शिक्षा का उद्देश्य बच्चों में जागरूकता की अलख जगाना है: सिद्दरामय्या

'ऐसी शिक्षा ही हमारी सरकार का लक्ष्य है'

शिक्षा का उद्देश्य बच्चों में जागरूकता की अलख जगाना है: सिद्दरामय्या

Photo: @siddaramaiah X account

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरामय्या ने शुक्रवार को शिक्षक दिवस के अवसर पर कहा कि शिक्षा हमारी सरकार का प्राथमिकता वाला कार्यक्रम है, जो हर साल इस पर 65 हज़ार करोड़ रुपए खर्च करती है। मैंने राजप्पा मास्टर से अक्षरा और प्रो. नंजुंदास्वामी से राजनीति सीखी थी।

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मुख्यमंत्री ने विधान सौधा बैंक्वेट हॉल में आयोजित राज्य स्तरीय शिक्षक दिवस कार्यक्रम को संबोधित किया। साथ ही, शिक्षकों को पुरस्कार प्रदान किए और उन्हें बधाई दी।

सिद्दरामय्या ने कहा, 'वैचारिक शिक्षा का अर्थ है- एक ऐसी मानसिकता का निर्माण करना, जो हमारे समाज की समस्याओं के प्रति संवेदनशील हो। शिक्षा का उद्देश्य बच्चों में जागरूकता की अलख जगाना है। ऐसी शिक्षा ही हमारी सरकार का लक्ष्य है।'

सिद्दरामय्या ने कहा, 'पहले ... को पढ़ने का अवसर नहीं मिलता था। संविधान ने सभी को अनिवार्य शिक्षा का अधिकार दिया है, इसलिए हमारी सरकार सत्ता में आने के बाद, संविधान की प्रस्तावना की व्याख्या करने का काम कर रही है।'

सिद्दरामय्या ने कहा, 'स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व संविधान के मूल्य हैं। यदि इन्हें जीवन में उतारा जाए तो समाज में मानवता से युक्त सर्वोच्च नागरिक का निर्माण हो सकता है। शिक्षकों को इसे समझना चाहिए और एक सभ्य समाज का निर्माण करना चाहिए।'

सिद्दरामय्या ने कहा, 'जाति व्यवस्था से ग्रस्त हमारे समाज को बदलने और मानवीय व्यवस्था बनाने की जरूरत है। शिक्षा प्राप्त करते समय जातिवाद, भेदभाव और अज्ञान का पालन करना शिक्षा के साथ विश्वासघात है। इसलिए शिक्षकों की नैतिक और व्यावसायिक ज़िम्मेदारी है कि वे ऐसी शिक्षा प्रदान करें, जो तार्किकता, वैज्ञानिकता और अन्य धर्मों के प्रति सहिष्णुता का भाव रखे।'

सिद्दरामय्या ने कहा, '(कुछ) डॉक्टर, प्रोफ़ेसर और लेक्चरर भी भाग्य में विश्वास करते हैं। मैंने उन्हें और इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वालों को जाति-पाति और मौद्या करते देखा है। तो हमें सोचना चाहिए कि उन्होंने कैसी शिक्षा प्राप्त की?'

सिद्दरामय्या ने कहा, 'जाति व्यवस्था के कारण एक असमान समाज का निर्माण हुआ और सभी को अवसर उपलब्ध नहीं हैं। ... के साथ-साथ महिलाओं को भी शिक्षा से वंचित रखा गया था, लेकिन अब शिक्षा के अधिकार के कारण अधिक से अधिक लड़कियों को अवसर मिल रहे हैं और वे उच्च पद प्राप्त कर रही हैं।'

सिद्दरामय्या ने कहा, 'डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन सर्वोच्च नैतिक मूल्यों वाले एक शिक्षक और राष्ट्रपति थे। उनके आदर्शों का पालन करना ही उनके प्रति हमारी सर्वोच्च श्रद्धांजलि है।'

सिद्दरामय्या ने कहा, 'मधु बंगारप्पा और एमसी सुधाकर, दोनों ही हमारी सरकार में अत्यंत सक्रिय युवा मंत्री हैं। मुझे विश्वास है कि वे अपनी ज़िम्मेदारियों का और भी बेहतर ढंग से निर्वहन करेंगे।'

सिद्दरामय्या ने कहा, 'आजकल बच्चों में मोबाइल की लत बढ़ गई है। शिक्षकों को बच्चों को इस लत से बाहर निकालने के लिए प्रभावी कदम उठाने होंगे। इसलिए, 'मोबाइल दूर रखें और किताब थामे रहें' के सिद्धांत को हर स्कूल और घर में लागू किया जाना चाहिए।'

सिद्दरामय्या ने कहा, 'सावित्री फुले और फ़ातिमा शेख़, दोनों ही उत्पीड़ित वर्ग की महिलाओं को शिक्षित करने वाली पहली शिक्षिकाएं थीं। उन्हें तिरस्कृत और अपमानित किया गया था। इतना अपमान सहने के बावजूद उन्होंने शिक्षा दी थी।'

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