एनआरसी प्रमुख ने आंकड़ों में ‘विसंगतियों’ के आरोप में हजेला के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई

एनआरसी प्रमुख ने आंकड़ों में ‘विसंगतियों’ के आरोप में हजेला के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई

असम में रह रहे मूल भारतीय नागरिकों के आधिकारिक रिकॉर्ड ‘एनआरसी’ को उच्चतम न्यायालय की निगरानी में अद्यतन किया गया था


गुवाहाटी/भाषा। राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के असम समन्वयक हितेश देव सरमा ने अपने पूर्ववर्ती प्रतीक हजेला और अन्य पर पंजी को अद्यतन करते समय ‘राष्ट्र विरोधी’ और आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाते हुए सीआईडी में एक शिकायत दर्ज कराई है।

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एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि बहरहाल, आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) ने अभी तक आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं की है। आरोपियों में इस प्रक्रिया से जुड़े कई अधिकारी और डेटा एंट्री ऑपरेटर शामिल हैं।

असम में रह रहे मूल भारतीय नागरिकों के आधिकारिक रिकॉर्ड ‘एनआरसी’ को उच्चतम न्यायालय की निगरानी में अद्यतन किया गया था और 31 अगस्त 2019 को यह सूची जारी की गई थी, जिसमें 19 लाख से अधिक आवेदकों को बाहर कर दिया गया था। हालांकि, भारत के महापंजीयक ने इसे अधिसूचित नहीं किया है।

असम-मेघालय कैडर के 1995 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हजेला को उच्चतम न्यायालय ने 2013 में एनआरसी का राज्य समन्वयक नियुक्त किया था। उन्हें 12 नवंबर 2019 को इस प्रभार से मुक्त कर दिया गया था। अदालत ने हजेला का असम से उनके गृह राज्य मध्य प्रदेश में तबादला करने का आदेश दिया था।

एक अधिकारी ने नाम न उजागर करने की शर्त पर ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘हमें एनआरसी कार्यालय से एक शिकायत मिली है। सीआईडी द्वारा किसी भी मामले को दर्ज करने से पहले उचित प्रक्रिया का पालन किया जाएगा। हम इस शिकायत पर विचार कर रहे हैं।’’

इस शिकायत की एक प्रति ‘पीटीआई-भाषा’ के पास उपलब्ध है। शिकायत में शर्मा ने एनआरसी को अद्यतन करने की प्रक्रिया के दौरान ‘फैमिली ट्री वेरिफिकेशन’ और अन्य दस्तावेजों के सत्यापन की प्रक्रिया में कथित विसंगतियों का आरोप लगाया है।

नागरिकता दस्तावेज को अद्यतन करने की प्रक्रिया के दौरान विरासत के आंकड़ों की सटीकता स्थापित करने के लिए ‘फैमिली ट्री’ बनाए गए थे।

सरमा ने आरोप लगाया है कि हजेला ने ‘फैमिली ट्री’ के मिलान के दौरान गुणवत्ता की जांच के कोई आदेश नहीं दिए। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में इस्तेमाल किए गए सॉफ्टवेयर में भी गुणवत्ता की जांच की कोई गुंजाइश नहीं थी, इसलिए ‘अधिकारियों को उनके निहित स्वार्थों को पूरा करने के लिए गलत नतीजे अपलोड करने की पूरी छूट मिली।’

शिकायत में कहा गया है कि हो सकता है कि प्रतीक हजेला ने ऐसे सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल का आदेश देकर ‘एनआरसी में अयोग्य लोगों के नामों को शामिल करने’ के लिए अनिवार्य गुणवत्ता जांच को जानबूझकर नजरअंदाज किया हो, जिसे राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने वाले राष्ट्र-विरोधी कृत्य के तौर पर देखा जा सकता है।

सरमा ने दावा किया कि अद्यतन प्रक्रिया के कई अन्य चरणों में भी विसंगतियां पाई गई हैं। उन्होंने हजेला तथा अन्य लोगों पर धोखाधड़ी, जालसाजी व अन्य अपराधों में शामिल होने का आरोप लगाते हुए एक मामला दर्ज करने की मांग की है।

पहले भी अन्य लोगों ने ऐसे मुद्दों को लेकर हजेला के खिलाफ शिकायतें दी हैं। उच्चतम न्यायालय में भी कई याचिकाएं लंबित हैं।

मुख्यमंत्री हेमंत बिस्व सरमा ने 10 मई 2021 को कार्यभार संभालने के बाद कहा था कि उनकी सरकार असम के सीमावर्ती जिलों के लिए एनआरसी में 20 प्रतिशत नामों का पुन: सत्यापन कराना चाहती है।

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