अनुशासन की भावना

अनुशासित और मजबूत इरादों वाले लोग ही विजेता बनकर उभरते हैं

अनुशासन की भावना

युद्ध सिर्फ सरहद पर नहीं लड़े जाते

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच मॉक ड्रिल आयोजित करने संबंधी जो दिशा-निर्देश दिए हैं, वे देशवासियों में अनुशासन की भावना पैदा करने में सहायक सिद्ध होंगे। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान को दंडित करने के लिए संकल्प लिया है। उसे ध्यान में रखते हुए हर नागरिक को योगदान देने के लिए तैयार रहना चाहिए। हमारी सेनाएं समर्थ और शक्तिशाली हैं। पाकिस्तान के खिलाफ क्या कार्रवाई करनी है, इसका फैसला वे उचित समय पर लेंगी। आम नागरिकों को देश की रक्षा और सेवा करने के लिए सरहद पर जाने की जरूरत नहीं है। हम अपने घरों, कार्यक्षेत्रों और सार्वजनिक स्थानों पर अनुशासन का ध्यान रखेंगे तो देश को बहुत मदद मिल जाएगी। मॉक ड्रिल के दौरान अधिकारी जो निर्देश दें, उनका पूरी तरह पालन करें। इसकी गंभीरता को समझें और सोशल मीडिया पर कोई हल्की टीका-टिप्पणी करने से बचें। मॉक ड्रिल में सुरक्षा संबंधी विभिन्न पहलुओं पर ध्यान दिया जाता है। देशवासियों को मुश्किल समय का सामना करने के लिए इसके संदेश को अपने जीवन में उतारना चाहिए। मॉक ड्रिल में सिखाई गईं बातों का महत्त्व हमेशा रहेगा। आतंकवाद और युद्ध जैसी परिस्थितियों के अलावा बाढ़, भूकंप, महामारी जैसी चुनौतियां भी हैं। देशवासियों को मुश्किलों का सामना करने का कौशल सिखाना चाहिए। कल्पना करें- अगर किसी दिन, खासकर गर्मियों में तकनीकी कारणों से कई घंटों तक विद्युत आपूर्ति संभव न हो तो कितने लोग अपने घरों में आसानी से रह पाएंगे? कितने घरों में रोशनी करने के लिए मोमबत्तियां या लालटेन आदि हैं?

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आज कंप्यूटरों पर निर्भरता बहुत बढ़ गई है। अगर किसी दिन तकनीकी खामी के कारण इनका संचालन अवरुद्ध हो जाए तो कामकाज कैसे होगा? याद करें, पिछले साल जुलाई में कई देशों में बैंक शाखाओं, हवाईअड्डों, मीडिया सेवाओं, शेयर बाजारों समेत कई दफ्तरों का कामकाज रुक गया था। लोगों ने अपने कंप्यूटरों को चालू करने के लिए बटन दबाया तो स्क्रीन का रंग नीला नज़र आया था। सोचिए, किसी दिन शत्रु एजेंसियां ऐसी परिस्थिति पैदा कर दें कि कुछ घंटों के लिए इंटरनेट सेवाएं अवरुद्ध हो जाएं, समाचार चैनलों के संचालन में बाधा आ जाए और अफवाहें फैलने लगें तो कितने घरों में रेडियो सेट हैं, जिनके जरिए भारत सरकार नागरिकों तक सही जानकारी पहुंचा सकती है? ऐसी दर्जनों चुनौतियां हैं, जिनकी ज्यादातर लोगों ने कल्पना नहीं की होगी, लेकिन शत्रु एजेंसियां उनसे बड़ा नुकसान पहुंचा सकती हैं। ध्यान रखें, युद्ध सिर्फ सरहद पर नहीं लड़े जाते। आज चीन, पाकिस्तान समेत कई देश भारत के विकास के मार्ग में बाधाएं डालना चाहते हैं, इसलिए देशवासियों में शत्रुबोध होना चाहिए। जिनमें शत्रुबोध का अभाव होता है, उनके साथ धोखा होता है। हमारे साथ कई बार ऐसा हुआ है। हमें अतीत के अनुभवों से सबक लेते हुए भविष्य में किसी भी प्रतिकूल परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। मॉक ड्रिल भी इसी का हिस्सा है। ऐसी ड्रिल का विभिन्न क्षेत्रों तक विस्तार करते हुए नागरिकों में एकजुटता पैदा करनी चाहिए। इन ड्रिल की योजना बनाने से पहले इतिहास में हुईं विभिन्न बड़ी घटनाओं का अध्ययन करना लाभदायक रहता है। सोचिए, अगर कभी दुनिया में अचानक ईंधन संकट पैदा हो जाए तो हम उसके लिए कितने तैयार हैं? कितने लोग भोजन पकाने के अन्य विकल्पों के बारे में जानते हैं? कितने घरों में साइकिलें हैं? अगर किसी साल कुछ सब्जियों की भारी कमी हो जाए तो किन आसान विकल्पों को अपनाकर घर का बजट संतुलित रख सकते हैं? दुनिया कई बार ऐसी समस्याओं का सामना कर चुकी है। अनुशासित और मजबूत इरादों वाले लोग ही विजेता बनकर उभरते हैं।

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