किसानों और कारोबारियों की सुध लेगी केंद्र सरकार

किसानों और कारोबारियों की सुध लेगी केंद्र सरकार

नई दिल्ली। किसानों के आंदोलनों और उनकी आत्महत्या की घटनाओं ने गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले भाजपा के शीर्ष नेतृत्व का रक्तचाप बढ़ा ही रखा था, उसी बीच पार्टी के आंतरिक सर्वेक्षणों और सामाजिक आलोचनाओं से यह भी जाहिर हो गया कि लोग पिछले वर्ष नवंबर में की गई नोटबंदी की घोषणा और इस वर्ष पूरे देश में समान कर प्रणाली लागू करने के लिए क्रियान्वित किए गए जीएसटी से भी नाराज हैं। खास तौर पर इस कर प्रणाली से व्यापारी वर्ग को होेने वाली दिक्कतों की चर्चाओं ने खासा जोर पकड़ लिया। दोनों जटिलताओं से निपटने के लिए भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने समन्वित प्रयास शुरू किया है। एक तरफ भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने नोटबंदी और जीएसटी के बारे में कारोबारियों की रायशुमारी कर उनकी दिक्कतें दूर करने की कोशिशें शुरू कर दी हैं तो दूसरी तरह आरएसएस गांवों के स्तर पर भाजपा के पक्ष में लोगों को लाने की कोशिश शुरू कर दी हैै।

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जानकारी के मुताबिक, भाजपा नेतृत्व ने अपने सभी केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को निर्देश दिया है कि दोनों राज्यों के चुनाव से पहले वह विभिन्न स्थानों का दौरा कर वहां के व्यापारी वर्ग में जीएसटी और नोटबंदी से जुड़ी नाराजगी दूर करने की कोशिश शुरू कर दें्। यह मंत्री और सांसद जीएसटी परिषद तक कारोबार जगत की बातें पहुंचाएंगे, जो कारोबार जगत की दिक्कतें दूर करने के लिए अपनी विभिन्न बैठकों में मैदानी हालात पर सलाह-मशविरा करेगी। केंद्र सरकार के कई सीनियर मंत्रियों और बीजेपी के सीनियर नेताओं ने पीएम मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली से कहा कि नोटबंदी के बाद जिस तरह से जीएसटी कानून लागू किया गया, उससे कारोबारी काफी नाराज हैं। छोटे और मंझोले स्तर के कारोबारियों को रिटर्न भरने से लेकर माल खरीदने और उसे बेचने में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में जरूरी है कि कारोबारियों के बीच जाकर इस बारे में उनसे सीधे बातचीत की जाए्। अगर नाराज कारोबारियों को मनाया नहीं गया, तो चुनावी मैदान में पार्टी को नुकसान हो सकता है।

दूसरी ओर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने किसान आत्महत्याओं और खेती-बाड़ी की समस्याओं के बारे में उपजे असंतोष को दूर करने के लिए गांवों के स्तर पर काम करने का मन बनाया है। भोपाल के शारदा विहार आवासीय विद्यालय परिसर में संघ की तीन दिन चली अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक के दौरान प्रतिनिधियों ने बताया कि किसान, नौजवान, कारोबारी से लेकर राज्यों के कर्मचारियों तक में आक्रोश पनप रहा है। इस बढ़ते असंतोष को देखते हुए संघ ने नई रणनीति पर अभी से काम करने का मन बना लिया है। वह गांवों और कस्बों पर ज्यादा जोर देगा। गांवों में संघ की शाखाएं लगेंगी और इसके अनुषांगिक संगठनों को सक्रिय कर दिया जाएगा। ग्रामीण इलाकों में संघ की ज्यादा से ज्यादा शाखाओं की संख्या बढ़ाई जाएगी। किसानों से सीधे संवाद कर उनकी समस्याओं के निदान के प्रयास होंगे। संघ के सर कार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी ने इसे स्वीकारा भी है कि संघ अब ग्रामीण इलाकों पर विशेष ध्यान देगा, क्योंकि वहां सामाजिक बदलाव बड़ी चुनौती है।

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