'अभी भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है' - उच्च न्यायालय ने सिद्धू के दावे के खिलाफ याचिका खारिज की
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता भी दावों का विरोध करने के लिए स्वतंत्र है

Photo: PixaBay
नई दिल्ली/दक्षिण भारत। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि देश में अभी भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है और उसने कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू के इस दावे के खिलाफ याचिका पर विचार करने से इन्कार कर दिया कि कुछ उपचारों से उनकी पत्नी को स्टेज 4 के कैंसर से लड़ने में मदद मिली थी।
मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि पूर्व क्रिकेटर ने केवल अपनी राय व्यक्त की है और याचिकाकर्ता भी दावों का विरोध करने के लिए स्वतंत्र है।पीठ ने कहा, 'वे सिर्फ अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उनके दावों का मुकाबला करें। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मुकाबला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से करें, न कि कानूनी कार्रवाई या अवमानना के डर से उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाकर। इस देश में अभी भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है।'
पीठ ने इस बात पर जोर दिया, 'आप यह नहीं कह सकते कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया जाना चाहिए। आप उनके दावे का विरोध करें। यह हमारा अधिकार क्षेत्र नहीं है। यदि आप इस सज्जन के विचारों से सहमत नहीं हैं, तो उनकी बात न सुनें।'
उसने कहा, 'ऐसी बहुत सी पुस्तकें हैं, जो आपको खराब लग सकती हैं, उन्हें न पढ़ें। आपको उन्हें पढ़ने के लिए कौन कह रहा है? अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब उन्हें अदालत में लाकर और अवमानना का डर दिखाकर उन पर अंकुश लगाना नहीं है।'
जब न्यायालय ने यह स्पष्ट कर दिया कि रिट याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता, तो याचिकाकर्ता ने इसे वापस लेने की मांग की।
न्यायालय ने कहा, 'हम इस रिट याचिका पर विचार नहीं कर सकते। हजारों लोग दावा करते हैं कि उनके पास किसी चीज़ का इलाज है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप उनके खिलाफ़ कार्रवाई की मांग करेंगे।'
About The Author
Related Posts
Latest News
