।

एक अत्यंत सरल जीवनशैली को अपनाना
मां की अत्यंत सरल जीवनशैली के बारे में बताते हुए, पीएम मोदी ने लिखा कि आज भी, उनकी मां के नाम पर कोई संपत्ति नहीं है। पीएम मोदी ने कहा, मैंने उन्हें कोई सोने का आभूषण पहने नहीं देखा और उन्हें उनमें कोई दिलचस्पी नहीं है। पहले की तरह वह आज भी अपने छोटे से कमरे में बेहद सरल जीवनशैली जीती हैं।

वर्तमान घटनाक्रमों की जानकारी रखना
पीएम मोदी ने कहा कि वह दुनिया में होने वाले घटनाक्रमों की जानकारी रखती हैं। उन्होंने अपने ब्लॉग में बताया, हाल में, मैंने उनसे पूछा कि वह रोजाना कितनी देर टीवी देखती हैं। उन्होंने बताया कि टीवी पर ज्यादातर लोग एक दूसरे से लड़ने में व्यस्त रहते हैं और वह सिर्फ उन्हें ही देखती हैं जो शांति से समाचार पढ़ते हैं और हर बात विस्तार से बताते हैं। मुझे सुखद आश्चर्य हुआ कि मां घटनाओं पर इतनी नजर रखती हैं।

इतनी उम्र के बावजूद अच्छी स्मरण शक्ति
पीएम मोदी ने 2017 की एक अन्य घटना के बारे में बताया, जिससे उनकी ज्यादा उम्र के बावजूद सतर्कता का पता चलता है। 2017 में, पीएम मोदी सीधे काशी से अपनी मां से मिलने गए और उनके लिए प्रसाद लेकर आए। पीएम मोदी ने कहा, जब मैं मां से मिला, तो उन्होंने मुझसे तत्काल पूछा कि क्या मैंने काशी विश्वनाथ महादेव को नमन किया। मां अभी तक पूरा नाम- काशी विश्वनाथ महादेव बोलती है। उस समय बातचीत के दौरान, उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या काशी विश्वनाथ मंदिर जाने वाली गलियां पहले जैसी हैं, मानो मंदिर किसी के घर के अंदर कोई मंदिर हो। मैं आश्चर्यचकित रह गया और पूछा कि आप कब मंदिर घूमने गई थीं। उन्होंने बताया कि वह काशी कई साल पहले गई थीं, लेकिन आश्चर्य की बात थी कि उन्हें सब कुछ याद था।

दूसरों की पसंद का सम्मान करना
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे बताया कि उनकी मां न सिर्फ दूसरों की पसंद का सम्मान करती हैं, बल्कि अपनी पसंद थोपने से भी बचती हैं। पीएम मोदी ने बताया, विशेष रूप से मेरे मामले में उन्होंने मेरे फैसलों का सम्मान किया, कभी मेरे लिए बाधा खड़ी नहीं की और मुझे प्रोत्साहित किया। बचपन से ही, उन्हें लगता था कि मेरे भीतर एक अलग सोच विकसित हो रही है। यह मोदी की मां ही थीं, जिन्होंने उन्हें पूरा समर्थन दिया जब उन्होंने घर छोड़ने का फैसला किया। उनकी इच्छाओं को समझते हुए और उन्हें आशीर्वाद देते हुए, उनकी मां ने कहा, वैसा करो, जैसा तुम्हारा दिल कहता है।

गरीब कल्याण पर ध्यान
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनकी मां ने हमेशा ही उन्हें दृढ़ संकल्प और गरीब कल्याण पर जोर देने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने 2001 की एक घटना के बारे में बताया, जब उन्हें गुजरात का मुख्यमंत्री घोषित किया गया था। गुजरात पहुंचने के बाद, पीएम मोदी सीधे अपनी मां से मिलने गए। वह बहुत खुश थीं और उनसे कहा, मैं सरकार में तुम्हारा काम नहीं समझती, लेकिन मैं तुमसे सिर्फ इतना चाहती हूं कि कभी रिश्वत मत लेना।

उनकी मां उन्हें आश्वस्त करती रहीं कि उन्हें कभी भी उनकी चिंता नहीं करनी चाहिए और अपनी बड़ी जिम्मेदारियों का ध्यान रखना चाहिए। जब भी वह फोन पर उनसे बात करते हैं, उनकी मां कहती हैं, कभी कुछ गलत मत करना या किसी के साथ बुरा मत करना और गरीबों के लिए काम करते रहना।

जीवन का मंत्र- कठोर परिश्रम
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनके माता-पिता की ईमानदारी और आत्म सम्मान उनकी सबसे बड़ी खूबी है। गरीबी और उससे जुड़ी चुनौतियों के साथ संघर्ष के बावजूद, पीएम मोदी ने कहा कि उनके माता-पिता ने कभी भी ईमानदारी का रास्ता नहीं छोड़ा या अपने आत्म-सम्मान के साथ समझौता नहीं किया। किसी भी चुनौती से उबरने का उनका सबसे प्रमुख मंत्र लगातार कठोर परिश्रम था!

मातृशक्ति की प्रतीक
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, मेरी मां के जीवन की कहानी में, मैं भारत की मातृशक्ति की तपस्या, बलिदान और योगदान देखता हूं। जब भी मैं मां और उनके जैसी करोड़ों महिलाओं को देखता हूं तो मुझे लगता है कि भारतीय महिलाओं के लिए कुछ भी असंभव नहीं है। मोदी ने अपनी मां के जीवन की कहानी का कुछ शब्दों में इस तरह वर्णन किया...

अभावों की हर कहानी से परे, एक मां की गौरवशाली गाथा है,
हर संघर्ष से कहीं ऊपर, एक मां का दृढ़ संकल्प है।

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