यह सवाल मुनीर से पूछें

क्या भारत ने यह फैसला बेवजह ले लिया?

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आतंकवाद का समर्थन करने वालों को कठोर दंड मिलना चाहिए

पहलगाम हमले के बाद केंद्र सरकार ने पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़कर जाने का जो आदेश दिया, उससे ऐसी कहानियां निकलकर सामने आ रही हैं, जिन्हें सुनकर आश्चर्य होता है। भारत में बड़ी तादाद में ऐसे लोग रह रहे थे, जिनके पास पाकिस्तानी पासपोर्ट हैं और वे यहां सुविधाओं का पूरा फायदा उठा रहे थे। केंद्र ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए जो कदम उठाया, वह बहुत जरूरी था। अब ये लोग भारत सरकार से खासे खफा हैं। पूछ रहे हैं- हमारा क्या कसूर था? वास्तव में उन्हें यह सवाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या गृह मंत्री अमित शाह से नहीं, बल्कि पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर से पूछना चाहिए। क्या भारत ने यह फैसला बेवजह ले लिया? अगर किसी देश पर बड़ा आतंकवादी हमला होता है, उसके नागरिकों की हत्या की जाती है, तो क्या उसकी सरकार हमलावर देश के नागरिकों को अपने यहां बर्दाश्त करेगी? पाकिस्तान ने कभी अफगान शरणार्थियों का खूब स्वागत किया था। वे कराची से लेकर क्वेटा और पेशावर तक बस गए थे। कालांतर में वहां आतंकवाद और गंभीर अपराधों जैसी समस्याएं बढ़ने लगी थीं। आखिरकार पाकिस्तान ने उन्हें निकालना शुरू कर दिया। भारत तो नागरिकता और विदेशी नागरिकों को अपनी जमीन पर रहने की अनुमति देने के मामले में बहुत उदार है। अगर ऐसा नहीं होता तो ये पाकिस्तानी अब तक इतने आराम से यहां न रह पाते। इस समय सोशल मीडिया पर इनके कई वीडियो वायरल हो रहे हैं। सरकार को इन पर नजर रखते हुए भविष्य में कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। एक महिला कह रही थी कि उसकी ऑनलाइन शादी हुई थी! किसी महिला ने पाकिस्तानी पुरुष से शादी की, परिवार में पांच बच्चे हैं, जो वर्षों से यहीं रह रहे थे। किसी ने अपने पति को पाकिस्तान से भारत बुला लिया था। यहां मज़े से गुजारा चल रहा था। अब पति इसलिए पाकिस्तान नहीं जाना चाहता, क्योंकि वहां अर्थव्यवस्था की हालत खराब है।

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कई लोग भारत सरकार से इस वजह से नाराज हैं, क्योंकि वे यहां अपना इलाज ठीक तरह से नहीं करवा सके। भारतीय डॉक्टरों ने पाकिस्तानी नागरिकों के मुफ्त ऑपरेशन तक किए हैं। मुफ्त दवाइयां, मुफ्त परामर्श, मुफ्त जांच ... वह भी उस स्थिति में, जब भारतीय नागरिकों को जरूरी चिकित्सा सुविधाएं बहुत मुश्किल से मिल रही हैं। इसके बावजूद भारत में किसी को आपत्ति नहीं है, क्योंकि हम मानवता के समर्थक हैं। इन लोगों को पाकिस्तान जाकर आसिम मुनीर को अपनी तकलीफ बतानी चाहिए, जो हवा में हाथ लहराते हुए 'दो क़ौमी' नज़रिए का गुणगान कर रहे थे और कह रहे थे कि हम 'उनसे' अलग हैं। अगर मुनीर और उनकी मंडली के लोग इतने ही खास और महान हैं तो सबसे पहले अपनी अवाम के लिए ढंग के अस्पताल बनवाएं। थोथी नारेबाजी करने और डींगें हांकने से किसी का भला नहीं होगा। पाकिस्तान के आतंकवादी पहलगाम में आकर हमारे देशवासियों से उनका धर्म पूछते हैं, उनकी जान लेते हैं, जबकि हम पाकिस्तानी नागरिकों को चिकित्सा सुविधाओं के जरिए नया जीवन देते हैं और किसी से उसका धर्म नहीं पूछते। हां, हम भी सरहद पार बैठे कई लोगों से अलग हैं, क्योंकि वे तोड़ने में विश्वास करते हैं, हम जोड़ने में विश्वास करते हैं। अभी जिन लोगों को पाकिस्तान भेजा जा रहा है, भविष्य में जब ये वीजा लेने आएं तो इनके सोशल मीडिया अकाउंट जरूर चेक किए जाएं। वर्तमान में पाकिस्तान में सैकड़ों अकाउंट ऐसे पाए गए हैं, जो पहलगाम हमले पर खुशी जता रहे हैं। भारत में भी कुछ लोगों का पर्दाफाश हुआ है, जिनके खिलाफ पुलिस कार्रवाई कर रही है। जो व्यक्ति आतंकवादी कृत्य का किसी भी प्रकार से समर्थन करता है, उसे कठोर दंड मिलना चाहिए। सरकार को इन तत्त्वों के खिलाफ खूब सख्ती से पेश आना होगा। अन्यथा ऐसी मानसिकता रखने वाले लोगों के हौसले बढ़ते जाएंगे।

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