हिम्मत और हुनर का दूसरा नाम ‘बर्फी वाली दादी’

हिम्मत और हुनर का दूसरा नाम ‘बर्फी वाली दादी’

हिम्मत और हुनर का दूसरा नाम ‘बर्फी वाली दादी’

हरभजन कौर

.. राजीव शर्मा ..

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चंडीगढ़/दक्षिण भारत। पढ़ाई और कमाई में उम्र कोई बंदिश नहीं होती, यह साबित कर दिखाया है हरभजन कौर ने। वे ‘बर्फी वाली दादी’ के नाम से भी जानी जाती हैं। करीब 94 साल की हरभजन कौर जब अपने हाथों से बेसन की बर्फी बनाकर चंडीगढ़ के एक बाजार में बिक्री के लिए भेजती हैं, तो उस दुकान की ओर ग्राहक खिंचे चले आते हैं।

हरभजन कौर ने कभी उद्यमी बनने का सपना नहीं देखा था और बर्फी के इस लज़ीज़ कारोबार की शुरुआत भी नाटकीय ढंग से हुई। पंजाब के तरन-तारन में जन्मीं कौर अब चंडीगढ़ रहती हैं। ज़िंदगी के इस पड़ाव तक आते-आते उन्होंने कई अच्छे और बुरे दौर देखे। उनके पति की मृत्यु भी एक दशक पहले हो चुकी है।

एक दिन हरभजन की बेटी ने यूं ही बातों में उनसे पूछ लिया कि क्या आपके मन में कोई ऐसा अरमान है जो परिवार की जिम्मेदारियों के कारण पूरा नहीं हो सका, कोई ख्वाहिश, कहीं घूमने की इच्छा!

इस पर हरभजन ने कहा कि यूं तो उन्होंने भरपूर ज़िंदगी ​जी है, लेकिन एक मलाल भी है। उन्होंने बताया, मैंने अपनी ज़िंदगी में कभी खुद कमाकर एक रुपया भी हासिल नहीं किया।

यह सुनकर हरभजन की बेटी ने मां के अरमानों को पंख देने की ठानी। उन्होंने पूछा, ‘मांजी, आप क्या काम कर सकती हैं? कौनसा हुनर जानती हैं?’

इस पर हरभजन ने कहा, ‘मैं बेसन की बहुत स्वादिष्ट बर्फी बनाना जानती हूं। अगर कोई खरीदना चाहे तो जरूर बना दूंगी।’

हिम्मत और हुनर का दूसरा नाम ‘बर्फी वाली दादी’
बेसन की बर्फी

इसके बाद हरभजन ने खुद की मेहनत से कमाई की ओर कदम बढ़ाया। उन्हें पहला ऑर्डर स्थानीय बाजार से मिला, पूरे पांच किलो बर्फी का। जब यह मिठाई लोगों तक पहुंची तो यहीं से दूसरे ऑर्डर की राह शुरू हो गई।

धीरे-धीरे हरभजन के हौसले की कहानी और बर्फी की मिठास मोहल्ले से लेकर शहर के दूसरे इलाकों तक पहुंचने लगीं, और सभी ऑर्डर उसी रसोई से पूरे होने लगे जिनमें उन्होंने पूरी ज़िंदगी लगा दी थी।

हरभजन कौर को इतने ऑर्डर की आपूर्ति करने में कुछ समय भी लगता है, क्योंकि वे उसके स्वाद और गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं करतीं। बेसन छानने से लेकर विभिन्न आकार में बर्फी काटने तक सभी काम हरभजन पूरे उत्साह से खुद करती हैं।

एक साक्षात्कार में हरभजन ने बताया कि स्वादिष्ट बर्फी बनाने की यह विधि उन्होंने अपने पिता से सीखी थी। अब वे इसे अपने नाती को सिखा रही हैं। जब यह मिठाई रसोई से लोगों की जुबां तक पहुंचती है तो वे इसके लाजवाब स्वाद और बर्फी वाली दादी के हुनर की तारीफ किए बिना नहीं रहते।

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