जीव अपनी प्रवृत्ति द्वारा ही पुण्यशाली बनता है: साध्वीश्री पावनप्रभा

वीतराग कार्यशाला के बैनर का अनावरण किया गया

जीव अपनी प्रवृत्ति द्वारा ही पुण्यशाली बनता है: साध्वीश्री पावनप्रभा

कषाय का मतलब चाराें तरफ से कर्माे का आगमन हाेता है

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। शहर के हनुमंतनगर तेरापंथ सभा भवन में विराजित साध्वीश्री पावनप्रभाजी  ने प्रातःकालीन प्रवचन में कहा कि जीव अपनी शुभ प्रवृत्ति द्वारा हल्का (पुण्यशाली) तथा अशुभ प्रवृत्ति द्वारा भारी (पापी) हाेता है। 

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प्रवृत्ति तीन प्रकार की हाेती है। मन प्रवृत्ति, वचन प्रवृत्ति, काय प्रवृत्ति। साध्वीश्री रम्याप्रभाजी के कहा कि कषाय का मतलब चाराें तरफ से कर्माे का आगमन हाेता है। 

इस अवसर पर तेयुप हनुमंतनगर द्वार रविवार काे आयाेजित हाेने वाली वीतराग कार्यशाला के बैनर का अनावरण किया गया। 

इस माैके पर मूलचंद नाहर, सभा के अध्यक्ष गाैतम दक, उपाध्यक्ष गाैतम कातरेला, सभा के परामर्शक राेशन मांडाेत, प्रकाश देरासरिया, मंत्री हेमराज  मांडाेत, तेयुप के अध्यक्ष कमलेश झाबक आदि उपस्थित थे।

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