शिद्दत से जुटेगी भाजपा या बड़ा गेम प्लान बनाकर कामयाब होगी कांग्रेस ?

शिद्दत से जुटेगी भाजपा या बड़ा गेम प्लान बनाकर कामयाब होगी कांग्रेस ?

बाल मुकुंद जोशी

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सीकर। सामान्यतया राजस्थान में शेखावाटी के मतदाताओं के मानस से पता चल जाता है कि आने वाले समय में इस सूबे में सरकार किस दल की बनने वाली है। दरअसल सीकर, झुंझनूं और चूरू का वोटर अपने इरादे खोलकर रख देता है। ऐसे में चुनाव की रंगत जमने के कई महिनों पहले ही सत्ता किस पार्टी की आने वाली है, उसकी सुगंध आने लगती है, जिसके चलते राजनेता उसी प्रकार की सियासी शतरंज बिछाने लगते हैं। इस समय तीनों जिलों में भाजपा के इतने विधायक हैं, जितने आजादी के बाद पहले कभी नहीं थे। कांग्रेस का ग़ढ रही शेखावाटी ने अपनी परम्परा को दरकिनार कर वर्ष २०१३ के चुनाव में भाजपा को बेहिसाब समर्थन देकर कोई ब़डे बदलाव की कल्पना की। धीरे-धीरे समय के गुजरने के साथ ही क्षेत्र की जनता को अपने किये पर पछताना प़ड रहा है। इलाके की जनता की नाराजगी इस कदर ब़ढी कि, मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने शासन के अधिकतर समय में शेखावाटी की ओर मुंह तक नहीं किया और जब वे इस ओर आई तो उन्हें जनता की बेरुखी का शिकार होना प़डा। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के झुंझनूं कार्यक्रम में सीएम के खिलाफ भयंकर नारेबाजी हुई। अब जबकि विधानसभा के आम चुनाव सिर पर हैं तो भाजपा को शेखावाटी में बुरे दिन दिखने लगे हैं। राज्य भाजपा की बेबसी को भांपकर चतुर रणनीतिकारों ने जातीय समीकरणों को साधने की कवायद तेज कर दी है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह राजस्थान में फिर से भाजपा की सरकार लाने के लिए ए़डी से चोटी का जोर लगा देंगे, वहीं कांग्रेस भी राजस्थान के चुनाव को लेकर काफी आशान्वित है। हवा का झांेका कांग्रेस की मजबूती का अहसास करवा रहा है, जिससे भाजपा के कुशल सियासी रणनीतिकार भी परिचित है। भाजपा राजस्थान में पंजे को मजबूत न होने देने के लिए पैंतरे चलेगी, जिसके बारे में कांग्रेस के नेता सोच भी नहीं सकते। चुनाव अखा़डे में भाजपा के दांव-पेच देश भर में सफल रहे हैं। चाहे उनकी आलोचना ही क्यों न होती हो। जहां-जहां चुनाव हुए हैं वहां-वहां जो चाल चली गई हैं, उनसे भी दमदार चालें राजस्थान में चलने की शुरुआत हो गई है। राज्यसभा सीट के तीन उम्मीदवारों में से एक मदन लाल सैनी सीकर से वास्ता रखते हैं जिनके नाम की घोषणा पर शायद यकीन स्वयं सैनी को भी नहीं हुआ होगा, क्योंकि वे आरएसएस के एक साधारण स्वयंसेवक हैं। उनको कौन राज्यसभा की टिकट दे पर यह काम जातीय गणित ने करवा दिया। राजस्थान में माली सदैव ही बहुसंख्यक रुप से भाजपा के पक्ष में रहे हैं, लेकिन जब से कांग्रेस में कद्दावर नेता के रुप में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत स्थापित हुए तब से इस बिरादरी ने हाथ को साथ ले लिया, मतलब माली जाति की गणित उलटी हो गई। भाजपा ने मूलधन की छीजत को रोकने के लिए मदनलाल सैनी को ऊपरी सदन में जाने की टिकट थमा दी। यह दीगर बात है कि वे गहलोत के मुकाबले राज्य भर में माली मतदाताओं को फिर से कमल पक़डवा पायेंगे या नहीं, अभी कहा नहीं जा सकता। हां, इतना जरुर है कि वे सीकर और झुंझुनू जिले में अपनी बिरादरी को पुन: भाजपा की ओर मो़ड सकते हैं। मदन लाल सैनी झुंझुनूं से दो बार लोकसभा का चुनाव ल़ड चुके है, यब बात अलग है कि वेे जीत नहीं पाये। उदयपुरवाटी से वे एक बार विधायक अवश्य बने।कुल मिलाकर राजस्थान में भाजपा अपने बिग़डे राजनीतिक हालात को सुधारने के लिए पूरी शिद्दत से जुट गई है। कांग्रेस की बनी हवा को निकालने के लिए भाजपा कई तरीके के खेल खेलेगी जिसमें हार से बचने के लिए कांग्रेस को भी ब़डा गेम प्लान बनाना होगा। झुंझुनूं में पीएम मोदी की सभा में लगे नारों ने साफ संकेत दिये हैं कि नाराजगी मैडम से है विकास पुरुष नरेन्द्र मोदी पर अभी भी भरोसा है।

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