बलात्कारी के लिए मृत्युदंड से सख्त सजा कुछ नहीं हो सकती, पालक भी जिम्मेदारी समझें: स्मृति ईरानी

बलात्कारी के लिए मृत्युदंड से सख्त सजा कुछ नहीं हो सकती, पालक भी जिम्मेदारी समझें: स्मृति ईरानी

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी

इंदौर/भाषा। सामूहिक बलात्कार के बाद युवतियों को जिंदा जलाए जाने की दो हालिया घटनाओं पर देशभर में आक्रोश के बीच केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने शनिवार को कहा कि आधी आबादी की सुरक्षा के लिए सरकार ने दुष्कृत्य के मामलों में मृत्युदंड तक का कानूनी प्रावधान किया है और इससे सख्त सजा कुछ नहीं हो सकती।

उन्होंने कहा कि समाज को भी ‘चाइल्ड पोर्नोग्राफी’ जैसी चुनौतियों से निपटने पर विचार करना होगा और पालकों को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए बच्चों को सिखाना होगा कि महिलाओं से सही बर्ताव किया जाए।

ईरानी ने यहां रोटरी इंटरनेशनल के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान दोतरफा संवाद के सत्र में कहा, चर्चा यह भी हो रही है कि बलात्कार के मुजरिमों के लिए और सख्त सजा का प्रावधान किया जाना चाहिए। ऐसे मामलों में सरकार की ओर से सजा-ए-मौत तक का कानूनी प्रावधान किया गया है। अब सजा-ए-मौत से ज्यादा सख्त सजा और कुछ नहीं हो सकती।

उन्होंने बताया कि सरकार ने बलात्कार के मुकदमों की तेज सुनवाई के लिए देशभर में 1,023 ‘फास्टट्रैक कोर्ट’ स्थापित करने के लिए वित्तीय मदद देनी शुरू कर दी है। बलात्कार के मामलों में अदालतों से सजा पाने वाले सात लाख से ज्यादा यौन अपराधियों का राष्ट्रीय डेटाबेस भी बनाया गया है, ताकि इन लोगों पर नजर रखी जा सके।

ईरानी ने अपील की कि बलात्कार पीड़िताओं की कानूनी मदद के लिए समाज को भी जिला स्तर पर आगे आना होगा, ताकि उन्हें इंसाफ मिल सके।

उन्होंने कहा, हम एक नागरिक के तौर पर इंसाफ के लिए (सरकारी) संस्थाओं की ओर देखते हैं। बलात्कार की घटनाओं के लिए संस्थाओं, मीडिया, फिल्मों और साहित्य को जिम्मेदार ठहराया जाता है। लेकिन हमें खासकर पालकों के तौर पर अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए ख्याल रखना चाहिये कि हम अपने बच्चों के सामने महिलाओं की कैसी छवि पेश कर रहे हैं।

ईरानी ने एक सवाल के जवाब में कहा, मैं कल (शुक्रवार) संसद में महिला उत्पीड़न के बारे में बोल रही थी, तब दो पुरुष सांसद मुझे मारने के लिये आगे बढ़े। इसका कारण बस यह था कि मैं बोल रही थी। क्या महिलाओं के लिखने और बोलने से भी दूसरी महिलाओं का उत्पीड़न होता है?

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि लैंगिक समानता और महिलाओं के अधिकारों के लिए सरकारी संस्थाएं तो अपने कईं प्रयास कर ही रही हैं लेकिन आधी आबादी के सम्मान की शुरुआत घरों से होनी चाहिए, क्योंकि परिवार नैतिक मूल्यों की धुरी होता है।

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