चीनी सेना ने तिब्बत में की लाइव फायर ड्रिल
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चीनी सेना ने तिब्बत में की लाइव फायर ड्रिल
बीजिंग/ नई दिल्ली भारत के साथ जारी सिक्किम बॉर्डर विवाद के बीच चीन की मिलिट्री ने तिब्बत में 11 घंटे की लाइव-फायर एक्सरसाइज की है। PLA (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) ने साउथवेस्ट चाइना के तिब्बत ऑटोनॉमस रीजन में इस ड्रिल को अंजाम दिया है। बता दें कि सिक्किम सेक्टर के डोकलाम इलाके में 31 दिन से भारत और चीन की सैनिक टुकड़ी आमने-सामने है। ये इलाका एक ट्राई जंक्शन (तीन देशों की सीमाएं मिलने वाली जगह) है। चीन यहां सड़क बनाना चाहता है, लेकिन भारत और भूटान इसका विरोध कर रहे हैं।सरकारी चाइना सेंट्रल टेलीविजन (CCTV) ने 14 जुलाई को अपनी रिपोर्ट में इस ड्रिल की जानकारी दी थी। हालांकि एक्सरसाइज का सही समय नहीं बताया गया था। ग्लोबल टाइम्स ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट में कहा, “पीएलए की तिब्बत मिलिट्री कमांड की ब्रिगेड ने इस ड्रिल में हिस्सा लिया, जो चीन की दो अहम माउंटेन ब्रिगेड में से एक है।” बता दें कि इससे पहले भी चीनी सेना ने हाल ही में 5,100 मीटर की ऊंचाई पर तिब्बत में मिलिट्री एक्सरसाइज की थी। पहली बार PLA की आर्मर्ड ब्रिगेड ने तनाव भरे माहौल में एक्सरसाइज को अंजाम दिया था। इसमें चीन का सबसे एडवांस्ड युद्ध टैंक टाइप-96B भी नजर आया था। इसके अलावा, तिब्बत की मोबाइल कम्युनिकेशन एजेंसी ने भी 10 जुलाई को ल्हासा (तिब्बत की राजधानी) में एक ड्रिल की थी। जिसमें एजेंसी के मेंबर्स ने इमरजेंसी में कम्युनिकेशन सिक्योर करने के मकसद से एक टेम्पररी मोबाइल नेटवर्क खड़ा करने की प्रैक्टिस की थी।
-पीएलए की तिब्बत कमांड भारत-चीन बॉर्डर पर LAC (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) समेत माउंटेनस तिब्बत रीजन को जोड़ने वाले कई सेक्शंस में तैनात है।
CCTV की रिपोर्ट के मुताबिक तिब्बत कमांड की ये ब्रिगेड लंबे वक्त तक ब्रह्मपुत्र नदी (चीन में यारलुंग जांगबो नाम) के पास मध्य और निचले क्षेत्रों में तैनात रही है। ब्रह्मपुत्र भारत और बांग्लादेश में बहती है, इसके पानी को लेकर अक्सर विवाद होता रहता है। PLA की 11 घंटे की इस ड्रिल में ट्रूप्स और अलग-अलग मिलिट्री यूनिट्स ने ज्वाइंट अटैक की प्रैक्टिस की। साथ ही मौके पर तेजी से पहुंचने का भी अभ्यास किया।
-इस ड्रिल का एक वीडियो भी ऑनलाइन पोस्ट किया गया है। जिसमें सैनिक बंकरों पर एंटी-टैंक ग्रेनेड्स और मिसाइलों का इस्तेमाल करते दिख रहे हैं। वीडियो में राडार यूनिट्स दुश्मन के विमान की पहचान करती दिख रही हैं। इसके अलावा सैनिक एंटी-एयरक्राफ्ट आर्टिलरी के जरिये टारगेट को निशाना बनाते भी नजर आ रहे हैं।
इंडियन आर्मी के जवानों ने चीनी सैनिकों के अड़ियल रवैये को देखते हुए सिक्किम के डोकलाम इलाके में 9 जुलाई से अपने तंबू गाड़ रखे हैं। इसका मतलब है कि इंडियन आर्मी ने भी इलाके में लंबे वक्त तक रुकने का फैसला किया है। ये विवाद 16 जून से तब शुरू हुआ था, जब इंडियन ट्रूप्स ने डोकलाम में चीन के सैनिकों को सड़क बनाने से रोक दिया था।
भारत ने रविवार को सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि वह इलाके से पीछे नहीं हट सकता। वहां पर चीन को सड़क बनाने नहीं दिया जाएगा। भारत ने चीन की इस वॉर्निंग को नजरअंदाज कर दिया है कि भारत अपने सैनिक वहां से तुरंत वापस बुला ले, नहीं तो स्थिति और बिगड़ सकती है।
इंडियन डिफेंस मिनिस्ट्री की तरफ से कहा गया है कि जब तक चीन के सैनिक सड़क निर्माण से पीछे नहीं हटते, भारतीय सैनिक नॉन काम्बैट मोड में डोकलाम में डटे रहेंगे। उधर, चीनी मीडिया ने कहा है कि भारत के साथ बातचीत की पूर्व शर्त भारतीय सैनिकों का डोकलाम से पीछे हटना है। इस मामले में मोलभाव के लिए कोई जगह नहीं है।
बॉर्डर पर दोनों देशों की 60-70 सैनिकों की टुकड़ी 100 मीटर की दूरी पर आमने-सामने डटी हैं। दोनों ओर की सेनाएं भी यहां से 10-15 km की दूरी पर तैनात हैं।
भारत ने रविवार को सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि वह इलाके से पीछे नहीं हट सकता। वहां पर चीन को सड़क बनाने नहीं दिया जाएगा। भारत ने चीन की इस वॉर्निंग को नजरअंदाज कर दिया है कि भारत अपने सैनिक वहां से तुरंत वापस बुला ले, नहीं तो स्थिति और बिगड़ सकती है।
इंडियन डिफेंस मिनिस्ट्री की तरफ से कहा गया है कि जब तक चीन के सैनिक सड़क निर्माण से पीछे नहीं हटते, भारतीय सैनिक नॉन काम्बैट मोड में डोकलाम में डटे रहेंगे। उधर, चीनी मीडिया ने कहा है कि भारत के साथ बातचीत की पूर्व शर्त भारतीय सैनिकों का डोकलाम से पीछे हटना है। इस मामले में मोलभाव के लिए कोई जगह नहीं है।
बॉर्डर पर दोनों देशों की 60-70 सैनिकों की टुकड़ी 100 मीटर की दूरी पर आमने-सामने डटी हैं। दोनों ओर की सेनाएं भी यहां से 10-15 km की दूरी पर तैनात हैं।
भूटान की धरती पर यह पहली बार है कि भारत ने इस प्रकार का कड़ा रुख अपनाया है. इससे पहले 1986 में सुंदरम स्थान पर दोनों देश की सेनाएं सबसे ज्यादा दिनों तक एक दूसरे के सामने जमीं रहीं। भारत-चीन बॉर्डर विवाद को हल करने के लिए 2012 में एक मैकेनिज्म पर सहमत हुए थे, जिसके तहत कई लेवल पर बातचीत हो भी चुकी थी। लेकिन ये मैकेनिज्म मौजूदा मामले में काम नहीं आया क्योंकि विवाद भूटान ट्राई जंक्शन के पास है, जहां चीन एक सड़क बनाने की कोशिश कर रहा है। ये इलाका रणनीतिक रूप से काफी अहम है इसीलिए कई हफ्तों से तनाव बरकरार है।
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