चिटफंड संशोधन विधेयक-2019 लोकसभा में पेश
चिटफंड संशोधन विधेयक-2019 लोकसभा में पेश
नई दिल्ली/भाषा। केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने सोमवार को लोकसभा में चिटफंड संशोधन विधेयक-2019 पेश किया जिसका उद्देश्य चिटफंड क्षेत्र का सुव्यवस्थित विकास करने के लिए इस उद्योग के समक्ष आ रही अड़चनों को दूर करना है।
सदन में विधेयक पेश करते हुए ठाकुर ने कहा कि चिटफंड सालों से छोटे कारोबारों और गरीब वर्ग के लोगों के लिए निवेश का स्रोत रहा है लेकिन कुछ पक्षकारों ने इसमें अनियमितताओं को लेकर चिंता जताई थी जिसके बाद सरकार ने एक परामर्श समूह बनाया।उन्होंने कहा कि 1982 के मूल कानून को चिटफंड के विनियमन का उपबंध करने के लिए लाया गया था। संसदीय समिति की सिफारिश पर इसमें अब संशोधन के लिए विधेयक लाया गया है। उक्त विधेयक पिछले लोकसभा सत्र में पेश किया गया था लेकिन लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होने के साथ ही यह निष्प्रभावी हो गया।
विधेयक में व्यक्तियों की संकलित चिट रकम की अधिकतम सीमा को एक लाख रुपए से संशोधित करके तीन लाख रुपए करने का प्रावधान किया गया है। ठाकुर ने कहा कि चिटफंड को नकारात्मकता के साथ देखा जाता रहा है, इसलिए इसकी छवि सुधारने के लिए विधेयक में कुछ दूसरे नाम भी सुझाए गए हैं।
लोक सभा में चिट फंड संशोधन विधेयक 2019 पर चर्चा pic.twitter.com/Q4FLVB53bW
— Lok Sabha TV (@loksabhatv) November 18, 2019
उन्होंने कहा, चिटफंड अवैध नहीं, वैध कारोबार है। ठाकुर ने कहा कि राज्य चिट की सीमा निर्धारित कर सकते हैं। विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के सप्तगिरि उलका ने कहा कि यह विधेयक असंगठित क्षेत्र के लिए पर्याप्त नहीं लगता।
उन्होंने कहा कि केवल नाम बदलने से समाधान नहीं निकलेगा, बल्कि इसका पूरी तरह से नियमन जरूरी है। उलका ने कहा कि पहले से जो चिटफंड हैं, वह इस विधेयक के दायरे में नहीं आएंगे। सरकार इस संबंध में बताए कि क्या पहले से चालू चिटफंड इस विधेयक के दायरे में आ सकते हैं।
उन्होंने अपने गृह राज्य ओडिशा में चिटफंड के कथित घोटालों का मुद्दा उठाते हुए कहा कि केंद्र सरकार बताए कि राज्य में इस संबंध में सीबीआई जांच की क्या स्थिति है। उलका ने कहा कि चिटफंड में कथित राजनीतिक संरक्षण भी होता है इसलिए सारे अधिकार राज्य सरकार को नहीं दिये जाने चाहिए। उन्होंने विधेयक में और प्रावधान शामिल करने का सुझाव देते हुए इसे स्थाई समिति को भेजने की मांग की।