समय रहते हुए धर्म करने से सुनिश्चित होती है सुगति: उपप्रवर्तक नरेशमुनि
मुनिश्री ने कहा कि चार प्रकार के संसार में सबसे ज्यादा खतरनाक है भाव संसार

मुनिश्री शालिभद्र ने कहा कि आज ज्ञानी ताे बहुत हैं पर सम्यक ज्ञान का अभाव है
हाेसूर/दक्षिण भारत। हाेसूर से काेयम्बटूर की ओर विहार करते हुए उपप्रवर्तक नरेशमुनिजी ने प्रवचन करते हुए कहा कि संसार चार प्रकार के है, द्रव्य संसार, क्षेत्र संसार, काल संसार व भाय संस्कार। एक गति से दूसरी गति में भ्रण व पुनर्भ्रण का नाम है संसार। मुनिश्री ने कहा कि चार प्रकार के संसार में सबसे ज्यादा खतरनाक है भाव संसार।
भाव के आधार पर ही हमारी गति व सुगति निश्चित हाेती है। कभी हमारे मन में किसी के प्रति अच्छे भाव आते है ताे कभी बुरे भाव आते हैं। हमारी हर समय विचारधारा बदलती रहती है। केवलज्ञानी का संसार पारित हाेने का कारण है उनका भाव संसार खत्म हाे गया और भव संसार भी खत्म हाे गया। भाव व्यक्ति की छाया की तरह हर समय साथ में चलते हैं।मुनिश्री ने कहा कि जब तक व्यक्ति के पास सम्पत्ति है, सत्ता, सामग्री है, तब तक जाे करना है कर लाे। बाद में करेंगे वाले आज भी आंसू बहा रहे हैं। समय है तब तक धर्म कर लाे, पाप का उदय आने के बाद डाेर हमारे हाथ से निकल जाएगी तब राेगाें का आक्रमण व विपत्तियाें के पहाड़ टूटेंगे और हम चाहते हुए भी कुछ नहीं कर पाएंगे।
मुनिश्री शालिभद्रजी ने कहा कि आज ज्ञानी ताे बहुत हैं पर सम्यक ज्ञान का अभाव है। आज शिक्षा ताे बढ़ी है पर उतना ही अविनय का भाव बढ़ता जा रहा है। आज भाैतिकता का ताे प्रचार प्रसार है पर आध्यात्म जीवन से रिसता जा रहा है। हमें पढ़े ताे बहुत हैं पर सहृदयता, सहजता, समरसता, शालीनता, प्रेपूर्ण व्यवहार खत्म हाेता जा रहा है। हम हमारी कार्यशैली से हजाराें घर व समाज काे ताेड़ने में अपना सहयाेग दे रहे हैं, जाे बहुत बुरी बात है। हम अच्छा पराेसें। उन्हाेंने कहा कि काेई भी अच्छे रास्ते पर गति करता है उसका समर्थन कराे।