'मानसिक शांति के लिए मंत्रजाप और ध्यान जरूरी'

आचार्य विमलसागरसूरीश्वरजी ने प्रवचन दिए

'मानसिक शांति के लिए मंत्रजाप और ध्यान जरूरी'

ध्यान और मंत्रजाप मानसिक शांति के प्रयाेगसिद्ध अमाेघ उपाय हैं

हासन/दक्षिण भारत। बुधवार काे सुबह आदिनाथ जैन भवन में संगीतमय मंत्रजाप और साधना की विधियाें का मार्गदर्शन देते हुए आचार्य विमलसागरसूरीश्वरजी ने कहा कि मानसिक शांति के लिए ध्यान और मंत्रजाप अत्यंत आवश्यक है। ये मन की खुराक है। जिस प्रकार तन काे स्वस्थ रखने के लिये पाैष्टिक भाेजन करना पड़ता है, उसी प्रकार मन काे शांत और स्वस्थ रखने के लिये ध्यान व मंत्रजाप करने चाहिए। आधुनिक युग का मनुष्य अधिक से अधिक भाैतिक साधन-सामग्रियाें में उलझकर बेहद परेशान हाे रहा है। 

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उन्होंने कहा कि जीवन का अंत है, पर उसकी इस दाैड़ का काेई अंत नजर नहीं आ रहा। जितने साधन और जितनी सुविधाएं हम अर्जित करते हैं, उतनी ही मानसिक शांति नष्ट हाेती जाती है। ध्यान और मंत्रजाप मानसिक शांति के प्रयाेगसिद्ध अमाेघ उपाय हैं। आकाश, पाताल और धरती, काेई कहीं भी पहुंचें, आखिरकार सभी काे शांति और स्वस्थता के लिए ध्यान की शरण में आना हैं,मंत्रजाप से तारतम्यता प्राप्त करनी है। 

शाम के सत्र में आचार्य विमलसागरसूरीेशरजी ने कहा कि मन की भूख असीम है। उसे नियंत्रित कर जीवन काे श्रद्धा, भक्ति और पवित्रता से ओतप्राेत बनाना चाहिये। वही श्रेष्ठ शकुन हैं। 

गणि पद्मविमलसागर ने बताया कि आध्यात्मिक अभिरुचि और साधना के बिना साधनाें की काेई महत्ता सिद्ध नहीं हाेती। जहां साधन हार जाते हैं, वहां साधना जीवन काे सही मार्ग देती है। गृहस्थ जीवन में दाेनाें का संतुलन साधकर ही आप सफल हाे सकते हैं। 

जैनाचार्य ने कहा कि तीन या तीन से अधिक स्वराें और व्यंजनाें के जाेड़ से बीजमंत्राें का निर्माण हाेता है। वे ध्वनिविज्ञान के अद्भुत आविष्कार हैं। ऊँ, ह्रीं, श्रीं आदि बीजमंत्र न सिर्फ शरीर के अलग-अलग केंद्राें काे प्रभावित करते हैं, बल्कि वे भारतीय मंत्रसाधना के प्राणतत्व हैं। प्राचीनकाल से इन बीजमंत्राें के हजाराें-लाखाें सफल प्रयाेग हुए हैं। भाैतिक संपादनाें के बीच हर मनुष्य काे ध्यान के प्रयाेग और इष्टमंत्राें के जाप कर जीवन काे निरापद और आनंदमय बनाने का प्रयत्न करना चाहिए। शांति से जीने का यही रास्ता है। देर-सबेर सभी काे इस मार्ग पर आना है। 

गुरुवार काे प्रातः आदिनाथ मंदिर में मंत्राें और मुद्रा विधानाें के साथ विविध जड़ी-बूटियाें और औषधियाें से संगीतमय अभिषेक हाेगा।

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