आज भारत जो कहता है, दुनिया उसे आने वाले कल की आवाज़ मानती है: मोदी
विश्व ने इस बात को माना है कि आज भारत के साथ दो असीम शक्तियां हैं: डेमोग्राफी और डेमोक्रेसी
पुड्डुचेरी/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि आत्मनिर्भर भारत बनाने में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है, इसलिए जरूरी है कि यह क्षेत्र दुनिया में उभरती प्रौद्योगिकी का उपयोग करे।
प्रधानमंत्री ने यहां आयोजित दो दिवसीय 25वें राष्ट्रीय युवा महोत्सव का वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आज दुनिया भारत को आशा भरी निगाहों से देख रही है कि क्योंकि देश का, जन से मन तक, सामर्थ्य से लेकर सपनों तक और चिंतन से लेकर चेतना तक सब कुछ युवा है।प्रधानमंत्री ने कहा कि हम इसी वर्ष श्री ऑरबिंदो की 150वीं जयंती मना रहे हैं और इस साल महाकवि सुब्रमण्य भारती की भी 100वीं पुण्य तिथि है। इन दोनों मनीषियों का, पुड्डुचेरी से खास रिश्ता रहा है। ये दोनों एक दूसरे की साहित्यिक और आध्यात्मिक यात्रा के साझीदार रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्व ने इस बात को माना है कि आज भारत के साथ दो असीम शक्तियां हैं: डेमोग्राफी और डेमोक्रेसी। जिस देश के पास जितनी युवा जनसंख्या है, उसके सामर्थ्य को उतना ही बड़ा माना जाता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के युवाओं के पास डेमोग्राफिक डिविडेंड के साथ लोकतांत्रिक मूल्य भी हैं, उनका डेमोक्रेटिक डिविडेंड भी अतुलनीय है। भारत अपने युवाओं को डेमोग्राफिक डिविडेंड के साथ साथ डवलपमेंट ड्राइवर भी मानता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत जो सपने देखता है, संकल्प लेता है, उसमें भारत के साथ-साथ विश्व का भविष्य दिखाई देता है। भारत के इस भविष्य का, दुनिया के भविष्य का निर्माण आज हो रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत के युवा में अगर टेक्नालजी का चार्म है, तो लोकतंत्र की चेतना भी है। आज भारत के युवा में अगर श्रम का सामर्थ्य है, तो भविष्य की स्पष्टता भी है। इसीलिए, भारत आज जो कहता है, दुनिया उसे आने वाले कल की आवाज़ मानती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत का युवा वैश्विक समृद्धि के कोड लिख रहा है। पूरी दुनिया के यूनिकॉर्न इकोसिस्टम में भारतीय युवाओं का जलवा है। भारत के पास आज 50 हज़ार से अधिक स्टार्टअप्स का मजबूत इकोसिस्टम है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम मानते हैं कि बेटे-बेटी एक समान हैं। इसी सोच के साथ सरकार ने बेटियों की बेहतरी के लिए शादी की उम्र को 21 साल करने का निर्णय लिया है। बेटियां अपना करियर बना पाएं, उन्हें ज्यादा समय मिले, इस दिशा में ये एक बहुत महत्वपूर्ण कदम है।
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