जीवन को संतुलित बनाती है सामायिक की साधना: मुनिश्री पुलकित कुमार

उतार-चढ़ावों में समभाव रखना ही समता की साधना है

जीवन को संतुलित बनाती है सामायिक की साधना: मुनिश्री पुलकित कुमार

जैन श्रावक की पहचान है सामायिक करना

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। शहर के तेरापंथ सभा गांधीनगर के तत्वावधान में मुनि डॉ. पुलकित कुमार जी एवं  आदित्य कुमार जी के सान्निध्य में तेरापंथ महिला मंडल गांधीनगर द्वारा विशेष सामायिक कार्यशाला का आयोजन तेरापंथ भवन में किया गया। 

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इस अवसर पर मुनि डॉ. पुलकित कुमार जी ने कहा कि जीवन में आने वाले उतार-चढ़ावों में समभाव रखना ही समता की साधना है। इसे ही भगवान महावीर ने समता धर्म कहा है। समता भाव को बढ़ाने की सबसे छोटी जैन उपासना पद्धति है सामायिक। 

जैन श्रावक की पहचान है सामायिक करना। सामायिक से राग द्वेष के दोष दूर होते हैं, आत्मानंद की अनुभूति बढ़ती है। जीवन के द्वंद खत्म हो जाते हैं। जीवन संतुलित हो जाता है,अतः प्रत्येक श्रावक श्राविका चातुर्मास में प्रतिदिन एक सामायिक अवश्य करें।

मुनिश्री ने प्रेक्षा ध्यान के अंतर्गत कायोत्सर्ग से होने वाले लाभ की चर्चा करते हुए कायोत्सर्ग करने का आह्वान किया। मुनिश्री आदित्य कुमार जी ने विषय पर प्रस्तुति दी। तेरापंथ महिला मंडल की सदस्याओं ने सामायिक गीत प्रस्तुत किया।

तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्षा लक्ष्मी बोहरा, मंत्री विजेता रायसोनी ने मुनिश्री द्वारा आयोजित इतिहास तत्व बहुत प्रतियोगिता के लिए सभी सदस्याओं को भाग लेने के लिए प्रेरित किया। मुनि श्री के प्रवचन में सकल जैन श्रावक समाज की अच्छी उपस्थिति थी। इस अवसर पर विभिन्न संबंधित संस्थाओं के पदाधिकारी उपस्थित थे। 

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