रेलवे की नई परियोजनाएं बढ़ाएंगी आर्थिक विकास की रफ्तार

केंद्रीय मंत्रिमंडल से मिली मंजूरी

रेलवे की नई परियोजनाएं बढ़ाएंगी आर्थिक विकास की रफ्तार

Photo: narendramodi FB Page

माल ढुलाई और यात्री सुविधाओं में होगी क्रांति

गोरखपुर/दक्षिण भारत। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में रेल मंत्रालय की चार महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इन पर कुल अनुमानित खर्च 12,328 करोड़ रुपए होगा। इन परियोजनाओं का मकसद रेल नेटवर्क को सुदृढ़ करना और यातायात सुगमता में वृद्धि करना है। 

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ये परियोजनाएं देशलपार-हाजीपीर-लूना और वायोर-लखपत नई लाइन; सिकंदराबाद (सनथनगर)- वाडी तीसरी और चौथी लाइन; भागलपुर-जमालपुर तीसरी लाइन; फुरकेटिंग-न्यू तिनसुकिया दोहरीकरण हैं।

इन परियोजनाओं का लक्ष्य यात्रियों और माल की तेज व सुगम आवाजाही सुनिश्चित करना है। ये पहल क्षेत्रीय संपर्क बढ़ाएंगी, यात्रा को और सुविधाजनक बनाएंगी, साथ ही परिवहन लागत और तेल आयात पर निर्भरता घटाएंगी। इसके अलावा, ये कार्बन उत्सर्जन कम करके पर्यावरण-अनुकूल रेल संचालन को बढ़ावा देंगी। साथ ही, निर्माण के दौरान ये परियोजनाएं लगभग 251 लाख मानव-दिवसों का प्रत्यक्ष रोजगार भी देंगी।

पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा 

नई परियोजना से कच्छ के दूरस्थ इलाकों को रेल नेटवर्क से जोड़ा जाएगा। इससे गुजरात के मौजूदा रेल तंत्र में 145 रूट किमी और 164 ट्रैक किमी जुड़ेंगे। इस पर 2,526 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसे पूरा होने में तीन साल लगेंगे। इससे गुजरात में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। 

इसके अलावा नमक, सीमेंट, कोयला, क्लिंकर व बेंटोनाइट जैसे सामान का परिवहन आसान हो जाएगा। यह लाइन कच्छ के रण को जोड़ेगी। साथ ही, धोलावीरा, कोटेश्वर मंदिर, नारायण सरोवर और लखपत किला जैसा स्थलों तक पहुंच को आसान बनाएगी। इसके मद्देनज़र 13 नए स्टेशन जुड़ेंगे और 866 गांव और 16 लाख लोग लाभान्वित होंगे।

कर्नाटक से असम तक रेल सुविधाओं का विस्तार

मल्टी-ट्रैकिंग परियोजनाएं व्यापक कनेक्टिविटी बढ़ाने का काम करेंगी। इसका लाभ लगभग 3,108 गांवों और करीब 47.34 लाख की आबादी और एक आकांक्षी जिले (कलबुर्गी) को मिलेगा। ये परियोजनाएं कर्नाटक, तेलंगाना, बिहार और असम तक रेल सुविधाओं का विस्तार करेंगी। 

सिकंदराबाद (सनथनगर)-वाडी के बीच 173 किमी की तीसरी और चौथी लाइन का काम पांच साल में पूरा होगा। इस पर 5,012 करोड़ रुपए की लागत आएगी। बिहार में भागलपुर-जमालपुर के बीच 53 किमी की तीसरी लाइन तीन साल में तैयार होगी। इस पर 1,156 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसी तरह, 194 किमी लंबी फुरकेटिंग-न्यू तिनसुकिया दोहरीकरण परियोजना चार साल में पूरी होगी। इस पर 3,634 करोड़ रुपए खर्च होंगे।

सेवाओं की गुणवत्ता सुधरेगी

रेल लाइनों की क्षमता में बढ़ोतरी होने से आवागमन में बहुत सुधार होगा। इससे रेलवे की कार्यकुशलता और सेवाओं की गुणवत्ता में उल्लेखनीय बदलाव आएगा। इन योजनाओं से रेल संचालन को सुविधाजनक बनाने के साथ भीड़ का दबाव कम करने में मदद मिलेगी। ये परियोजनाएं प्रधानमंत्री मोदी के नए भारत के दृष्टिकोण को साकार करेंगी और रोजगार के अवसर सृजित करेंगी।

पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के तहत तैयार की गईं ये परियोजनाएं समन्वित योजना और हितधारकों के परामर्श से मल्टी-मॉडल संपर्क व लॉजिस्टिक्स कुशलता को बढ़ाने का लक्ष्य रखती हैं। गुजरात, कर्नाटक, तेलंगाना, बिहार और असम के दर्जनभर जिलों को जोड़ने वाली इन परियोजनाओं से मौजूदा नेटवर्क में करीब 565 किमी का विस्तार हो जाएगा।

14 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर फायदा!

ये रेल मार्ग कोयला, सीमेंट, क्लिंकर, फ्लाई ऐश, स्टील, कंटेनर, उर्वरक, कृषि उत्पादों और पेट्रोलियम पदार्थों जैसे सामानों की ढुलाई में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन कार्यों से क्षमता में वृद्धि होने से हर साल 68 मिलियन टन अतिरिक्त माल का परिवहन होगा। ये परियोजनाएं जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने में मददगार साबित होंगी। इनके जरिए लॉजिस्टिक खर्च में कमी आएगी, तेल आयात में 56 करोड़ लीटर की कटौती संभव होगी और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में 360 करोड़ किलोग्राम की कमी आएगी। इस तरह ये परियोजनाएं लगभग 14 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर फायदा देंगी। ये भारत के आर्थिक विकास की रफ्तार को तेज करेंगी।

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