‘आप’ को 3 राज्यों में नोटा से भी कम वोट, कई प्रत्याशियों की जमानत जब्त
‘आप’ को 3 राज्यों में नोटा से भी कम वोट, कई प्रत्याशियों की जमानत जब्त
नई दिल्ली। वर्ष 2015 में दिल्ली के विधानसभा चुनावों में 70 में से 67 सीटें जीतकर नई किस्म की सियासत का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी ने हाल में हुए विधानसभा चुनावों में भी भाग लिया था। चुनाव नतीजे बताते हैं कि यहां ‘आप’ लोगों का भरोसा जीतने में विफल रही। पार्टी के ज्यादातर उम्मीदवार तो अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए।
अगर बात करें मध्य प्रदेश की, तो यहां की 230 में से 208 पर ‘आप’ ने प्रत्याशी उतारे थे। प्रदेश में इस पार्टी को सिर्फ 0.7 प्रतिशत वोट मिले। चौंकाने वाली बात यह है कि प्रदेश में नोटा को 1.5 प्रतिशत वोट मिले यानी मतदाताओं ने ‘आप’ से ज्यादा नोटा पर यकीन किया। इसके अलावा हैरानी की बात यह रही कि मध्य प्रदेश में ‘आप’ ने जिन आलोक अग्रवाल को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बताया था, वे सिर्फ 823 वोट ले पाए।दूसरी ओर ‘आप’ ने छत्तीसगढ़ में 90 में से 85, तेलंगाना में 119 में से 41 और राजस्थान में 200 में से 142 सीटों पर प्रत्याशी उतारे। आंकड़ों के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में पार्टी को 0.9 प्रतिशत, राजस्थान में 0.4 प्रतिशत वोट मिले। यहां भी ‘आप’ को नोटा से कम वोट मिले। पिछले दिनों दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ऐलान किया था कि लोकसभा चुनावों में ‘आप’ किसी के साथ गठबंधन नहीं करेगी, लेकिन पार्टी की अन्य राज्यों में यह स्थिति देख कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
विधानसभा चुनावों में ‘आप’ के प्रदर्शन को लेकर इन राज्यों में लोग चुटकी ले रहे हैं। स्थानीय नेता इसकी एक वजह दिल्ली से बाहर अन्य राज्यों में संगठन का मजबूत न होना बता रहे हैं। साथ ही ‘आप’ के पास संसाधनों की भी कमी बताई जा रही है। इसकी वजह से वे प्रचार में ज्यादा ताकत नहीं झोंक पाए और दूसरी पार्टियों के शोर में उनकी आवाज कहीं दबकर रह गई।
बताया जा रहा है कि आगामी लोकसभा चुनावों में ‘आप’ दिल्ली के निकटवर्ती राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में अपने प्रत्याशी उतारना चाहेगी। इसके अलावा अन्य राज्यों पर भी पार्टी आलाकमान की नजर है, लेकिन मौजूदा दौर में जमीनी हकीकत को देखें तो वह बहुत उत्साहित करती नजर नहीं आती।