वक्फ अधिनियम मामले में उच्चतम न्यायालय ने क्या निर्देश दिया?
पीठ ने केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल का आश्वासन भी दर्ज किया

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नई दिल्ली/दक्षिण भारत। उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को केंद्र को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को चुनौती देने वाली याचिका में एक सप्ताह के भीतर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया। इससे पहले केंद्र सरकार ने उसे आश्वासन दिया था कि अगली सुनवाई तक 'उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ' या 'विलेख द्वारा वक्फ' संपत्तियों को गैर-अधिसूचित नहीं किया जाएगा।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का यह आश्वासन भी दर्ज किया कि इस बीच केंद्रीय वक्फ परिषद और बोर्डों में कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी।मेहता ने कहा कि सरकार अगली सुनवाई तक वक्फ बाय डीड और वक्फ बाय यूजर संपत्तियों को गैर-अधिसूचित नहीं करेगी।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यदि किसी वक्फ संपत्ति का पंजीकरण 1995 के अधिनियम के तहत हुआ है, तो उन संपत्तियों को 5 मई को अगली सुनवाई तक गैर-अधिसूचित नहीं किया जा सकता।
मेहता ने नवसंशोधित वक्फ कानून के खिलाफ याचिकाओं पर प्रारंभिक प्रतिक्रिया दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा था, जिसके बाद पीठ ने यह आदेश पारित किया।
उन्होंने पूछा, 'यदि माननीय न्यायाधीश 'उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ' के बारे में कुछ कहेंगे, तो इसका क्या परिणाम होगा?'
दूसरी ओर, पीठ ने कहा कि इस मुद्दे पर अनेक याचिकाओं पर विचार करना असंभव है और स्पष्ट किया कि वह केवल पांच याचिकाओं पर ही सुनवाई करेगी। साथ ही, उसने वकीलों से कहा कि वे आपस में तय करें कि कौन बहस करेगा।
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता सरकार का जवाब मिलने के पांच दिन के भीतर केंद्र के जवाब पर अपना प्रत्युत्तर दाखिल कर सकते हैं।