धर्मांतरण पर लगाम
अतीत में धर्मांतरण के गंभीर नतीजे सामने आ चुके हैं
धोखेबाजों के होश अब ठिकाने आएंगे
राजस्थान विधानसभा ने धर्मांतरण विरोधी विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर बहुत जरूरी कदम उठाया है। इसके प्रावधान काफी सख्त हैं। पूरे देश को ऐसे कानून की जरूरत है, क्योंकि हर राज्य और केंद्रशासित प्रदेश में धोखा, छल और प्रलोभन से लोगों का धर्मांतरण करवाया जा रहा है। बेशक भारत का संविधान धार्मिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करता है। अगर व्यक्ति की आस्था स्वेच्छा से किसी धर्म के साथ जुड़ती है और वह उसे अपनाना चाहता है तो इसकी अनुमति है, लेकिन कुछ लोगों और गिरोहों ने इस स्वतंत्रता का दुरुपयोग करते हुए धर्मांतरण को धंधा ही बना लिया है। अतीत में धर्मांतरण के गंभीर नतीजे सामने आ चुके हैं। देश में आज भी ऐसे गिरोह काम कर रहे हैं, जो अनाज, इलाज, शिक्षा, मकान, नौकरी, शादी का प्रलोभन देकर लोगों की आस्था से खिलवाड़ कर रहे हैं। जरूरतमंद और भोले-भाले लोगों से कहा जाता है कि आप हमारी शरण में आएंगे तो रहमत बरसेगी और सारे कष्ट दूर हो जाएंगे! उनके दिलो-दिमाग में पूर्वजों के धर्म और देवी-देवताओं के प्रति घृणा भर दी जाती है। उन्हें यह कहकर डराया जाता है कि 'अगर आप होली, दीपावली, करवा चौथ, मकर संक्रांति आदि मनाएंगे तो जीवन में भयानक संकट आ सकता है ... हमारा रास्ता ही सच्चा है, इस पर चलेंगे तो निजात मिलेगी।' अगर 'उदारता' के नाम पर ऐसी गतिविधियों को लेकर उदासीनता बरतेंगे तो भविष्य में कई गंभीर समस्याएं पैदा होंगी। अब सोशल मीडिया पर कितनी ही बेटियां यह कहते हुए अपना दर्द बयान करती मिल जाएंगी कि हमसे किसी युवक ने पहचान छिपाकर घनिष्ठता बढ़ाई, उसके बाद शादी की। जब सच्चाई का पता चला तो पैरों तले जमीन खिसक गई!
ऐसे धोखेबाजों के होश अब ठिकाने आएंगे। धर्मांतरण के जरिए देश की एकता, अखंडता, समरसता और सुरक्षा को खतरे में डालने वालों के लिए यहां कोई जगह नहीं होनी चाहिए। अगर भारत की आजादी के तुरंत बाद ऐसा कानून बना दिया जाता तो आज इस मुद्दे पर लिखने-बोलने की जरूरत ही नहीं होती। हमारे पूर्वजों ने धर्मांतरण के कारण राष्ट्रांतरण होते देखा था। अब इस मामले पर यह कहकर आंखें मूंदने से काम नहीं चलेगा कि सबको अपनी मर्जी से धर्म अपनाने और उसका पालन करने की स्वतंत्रता है। यह भी देखना होगा कि इस स्वतंत्रता का कहीं हमारे देश के खिलाफ हथियार के तौर पर इस्तेमाल तो नहीं हो रहा है? अगर ऐसा हो रहा है तो इस पर चुप्पी साधना खतरनाक हो सकता है। कई लोग धर्मांतरण के बारे में कुतर्क देते हैं- 'आज हर कोई पढ़ा-लिखा है, ऐसे में उनको प्रलोभन देकर, डराकर धर्म कैसे बदलवाया जा सकता है?' क्या उन्हें नहीं मालूम कि देश में उच्च शिक्षित लोगों से साइबर ठगी भी हो रही है। डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, शिक्षक, वैज्ञानिक ही नहीं, जज तक इसके शिकार हो चुके हैं। जब उन्हें प्रलोभन देकर और डराकर लूटा जा सकता है, तो आम नागरिक को कोई गिरोह धर्मांतरण का शिकार क्यों नहीं बना सकता? कई मामले ऐसे आए हैं, जिनमें पीड़ितों ने कहा कि उन पर आपत्तिजनक वीडियो-तस्वीरों के जरिए धर्मांतरण का दबाव डाला गया था। हाल के वर्षों में धर्मांतरण का एक और तरीका सामने आया है, जिस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए। इसके तहत संबंधित व्यक्ति का न तो नाम बदला जाता है, न उसकी पहचान बदली जाती है, न दस्तावेज बदले जाते हैं, न भाषा बदली जाती है, न पहनावा बदला जाता है और न ही हुलिया बदला जाता है। उसे यह कहकर तैयार किया जाता है कि 'हम धर्म परिवर्तन नहीं कराते, बल्कि मन / हृदय परिवर्तन कराते हैं।' यह स्थिति देश की एकता, अखंडता, समरसता और सुरक्षा के लिए ज्यादा खतरनाक हो सकती है।

