पंचतत्व में विलीन हुए भारत रत्न अटलजी, दत्तक पुत्री ने दी मुखाग्नि, अब यादें शेष
पंचतत्व में विलीन हुए भारत रत्न अटलजी, दत्तक पुत्री ने दी मुखाग्नि, अब यादें शेष
नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पंचतत्व में विलीन हो गए। पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार ‘स्मृति स्थल’ पर किया गया। जब जननायक वाजपेयी की देह अग्नि को समर्पित की गई तो हजारों लोगों की आंखों से आंसू झरने लगे। अंतिम संस्कार के लिए चंदन की लकड़ियां लाई गई थीं। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच उन्हें दत्तक पुत्री नमिता ने मुखाग्नि दी।
इससे पहले उन्हें तीनों सेना के प्रमुखों ने सलामी दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें पुष्पचक्र चढ़ाकर नमन किया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें सलामी दी। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने वाजपेयीजी को पुष्पचक्र चढ़ाया। वाजपेयीजी को श्रद्धांजलि देने भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्येल भी आए थे। उनके अलावा कई विदेशी मेहमानों ने उन्हें नमन किया। अटलजी के शरीर से लिपटा तिरंगा उनकी नातिन निहारिका को सौंपा गया।लोगों ने अटलजी के सम्मान में खूब नारे लगाए। सड़कों पर बहुत भारी भीड़ थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरे रास्ते पैदल चले। उनके साथ भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी पैदल चल रहे थे। अंतिम यात्रा में विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री, विधायक, सांसद, कार्यकर्ता और आम नागरिक पैदल चले और वाजपेयीजी को श्रद्धांजलि दी।
वाजपेयीजी का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया। अब उनकी सिर्फ यादें शेष हैं। आज पूरा हिंदुस्तान अपने प्रिय नेता को खोने का शोक मना रहा है। लोग दूर-दूर से वाजपेयीजी के अंतिम दर्शन और उनकी यात्रा में शामिल होने के लिए चले आ रहे थे। यात्रा के मार्ग पर कदम रखने तक की जगह नहीं बची थी। इसलिए समाधि स्थल के बाहर बड़ी एलईडी स्क्रीन लगाई गई थी।
वरिष्ठ पत्रकारों का कहना है कि इतना बड़ा हुजूम शायद ही कभी अंतिम यात्रा में देखा गया। तेज धूप और बाद में उमस भरे वातावरण में भी वाजपेयी की एक झलक पाने के लिए लोग घंटों तक इंतजार करके भी नहीं थके। सख्त गर्मी की परवाह न करते हुए लोग अटलजी को विदा करने घरों से निकले और घंटों तक भूखे-प्यासे खड़े रहे।
जिस मार्ग से अटलजी की अंतिम यात्रा निकली, वहां लोगों ने हाथ जोड़े और पुष्प बरसाए। विभिन्न धर्मों के अनुयायियों ने उन्हें आखिरी सलाम किया। अटलजी को अंतिम प्रणाम करने देश के हर राज्य से लोग आए। इस दौरान किसी के मुख पर उनके भाषणों और अच्छे स्वभाव की चर्चा थी, तो कोई उनकी कविताओं का जिक्र कर रहा था।
अंतिम यात्रा के दौरान लोग बेहद गमगीन थे। जगह-जगह उनकी तस्वीरें लिए लोग ‘अटलजी ज़िंदाबाद’ के नारे लगा रहे थे। उनकी देह अग्नि को समर्पित करने के बाद लोगों ने उन्हें नमन किया और बहुत दुखी मन से लौटने लगे। हर कोई उनके लिए परमात्मा से प्रार्थना कर रहा है। आज पूरा देश अपने अटलजी को याद कर रहा है।
अटलजी का जाना पूरे हिंदुस्तान को ग़मगीन कर गया
पूरा देश 72वां स्वतंत्रता दिवस मना चुका था कि शाम को अचानक खबर आई कि एम्स में भर्ती पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तबीयत ठीक नहीं है। सोशल मीडिया पर उनके लिए दुआएं होने लगीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एम्स पहुंचे। दूसरे दिन कई केंद्रीय मंत्रियों ने एम्स पहुंचकर अटलजी की सेहत का हालचाल जाना।
देशभर के मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारों और आराधनालयों में अटलजी के शीघ्र स्वस्थ होने के लिए प्रार्थनाएं होने लगीं। एम्स ने जो हैल्थ बुलेटिन जारी किया, वह काफी चिंताजनक था। अटलजी की सेहत में कोई सुधार नहीं हो रहा था। यह सुनकर पूरा देश चिंतित हो उठा। एम्स के बाहर यकायक भीड़ बढ़ने लगी। कई मंत्री, मुख्यमंत्री, कार्यकर्ता और आम नागरिक आ गए। प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह अपने सभी कार्यक्रम रद्द कर एम्स पहुंच चुके थे। 16 अगस्त को शाम 5.05 बजे अटलजी ने अंतिम सांस ली। यह सुनते ही पूरा देश शोकमग्न हो गया।
अटलजी के निधन के बाद सभी राजनीतिक दलों के प्रमुख नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने मन की व्यथा ट्विटर पर लिखी। उन्होंने लिखा, मैं नि:शब्द हूं, शून्य में हूं, लेकिन भावनाओं का ज्वार उमड़ रहा है। उन्होंने इसे राष्ट्र के साथ ही स्वयं के लिए भी बहुत बड़ी क्षति बताया। उन्होंने अटलजी के स्वर्गवास को पितातुल्य संरक्षक के चले जाने जैसा बताया।
उसके बाद अटलजी की पार्थिव देह को कृष्णा मेनन मार्ग स्थित उनके आवास लाया गया। यहां प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह, केंद्रीय मंत्रियों के अलावा पक्ष-विपक्ष के कई नेताओं ने उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए। अब तक पूरी दुनिया में यह खबर फैल चुकी थी। विदेशी राष्ट्राध्यक्षों ने अटलजी के निधन पर शोक प्रकट किया।
शुक्रवार को अटलजी की पार्थिव देह उनके आवास से भाजपा मुख्यालय लाई गई। इस दौरान सड़कों पर हुजूम उमड़ पड़ा। भाजपा मुख्यालय के बाहर हजारों की संख्या में लोग इकट्ठे हो गए। यहां से अंतिम यात्रा ‘स्मृति स्थल’ के लिए चली। पूरे रास्ते अटलजी की जय-जयकार के नारे लग रहे थे। प्रधानमंत्री मोदी पैदल चल रहे थे। उनके पीछे लाखों लोग चले आ रहे थे। लोगों ने अटलजी पर फूल बरसाए और हाथ जोड़, सिर झुकाकर नमन किया। अंतिम यात्रा ‘स्मृति स्थल’ पहुंचने के बाद वैदिक मंत्रोच्चार के बीच जब दत्तक पुत्री नमिता ने मुखाग्नि दी तो पूरा आकाश जय-जयकार से गूंजने लगा और अटलजी अनंत में विलीन हो गए। उनका यूं चले जाना पूरे हिंदुस्तान को ग़मगीन कर गया।
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