कंपनी ने किया वाटरप्रूफ फोन का दावा, जांच के लिए जज ने पानी में डाला, जानिए फिर क्या हुआ
कंपनी ने किया वाटरप्रूफ फोन का दावा, जांच के लिए जज ने पानी में डाला, जानिए फिर क्या हुआ
झज्जर। एक कंपनी को अपने मोबाइल फोन के बारे में झूठा दावा करना महंगा पड़ गया। उस पर अदालत ने जुर्माना लगाया है। मामला हरियाणा में झज्जर की उपभोक्ता अदालत का है। यहां एक शख्स ने मामला दर्ज कराया था कि उसने मोबाइल कंपनी से फोन खरीदा तो बताया गया कि यह वाटरप्रूफ है, लेकिन असलियत इससे अलग है। उसने कहा कि कंपनी झूठा प्रचार कर रही है।
वहीं कंपनी की ओर से कहा गया कि मोबाइल फोन वाटरप्रूफ है। जज ने दोनों की बात सुनने के बाद अदालत में ही पानी से भरा बर्तन मंगवाया और मोबाइल फोन को उसमें डाल दिया। कुछ देर बाद मोबाइल को बाहर निकाला तो पाया कि वह खराब हो चुका है। इस तरह कंपनी का दावा झूठा साबित हो गया।जानकारी के अनुसार, साहिल जसवाल ने मई 2017 में झज्जर से एक मोबाइल फोन खरीदा था। इसके लिए उसने 56 हजार 900 रुपए का भुगतान किया। कंपनी की ओर से कहा गया था कि यह वाटरप्रूफ है लेकिन हकीकत इससे कहीं अलग थी। उसने कंपनी से भी संपर्क किया लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला।
आखिरकार उसने उपभोक्ता फोरम का रुख किया और यहां अपनी बात कही। कंपनी के प्रतिनिधि ने यहां भी दावा किया कि उसका मोबाइल फोन वाटरप्रूफ है। जज ने दावे की हकीकत जानने के लिए अदालत कक्ष में ही पानी का बर्तन मंगवाया और फोन को उसमें डाल दिया। पानी में डूबा मोबाइल खराब हो चुका था।
इसके बाद अदालत ने कंपनी को आदेश दिया कि उपभोक्ता को यह मोबाइल ठीक करके दे या नया मोबाइल दे या उसकी पूरी कीमत लौटाए। अदालत ने इसके अलावा कंपनी पर साढ़े सात हजार रुपए का जुर्माना लगाया। यह राशि उपभोक्ता को दी जाएगी।
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