
कर्नाटक और गोवा के बाद दिग्गी राजा से छीना तेलंगाना का प्रभार
कर्नाटक और गोवा के बाद दिग्गी राजा से छीना तेलंगाना का प्रभार
नईिदल्ली। एक समय कांग्रेस के चाणक्य कहे जाने वाले और पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी के बेहद करीबी माने जाने वाले मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का समय इन दिनों काफी खराब चल रहा है। पार्टी ने पहले उनसे कर्नाटक और गोवा का प्रभार छीना, इसके बाद मंगलवार को उनसे तेलगांना का भी प्रभार छीन लिया गया। श्री सिंह के पास अब केवल आंध्रप्रदेश का प्रभार ही बचा है। पार्टी ने उनसे तेलगांना का प्रभार छीनकर आरसी खंूटिया को सौंप दिया है।एक समय था जब श्री सिंह राहुल गांधी के बेहद करीबी माने जाते थे। वर्ष २००९ के लोकसभा चुनाव में उत्तरप्रदेश में पार्टी को २२ सीटें मिलने का तमगा भी उन्हें ही दिया जाता था। श्री सिंह का कद वर्ष २०१२ में हुए विधानसभा चुनाव के बाद घटना शुरू हुआ। इसके बाद वह हालांकि अपने बयानों से मीडिया की सुर्खियां जरुर बटोरते रहे। इस बीच पार्टी के कुछ नेताओं ने उनके खिलाफ खुलकर बयानबाजी भी की। इसमें पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम जैसे नेता भी शामिल हैं। द्यय्ब्रुध् द्मष्ठ द्धद्मय्द्भय् द्मद्भय् ्यद्मद्भद्बउपाध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी को संगठित करने के लिए एक नया नियम बनाया है। इस नियम के अनुसार एक नेता को एक प्रदेश का ही प्रभार सौंपा जाएगा। इसके तहत ही आरपीएन सिंह और पीएल पूनिया जैसे नेताओं को केवल एक ही राज्य का प्रभार सौंपा गया है। सिर्फ सुशील कुमार शिंदे को महासचिव बनाकर सिर्फ हिमाचल प्रदेश का प्रभार सौंपा गया है। सूत्रों की मानंे तो श्री सिंह से जब आंध्र और तेलंगाना में से एक राज्य चुनने के लिए कहा गया तो उन्होंनेे तेलंगाना छो़डने की बात कही। हालांकि उन्होंने खुद कहा कि बंटवारे के बाद आंध्र प्रदेश में पार्टी की हालत बहुत खराब हैऔर इसी कारण से वह वहां का प्रभारी बनकर पार्टी के लिए काम करेंगे।
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