बचपन बचाएं सरकारें

बच्चों को चाहिए कि वे सोशल मीडिया की दुनिया से दूरी बनाएं और प्रकृति के निकट जाएं

बचपन बचाएं सरकारें

अपने बचपन को सोशल मीडिया और ओटीटी के चक्कर में बर्बाद न करें

ऑस्ट्रेलिया की संसद ने 16 साल से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध लगाने संबंधी विधेयक को मंजूरी देकर मिसाल कायम की है। यह दुनिया में ऐसा कानून बनाने वाला पहला देश बन गया, जिसके नागरिकों को भविष्य में बहुत लाभ मिलेगा। आज का सोशल मीडिया वह नहीं है, जो दशकभर पहले होता था। यह प्लेटफॉर्म दुनिया को जोड़ने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता था, लेकिन अब यह फर्जी खबरों, सांप्रदायिकता, झगड़ों और समय की बर्बादी का अड्डा बनता जा रहा है। इस पर अश्लील सामग्री खूब परोसी जा रही है। अगर कोई उसकी शिकायत करता है तो 'जांच' के नाम पर कई तरह के सवाल पूछे जाते हैं। एक-दो दिन बाद यह कहते हुए उसे हटाने से इन्कार कर दिया जाता है कि 'उक्त सामग्री हमारी पॉलिसी का उल्लंघन नहीं करती ... कृपया इसका अध्ययन करें!' ऐसे में उचित ही है कि बाल मन की कोमलता की रक्षा करने के लिए बच्चों को इससे दूर ही रखा जाए। बच्चों के सोशल मीडिया इस्तेमाल करने के संबंध में एक तर्क यह दिया जाता है कि इससे उनमें मेलजोल बना रहेगा, वे किसी विषय पर चर्चा कर सकेंगे। बच्चों में मेलजोल बढ़ाने के लिए उन्हें आमने-सामने बैठाकर संवाद कराना चाहिए। इस उम्र में अच्छी संगति बहुत मायने रखती है। प्राय: सोशल मीडिया पर मिलने वाले अनजान लोगों की नीयत के बारे में तो कुछ पता नहीं होता। कई बच्चों को सोशल मीडिया की भयंकर लत लग जाती है। वे फर्जी पहचान के साथ अकाउंट तक बना लेते हैं। उसके बाद घंटों व्यस्त रहकर खाना-पीना, खेलकूद और पढ़ाई करना भी भूल जाते हैं। जब उन्हें टोका जाता है तो रूठने और झगड़ा करने लगते हैं।

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बच्चों को चाहिए कि वे सोशल मीडिया की दुनिया से दूरी बनाएं और प्रकृति के निकट जाएं, खेलकूद में भाग लें, तन और मन से मजबूत बनें। रील लाइफ और रियल लाइफ में अंतर समझें। यह आपके जीवन की सबसे सुनहरी अवधि है। एक बार बचपन चला गया, सो चला गया। इसे सोशल मीडिया और ओटीटी के चक्कर में बर्बाद न करें। सोशल मीडिया ने कई बच्चों के मन पर बुरी तरह कब्जा कर रखा है। वे समसामयिक घटनाओं की जानकारी हासिल करने में न के बराबर रुचि रखते हैं। अगर उनसे देश के अत्यंत महत्त्वपूर्ण पदों पर सेवारत लोगों के नाम पूछ लिए जाएं तो वे बगलें झांकने लगते हैं। जबकि यह पूरा याद रहता है कि कोरियन ड्रामों में आजकल क्या चल रहा है, फलां विदेशी बैंड के नए सदस्य का क्या नाम है, पेरिस में किस सेलिब्रिटी की नई हेयर स्टाइल को लोग कॉपी कर रहे हैं! कई बच्चे इन कथित विदेशी सेलिब्रिटी से इतने गहरे प्रभावित हैं कि उनकी एक झलक पाने, उनसे मुलाकात करने के लिए अपना घर तक छोड़ सकते हैं। उन्हें पता ही नहीं कि वे कितना बड़ा जोखिम उठा रहे हैं, जिससे जान भी खतरे में पड़ सकती है! इसी साल जनवरी में दक्षिण कोरिया के एक पॉप बैंड के सदस्यों से मिलने के लिए तमिलनाडु की तीन किशोरियों का घर छोड़कर चले जाने का मामला सामने आया था। वे समुद्री मार्ग से द. कोरिया जाना चाहती थीं। उन्होंने किराए के लिए कुछ रुपयों का इंतजाम कर लिया था। जब वे आधी रात को एक रेलवे स्टेशन पर थीं तो पुलिस ने उन्हें देखा और सुरक्षित घर पहुंचाया। कोई शातिर अपराधी उन बच्चियों की मासूमियत का गलत तरीके से फायदा उठाकर बड़ी वारदात को अंजाम भी दे सकता था। बच्चों का वर्तमान बचाने और भविष्य उज्ज्वल बनाने के लिए सरकारों को अभिभावक की भूमिका निभानी चाहिए। अगर इसके लिए सोशल मीडिया समेत किसी भी माध्यम के खिलाफ कड़ा रुख अपनाना हो तो जरूर अपनाएं।

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