बजट से उम्मीदें
क्या सरकार राहत की घोषणा करेगी?

उम्मीदें पूरी करना सरकार की जिम्मेदारी है
केंद्र में लगातार तीसरी बार सत्ता में आई राजग सरकार के बजट से देशवासियों को बड़ी उम्मीदें हैं। सरकार के खाते में कई उपलब्धियां हैं तो कई चुनौतियां भी हैं। इसके मद्देनजर विकास कार्यों की रफ्तार बढ़ाने की जरूरत है। वर्तमान में आर्थिक मोर्चे पर बड़ी चुनौतियां महंगाई और बेरोजगारी हैं। सरकार की ओर से राशन, सस्ते गैस सिलेंडर, किसानों को मिलने वाली आर्थिक सहायता आदि से थोड़ी राहत जरूर आई है, लेकिन सामान्य आर्थिक पृष्ठभूमि वाले परिवारों के लिए संघर्ष कम होने का नाम नहीं ले रहा। इन्हें खर्च चलाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है और वे अपने खर्चों में कटौती कर रहे हैं। इसका असर बाजार मांग पर पड़ रहा है। खाद्यान्न, तेलों, फलों, सब्जियों और दूध के दाम हर साल बढ़ रहे हैं। इससे थाली महंगी होती जा रही है। असंगठित क्षेत्र, जहां आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा कार्यरत है, में वेतन बहुत कम है। कोरोना काल में इसने काफी दिक्कतों का सामना किया था। अब महंगाई की मार से इसकी जरूरतें पूरी नहीं हो रही हैं। सरकार को बजट में इसकी ओर खास ध्यान देना चाहिए। वहीं, पिछले साल रोज़गार सृजन की रफ़्तार ज्यादा उत्साहजनक नहीं रही। देश का युवा चाहता है कि पढ़ाई पूरी होने के बाद उसके पास कोई रोजगार हो, ताकि वह अपने माता-पिता के सपने पूरे कर सके। बेरोजगारी की समस्या कई समस्याओं को जन्म दे रही है। इससे देश अपनी युवा शक्ति के पूर्ण उपयोग से वंचित हो रहा है।
इसी तरह आयकर दाताओं को उम्मीद है कि सरकार उनके लिए राहत की घोषणा करेगी। जब बैंक खाते में ज्यादा पैसा बचेगा तो वह परिवार की अन्य जरूरतों पर खर्च होगा। इससे आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी। सरकार को ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश बढ़ाना होगा। देश में सौर ऊर्जा को लेकर भरपूर संभावनाएं हैं। यह घर-घर में लोकप्रिय कैसे हो, इसके लिए प्रावधान करने होंगे। आज भी ज्यादातर परिवार सौर ऊर्जा को अपनाने के इच्छुक नहीं हैं, क्योंकि लागत काफी ज्यादा है। देश में सरकारी स्कूल तो बहुत हैं, लेकिन वे संसाधनों और गुणवत्ता की कमी से जूझ रहे हैं। इसके साथ ही लोगों को छोटी-मोटी बीमारियों के इलाज के लिए भी शहर जाना पड़ रहा है। बजट से उम्मीद की जा रही है कि सरकार स्कूलों और अस्पतालों की ओर खास ध्यान देगी। हाल में डॉलर के भाव बढ़ने से रुपया कमजोर हुआ है। इसका सीधा असर हमारे विदेशी मुद्रा भंडार पर पड़ रहा है। सरकार को बजट में ऐसे प्रावधान करने होंगे कि रुपया मजबूत हो और विदेशी मुद्रा भंडार भी बढ़े। दुनिया में एआई के बढ़ते दबदबे के बीच भारत को अपनी स्थिति मजबूत रखनी होगी। इस क्षेत्र में अभी तक अमेरिका का डंका बजता था, लेकिन चीन के डीपसीक ने तहलका मचा दिया है। ऐसे में भारत को अपनी दमदार उपस्थिति रखनी होगी। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भारत के अपने आधारभूत एआई मॉडल को तैयार करने की बात कही है। देशवासियों को उम्मीद है कि इस बजट में एआई मॉडल निर्माण के लिए पर्याप्त निवेश की घोषणा की जाएगी। हाल के वर्षों में डिजिटल गतिविधियों में तेजी से इजाफा हुआ है। डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में नए-नए कीर्तिमान बन रहे हैं। दूसरी ओर साइबर अपराधों में भारी वृद्धि हुई है। शायद ही कोई व्यक्ति होगा, जिसके पास फोन हो और उसे ठगने के लिए किसी साइबर अपराधी ने कॉल न किया हो। बीते साल 'डिजिटल अरेस्ट' के नाम पर लोगों को खूब लूटा गया, जिससे बचने के लिए प्रधानमंत्री ने 'मन की बात' कार्यक्रम में सलाह भी दी थी। इस साल साइबर अपराधी कोई नया पैंतरा आजमाएं, इससे पहले ही सरकार को ऐसे ठोस उपाय करने होंगे, जिससे अपराधियों के मंसूबे धरे के धरे रह जाएं। इसके लिए पर्याप्त राशि आवंटित करनी होगी, विशेषज्ञों की नियुक्ति करनी होगी, ताकि डिजिटल पेमेंट पर लोगों का भरोसा मजबूत हो। बजट में सभी क्षेत्रों का ध्यान रखा जाना चाहिए। लोगों को उम्मीदें बंधाने के साथ उन्हें पूरा करना भी सरकार की जिम्मेदारी है।