मेहनत से बदला गांव का मुकद्दर, किसान ने पहाड़ काटकर बना दी नहर
मेहनत से बदला गांव का मुकद्दर, किसान ने पहाड़ काटकर बना दी नहर
भुवनेश्वर/दक्षिण भारत डेस्क। ओडिशा के केन्दुझर जिले के बैतरणी गांव के निवासी दैत्री नायक (70) ने वह काम कर दिखाया, जिसकी बदौलत वे समाज के नायक बन गए हैं। उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। दैत्री नायक की कहानी अपनी मेहनत से गांव का मुकद्दर बदलने की कहानी है। उन्होंने तीन साल तक पहाड़ और सख्त पठारी जमीन की खुदाई की और उससे एक किमी लंबी नहर बना दी। अब कई लोगों को उसका फायदा मिल रहा है।
दैत्री नायक एक सामान्य किसान परिवार से हैं। उन्होंने वर्षों तक किसानों को तकलीफ में देखा, जिनकी मदद के लिए कोई आगे नहीं आ रहा था। आखिर में नायक ने हिम्मत दिखाई और वे अपने काम में जुट गए। उन्होंने पथरीली भूमि पर खूब पसीना बहाया, पहाड़ जैसी बाधा को रास्ते से हटाया और किसानों को एक किमी लंबी नहर की सौगात दी।दैत्री नायक ने साबित कर दिया कि हौसला और नेक इरादा हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है। पहले जहां किसानों को पानी के अभाव में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। अब वे इस नहर से फायदा उठा रहे हैं। उन्हें खेती के लिए पानी मिल रहा है, जिसका वो कभी ख्वाब ही देखा करते थे।
इस तरह एक मजबूत इरादे ने किसानों की ज़िंदगी आसान बना दी। हालांकि इन तीन वर्षों में दैत्री नायक ने काफी मुश्किल हालात का सामना किया, लेकिन एक सोच उन्हें लगातार आगे बढ़ने और खुदाई करते जाने की प्रेरणा देती रही कि तुमने अपनी ज़िंदगी तकलीफों के बीच गुजारी है, अब आने वाली पीढ़ी को यह कष्ट न हो।
यहां विषम भौगोलिक परिस्थितियों के सामने सरकारी तंत्र भी उदासीन रहा, लेकिन दैत्री नायक की हिम्मत ने सबको उत्साह से भर दिया। बाद में प्रशासन ने भी मदद का आश्वासन दिया। अब लोगों को पानी के लिए दिक्कत नहीं होती। वहीं दैत्री नायक के मन में भी संतोष है कि उनकी मेहनत से लोगों की ज़िंदगी संवर गई। नायक के हौसले की यह कहानी बिहार के दशरथ मांझी की कहानी जैसी है, जिन्होंने अपनी ज़िंदगी के 22 साल लगाए और पहाड़ काटकर रास्ता बना दिया।