पुलिस को सावधानी बरतनी चाहिए कि कोई निर्दोष परेशान न हो: आचार्यश्री विमलसागरसूरी

पुलिसकर्मियाें के लिए एक प्रेरणादायी प्रवचन का आयाेजन किया गया

पुलिस को सावधानी बरतनी चाहिए कि कोई निर्दोष परेशान न हो: आचार्यश्री विमलसागरसूरी

'दाेषी व्यक्ति काे पकड़ने के लिए निर्दाेष काे सताया न जाए'

हिरियूर/सिरा/दक्षिण भारत। शुक्रवार काे आचार्य विमलसागरसूरीश्वरजी से आशीर्वाद ग्रहण कर मार्गदर्शन लेने हिरियूर, सिरा, कलंबेले आदि क्षेत्राें के पुलिसकर्मी व अधिकारी चिक्कनहल्ली पहुंचे। उनके निवेदन पर आचार्यश्री का सभी पुलिसकर्मियाें के लिए एक प्रेरणादायी प्रवचन का आयाेजन किया गया। 

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कन्नड़ व हिंदी में मार्गदर्शन देते हुए आचार्यश्री विमलसागरसूरीश्वरजी ने कहा कि मन और रुचिपूर्वक किया गया कार्य मनुष्य काे संताेष और खुशी देता है। बिना मन के, अरुचि से किया जाने वाला काम मन काे उद्विग्न और भारी बनाता है। कार्य छाेटा हाे या बड़ा, पूरी निष्ठा और रुचि पूर्वक करना चाहिए। बिना मन के मजबूरीपूर्वक ड्यूटी करने का काेई अर्थ नहीं है। जाे काम हम करें, उसमें अपनी पूरी ऊर्जा और पवित्रता यदि लगा दें ताे ध्यान घटित हाे सकता है।

जैनाचार्य ने कहा कि हर पुलिसकर्मी और अधिकारी काे इस बात की पूरी सावधानी बरतनी चाहिए कि किसी निर्दाेष काे परेशान न किया जाए। दाेषी व्यक्ति काे पकड़ने के लिए निर्दाेष काे सताया न जाए। अपने आराध्य की कृपा प्राप्त करने के लिए यह बहुत जरूरी है। इससे पुलिस के प्रति समाज में सद्भावना और विश्वास का वातावरण बनेगा। अगर निर्दाेष का मन तड़पता है ताे उसके अशुभ परमाणु हमें और हमारे परिवार काे शांति से जीने नहीं देंगे। यह शाश्वत सत्य है। 

वर्तमान युग में अनेक साधु-संताें, नेताओं और पुलिसकर्मियाें के प्रति लाेगाें का विश्वास डगमगाया है। समाज और राष्ट्र के लिए यह शुभ संकेत नहीं है। अच्छे साधु-संत और निष्ठावान ईमानदार पुलिस अधिकारी समाज का सुंदर मार्गदर्शन कर उसे अपराधाें से दूर रखने का काम कर सकते हैं। 

समाज की शांति, उन्नति और आपसी भाईचारे के लिए यह अत्यंत आवश्यक है। कई अवसराें पर पुलिस काे गहरे तनाव के बीच लंबे समय तक काम करना पड़ता है। इसके लिए समय, भाेजन, विश्राम और मन का व्यवस्थित मैनेजमेंट करना चाहिए। इससे कम थकावट में अधिक काम किया जा सकता है। 

दिन में दाे-तीन बार पांच-दस मिनट के लिए पूर्व दिशा की ओर बैठकर पूरी तल्लीनता से ध्यान करना चाहिए। यह आंतरिक ऊर्जा का जागरण करेगा। समय निकाल कर सत्साहित्य का वांचन करना चाहिए। 

जैनाचार्य ने बताया कि पिछले पांच वर्षाें में तमिलनाडु और कर्नाटक की पदयात्रा के दाैरान हमारी सुरक्षा व्यवस्था में रहे सैकड़ाें पुलिसकर्मियाें ने शाकाहार और व्यसनमुक्ति का संकल्प लिया है।

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