‘मन की बात’ में क्या बोले प्रधानमंत्री? यहां जानिए सबकुछ

‘मन की बात’ में क्या बोले प्रधानमंत्री? यहां जानिए सबकुछ

‘मन की बात’ में क्या बोले प्रधानमंत्री? यहां जानिए सबकुछ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कहा कि आज मैं आप सबके साथ एक खुशखबरी साझा करना चाहता हूं। हर भारतीय को यह जानकर गर्व होगा कि देवी अन्नपूर्णा की एक बहुत पुरानी प्रतिमा कनाडा से वापस भारत आ रही है।

माता अन्नपूर्णा का काशी से बहुत ही विशेष संबंध है। अब उनकी प्रतिमा का वापस आना हम सभी के लिए सुखद है। माता अन्नपूर्णा की प्रतिमा की तरह ही हमारी विरासत की अनेक अनमोल धरोहरें, अंतरराष्ट्रीय गिरोहों का शिकार होती रही हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि माता अन्नपूर्णा की प्रतिमा की वापसी के साथ एक संयोग यह भी जुड़ा है कि कुछ दिन पूर्व ही वर्ल्ड हैरिटेज वीक मनाया गया है। यह संस्कृति प्रेमियों के लिए, पुराने समय में वापस जाने, उनके इतिहास के अहम पड़ावों को पता लगाने का एक शानदार अवसर प्रदान करता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश में कई म्यूजियम्स और लाइब्रेरी अपने कलेक्शन को पूरी तरह से डिजिटल बनाने का काम कर रहे हैं। दिल्ली में हमारे राष्ट्रीय संग्रहालय ने इस संबंध में कुछ सराहनीय प्रयास किए हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस महीने 12 नवंबर से डॉक्टर सलीम अलीजी का 125वां जयंती समारोह शुरू हुआ है। डॉक्टर सलीम ने पक्षियों की दुनिया में बर्ड वाचिंग को लेकर उल्लेखनीय कार्य किए हैं। दुनिया में बर्ड वाचिंग को भारत के प्रति आकर्षित भी किया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में बहुत-सी बर्ड वाचिंग सोसाइटी सक्रिय हैं। आप भी जरूर इस विषय के साथ जुड़िए। मेरी भागदौड़ की जिंदगी में, मुझे भी पिछले दिनों केवड़िया में पक्षियों के साथ समय बिताने का बहुत ही यादगार अवसर मिला।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की संस्कृति और शास्त्र, हमेशा से ही पूरी दुनिया के लिए आकर्षण के केंद्र रहे हैं। कई लोग तो इनकी खोज में भारत आए और हमेशा के लिए यहीं के होकर रह गए, तो कई लोग वापस अपने देश जाकर इस संस्कृति के संवाहक बन गए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कल 30 नवंबर को हम श्री गुरु नानक देवजी का 551वां प्रकाश पर्व मनाएंगे। पूरी दिनिया में गुरु नानक देवजी का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। वैंकूवर से वेलिंगटन तक, सिंगापुर से साउथ अफ्रीका तक उनके संदेश हर तरफ सुनाई देते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि गुरुग्रंथ साहिब में कहा गया है- ‘सेवक को सेवा बन आई’, यानी सेवक का काम सेवा करना है। बीते कुछ वर्षों में कई अहम पड़ाव आए और एक सेवक के तौर पर हमें बहुत कुछ करने का अवसर मिला।

प्रधानमंत्री ने कहा कि क्या आप जानते हैं कि कच्छ में एक गुरुद्वारा है, लखपत गुरुद्वारा साहिब। साल 2001 के भूकंप से कच्छ के लखपत गुरुद्वारा साहिब को भी नुकसान पहुंचा था। यह गुरु साहिब की कृपा ही थी कि मैं इसका जीर्णोद्धार सुनिश्चित कर पाया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले दिनों, मुझे, देश-भर के कई विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों के साथ संवाद का, उनकी एजुकेशन जर्नी के महत्वपूर्ण ईवेंट्स में शामिल होने का, अवसर प्राप्त हुआ है। देश के युवाओं के बीच होना बेहद तरोताजा करने वाला और ऊर्जा से भरने वाला होता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना से पहले के दिनों में जब मैं रूबरू किसी इंस्टीट्यूशन की ईवेंट में जाता था, तो यह आग्रह भी करता था कि आस-पास के स्कूलों से गरीब बच्चों को भी उसी समारोह में आमंत्रित किया जाए। वो बच्चे उस समारोह में मेरे स्पेशल गेस्ट बनकर आते रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि स्कूल-कॉलेज से निकलने के बाद दो चीजें कभी खत्म नहीं होती हैं- एक आपकी शिक्षा का प्रभाव और दूसरा आपका अपने स्कूल, कॉलेज से लगाव। मेरा संस्थानों से आग्रह है कि अलम्नाइ एन्गेज्मन्ट के नए और इनोवेटिव तरीकों पर काम करें।

प्रधानमंत्री ने कहा कि 5 दिसंबर को श्री अरबिंदो की पुण्यतिथि है। श्री अरबिंदो को हम जितना पढ़ते हैं, उतनी ही गहराई हमें मिलती जाती है। मेरे युवा साथी, श्री अरबिंदो को जितना जानेंगे, उतना ही अपने आप को जानेंगे, खुद को समृद्ध करेंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि श्री अरबिंदो ने राष्ट्रीय शिक्षा को लेकर जो बात तब कही थी, जो अपेक्षा की थी, आज देश उसे नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए पूरा कर रहा है। बीते दिनों हुए कृषि सुधारों ने किसानों के लिए नई संभावनाओं के द्वार भी खोले हैं। बरसों से किसानों की जो मांग थी, जिन मांगों को पूरा करने के लिए किसी न किसी समय में हर राजनीतिक दल ने उनसे वायदा किया था, वो मांग पूरी हुई हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि काफी विचार विमर्श के बाद भारत की संसद ने कृषि सुधारों को कानूनी स्वरूप दिया। इन सुधारों से न सिर्फ किसानों के अनेक बंधन समाप्त हुए हैं, बल्कि उन्हें नए अधिकार भी मिले हैं, नए अवसर भी मिले हैं।

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