'अर्हम' स्वयं की अर्हताओं को जगाने का महामंत्र है: साध्वीश्री संयमलता

कर्मों को हराने का शस्त्र है, प्रतिभा को बढ़ाने का पथ है

'अर्हम' स्वयं की अर्हताओं को जगाने का महामंत्र है: साध्वीश्री संयमलता

अध्यक्ष मंजू गादिया ने सभी का स्वागत किया

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल एवं प्रेक्षा फाउंडेशन के निर्देशन में  साध्वीश्री संयमलताजी के सान्निध्य में मैसूर रोड स्थित डिविनिटी अपार्टमेंट में अर्हम मंत्र प्रेक्षा’ विषय पर कार्यशाला आयोजित की गई।

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अध्यक्ष मंजू गादिया ने सभी का स्वागत किया। साध्वीश्री संयमलताजी ने  कहा कि 'अर्हम’ स्वयं की अर्हताओं को जगाने का महामंत्र है। कर्मों को हराने का शस्त्र है, प्रतिभा को बढ़ाने का पथ है।
 
अर्हम के प्रत्येक अक्षर के महत्व को साध्वीश्री  ने उजागर किया। इसके प्रत्येक पदों में शक्ति होती है जो विशेष प्रकार की ध्वनि तरंगों को पैदा करती है, उसका प्रभाव हमारे चित्त की चंचलता को नियंत्रित कर सकता है। 

अर्हम का जप हमारे शारीरिक, मानसिक एवं भावनात्मक तीनों स्तरों पर परिवर्तन लाता है। अर्हम के उच्चारण से हमारे भीतर अध्यात्म का जागरण होता है।

साध्वीश्री मार्दवयशाजी ने अर्हम के जप लयबद्धता के साथ करवाया। साध्वीश्री ने कहा कि ये प्रकंपन ऊर्जा पैदा करते हैं जिससे हमारे भीतर बिजली का संचार होता है, जो शरीर का अच्छे ढंग से संचालन करती है और हमारे मनोबल, संकल्प बल को बढ़ाने वाली होती है। साध्वीश्री ने कहा कि अर्हम का जप व ध्यान करें तथा अपनी कार्य क्षमता को बढ़ाते रहें। 

कार्यक्रम का संचालन प्रेक्षा ध्यान प्रशिक्षिका मंजू लूणिया ने किया तथा मेघना हिरण ने धन्यवाद दिया। कार्यक्रम में महिला मंडल के पदाधिकारी, तेयुप अध्यक्ष कमलेश चोपड़ा, उपाध्यक्ष विकास बांठिया एवं श्रावक-श्राविकाओं की उपस्थिति थी।

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